ETV Bharat / state

गोंडी भाषा को पुर्नजीवित करने की पहल शुरू, जानकार स्कूल में जाकर छात्रों को देंगे ज्ञान - उमरिया के स्कूलों में पढ़ाई जाएगी गोंडी भाषा

आदिवासियों की गोंडी भाषा को फिर से बढ़ावा देने की दिशा में काम किया जा रहा है. उमरिया जिले में गोंडी भाषा के जानकार हफ्ते में एक दिन स्कूलों में छात्रों को गोंडी भाषा पढ़ाएंगे. ताकि छात्रों में गोंडी भाषा की समझ बढ़े.

gondi language
गोंडी भाषा
author img

By

Published : Jan 18, 2020, 10:20 AM IST

उमरिया। आदिवासियों की गोंडी भाषा को एक बार फिर विकसित करने की पहल शुरु हुई है. जिसकी शुरुआत उमरिया जिले से की जा रही है. जिले में गोंडी भाषा के जानकार हफ्ते में एक दिन स्कूलों में जाकर गोंडी भाषा पढ़ाएंगे और बच्चों को गोंडी भाषा के इतिहास की जानकारी भी देंगे. जिसको लेकर छात्रों में भी उत्साह नजर आ रहा है.

गोंडी भाषा को किया जाएगा पुर्नजीवित


प्रदेश की आदिमजातियों की 42 से ज्यादा उपजातियां हैं जो कि गोंड समूह की मानी जाती हैं. इस जाति में गोंडी भाषा प्रचलित रही है लेकिन समय के साथ गोंडी भाषा पिछड़ती चली गई. जानकारों की माने तो गोंडी भाषा न सिर्फ दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है बल्कि इसमें भाषा के सारे गुण पाए जाते हैं.


गोंडी भाषा के सरंक्षण के लिए उमरिया से शुरु हो रही यह पहल कई मायनों में खास मानी जा रही है. मसलन देश के बड़े आदिवासी समूह की भाषा से समाज को अवगत कराना और भाषा के महत्त्व को आमजन तक पहुंचाना है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि गोंडी भाषा के सरंक्षण का यह प्रयास कितना कारगर साबित होता है.

उमरिया। आदिवासियों की गोंडी भाषा को एक बार फिर विकसित करने की पहल शुरु हुई है. जिसकी शुरुआत उमरिया जिले से की जा रही है. जिले में गोंडी भाषा के जानकार हफ्ते में एक दिन स्कूलों में जाकर गोंडी भाषा पढ़ाएंगे और बच्चों को गोंडी भाषा के इतिहास की जानकारी भी देंगे. जिसको लेकर छात्रों में भी उत्साह नजर आ रहा है.

गोंडी भाषा को किया जाएगा पुर्नजीवित


प्रदेश की आदिमजातियों की 42 से ज्यादा उपजातियां हैं जो कि गोंड समूह की मानी जाती हैं. इस जाति में गोंडी भाषा प्रचलित रही है लेकिन समय के साथ गोंडी भाषा पिछड़ती चली गई. जानकारों की माने तो गोंडी भाषा न सिर्फ दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है बल्कि इसमें भाषा के सारे गुण पाए जाते हैं.


गोंडी भाषा के सरंक्षण के लिए उमरिया से शुरु हो रही यह पहल कई मायनों में खास मानी जा रही है. मसलन देश के बड़े आदिवासी समूह की भाषा से समाज को अवगत कराना और भाषा के महत्त्व को आमजन तक पहुंचाना है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि गोंडी भाषा के सरंक्षण का यह प्रयास कितना कारगर साबित होता है.

Intro:Body:आदिवासियों की पुरातन गोंडी भाषा के विकास के पहल की शुरुआत उमरिया से,भाषा के जानकार और समाज के लोग आये सामने,सप्ताह में एक दिन स्कूल और छात्रावास में बच्चों को भाषा का ज्ञान दिए जाने का फैसला,सरकारी स्तर पर भी आदिवासी क्षेत्र की स्कूलों में गोंडी भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल करने चल रहा मंथन ।

प्रदेश के विंध्य,महाकौशल और बुंदेलखंड के मूल आदिवासियों की विलुप्त होती जा रही प्राचीन गोंडी भाषा को एक बार फिर विकसित करने की पहल शुरू हुई है इसकी शुरुआत उमरिया जिले के कुछ संस्कृति कर्मी व भाषा के जानकरों ने की है जिसके तहत भाषा के जानकर सप्ताह में एक दिन स्कूल और छात्रावासों में पंहुचकर न सिर्फ निशुल्क सेवा देगे बल्कि बच्चों को गोंडी भाषा के गुण भी सिखाएंगे

Byte - बाला सिंह तेकाम जनजातीय मामलों के जानकार


गौरतलब है कि प्रदेश की आदिम जातियों की 42 से ज्यादा उपजातियाँ है जो कि गोंड समूह के मानी जाती है जिनके बीच आदिकाल से गोंडी भाषा प्रचलित रही है लेकिन समय के साथ गोंडी भाषा पिछड़ती चली गई जानकारों की माने तो गोंडी भाषा न सिर्फ दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है बल्कि इसमें भाषा के समस्त गुण विद्यमान है,पहल से शिक्षको के साथ छात्रों में भी उत्साह है ।

BYTE:-उदय सिंह प्राचार्य कन्या परिसर

BYTE:-वर्षा सिंह छात्रा कन्या परिसर

भाषाई सरंक्षण को लेकर उमरिया से शुरू की गई यह पहल कई मायनो में खास मानी जा रही है मसलन देश के बड़े आदिवासी समूह की भाषा से समाज को अवगत कराना और भाषा के महत्त्व को आमजन तक पंहुचाना है देखना होगा की आधुनिकीकरण के दौर में जहाँ परंपरागत संस्कृति क्षीण होती जा रही है वहीं गोंडी भाषा के सरंक्षण का प्रयास कितना कारगर साबित होता है।। Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.