उमरिया। आदिवासियों की गोंडी भाषा को एक बार फिर विकसित करने की पहल शुरु हुई है. जिसकी शुरुआत उमरिया जिले से की जा रही है. जिले में गोंडी भाषा के जानकार हफ्ते में एक दिन स्कूलों में जाकर गोंडी भाषा पढ़ाएंगे और बच्चों को गोंडी भाषा के इतिहास की जानकारी भी देंगे. जिसको लेकर छात्रों में भी उत्साह नजर आ रहा है.
प्रदेश की आदिमजातियों की 42 से ज्यादा उपजातियां हैं जो कि गोंड समूह की मानी जाती हैं. इस जाति में गोंडी भाषा प्रचलित रही है लेकिन समय के साथ गोंडी भाषा पिछड़ती चली गई. जानकारों की माने तो गोंडी भाषा न सिर्फ दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है बल्कि इसमें भाषा के सारे गुण पाए जाते हैं.
गोंडी भाषा के सरंक्षण के लिए उमरिया से शुरु हो रही यह पहल कई मायनों में खास मानी जा रही है. मसलन देश के बड़े आदिवासी समूह की भाषा से समाज को अवगत कराना और भाषा के महत्त्व को आमजन तक पहुंचाना है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि गोंडी भाषा के सरंक्षण का यह प्रयास कितना कारगर साबित होता है.