उमरिया। कुपोषण के खिलाफ जंग के लिए केंद्र सरकार ने सभी जिलों में कुपोषण राहत केंद्र बनवाया है. जिससे जरिए सरकार लगातार कुपोषण को दूर करने की तमाम कोशिशें कर रही है, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण कई बार कोई असर नहीं होता. तो कई बार बार लोगों की पहुंच और उनकी असमर्थता उनके बच्चों में कुपोषण का कारण बन जाती है. ऐसा ही एक मामला है उमरिया जिले के करकेली जनपद के गांजर गांव जहां 14 माह के मासूम कुपोषण निगलता जा रहा है.
सामान्यत: इस उम्र में दुधमुंहे बच्चे बिना सहारे के रेंगने लगते हैं, गांजर गांव मैकू सिंह गोंड की बेटी 14 माह की उम्र में भी बेहद बली पतली है. बच्ची के हाथ पैर सूख रहे हैं और कमर से नीचे एक दम दुर्बल हो गई है. हालांकि जब प्रसाशन को कुछ सामाजिक लोगों ने अवगत कराया तो कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने तत्काल टीम भेजकर बच्ची को पोषण पुर्नवास केन्द्र में भर्ती कराया. पोषण पुर्नवास केन्द्र पहुंचने के बाद बच्ची की मां का चेहरा खिल उठा और बेटी के ठीक होने की उम्मीद जाग गई.
तीन साल पहले मैकू सिंह ने बिमारी में अपनी आंखे भी को दी है, सदमे में पत्नी की मानसिक स्थिति बिगड़ गई. अब 4 बच्चों के पालन पोषण की समस्या आ खड़ी हुई है. मैकू सिंह गोंड का परिवार जिला मुख्यालय से तकरीबन 60 किमी दूर गांजर गांव में बसा है. जहां तक जाने का रास्ता दुगर्म पहाड़ी और जंगली क्षेत्रों के बीच से जाता है, जिस कारण प्रशासन का ध्यान इस ओर कम ही होता है.