उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के दौरान 4 बजे जल से भगवान महाकाल का अभिषेक किया गया. इसके बाद दूध, दही, घी, शक़्कर ताजे फलों के रस से पंचामृत पूजन किया गया. वहीं बाबा महाकाल का श्रृंगार कर महाकाल को टेसू के फूलों से बने रंग को अर्पित किया गया. उसके बाद मंदिर में श्रद्धालु, पण्डे पुजारियों ने बाबा महाकाल के साथ रंग पंचमी का त्यौहार मनाया. इस दौरान गर्भगृह से लेकर नंदी हाल और कार्तिकेय मंडपम तक पूरा हाल रंगमय हो गया.
रंगों से सराबोर मंदिर: 13 वर्षों से लगातार महाकालेश्वर मंदिर में टेसू के फूलों से रंग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है. पंडित, पुजारियों द्वारा टेसू के फूलों को उज्जैन और आसपास के इलाकों से एकत्रित कर मंगवाया जाता है. कई घंटों की मेहनत के बाद फूलों से रंग तैयार किया जाता है. इसके बाद सुबह होने वाली भगवान महाकाल की भस्म आरती में इन रंगों के साथ भगवान को होली खिलाई जाती है, साथी जो भस्मारती देखने आए श्रद्धालु हैं उन्हें भी होली के रंगों से सराबोर किया जाता है. पंडित, पुजारियों का मानना है कि टेसू के फूल शुद्ध रूप से हर्बल होते हैं और इस रंग से ना तो शिवलिंग को नुकसान पहुंचता है और ना ही किसी श्रद्धालु को चर्म रोग जैसी बीमारी होती है. यह एकदम लाभदायक होता है.
भगवान महाकाल को टेसू के रंग से खिलाई होली: महाकाल मंदिर में रविवार सुबह भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल के साथ पण्डे पुजारी और श्रद्धालुओं ने रंगपंचमी का त्योहार मनाया. इसके लिए महाकाल मंदिर में टेसू के फूलों से शुद्ध रंग तैयार किया गया, जिसे बनने के लिए एक दिन पहले से तैयारी शुरू हो गई थी. टेसू के फूलों को एकत्रित कर मंदिर में लाया गया था. यहां बड़े बर्तन में गर्म पानी के साथ इसे उबालकर शुद्ध रंग बनाया है. टेसू के फूलों से बने सुंगधित रंग से रंग पंचमी मनाने के लिए यह परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है.
चल समारोह में शामिल होंगी झांकियां: रविवार शाम छह बजे मंदिर के सभामंडप में भगवान वीर भद्र व ध्वज का पूजन होगा. इसके बाद चल समारोह की शुरुआत होगी. गेर में राजभवन से आया ध्वज, मंदिर का प्रतीक चांदी का ध्वज तथा 51 अन्य ध्वज शामिल रहेंगे. विद्युत रोशनी से झिलमिलाती झांकियां, विभिन्न वाद्य दल तथा मंदिर के पुजारी, पुरोहित अधिकारी आदि शामिल होंगे.