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Sawan Shivratri 2021 पर बाबा महाकाल की पूजा विधि-मुहूर्त और महत्व!, सब कुछ जानें यहां - baba Mahakal temple

इस बार सावन की शिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ की पूजा 6 अगस्त शाम से प्रारम्भ करनी चाहिए और रात्रि के चारों प्रहर में अलग-अलग चार बार शिव परिवार की पूजा व भोले बाबा का अभिषेक करना चाहिए. भोले बाबा को पंचामृत स्नान कराके बिल्वपत्र, भांग, धतूर, सफेद, पुष्प, फल, मिठाई इत्यादि को समर्पित करके प्रार्थना करनी चाहिए कि आप और आपके परिवार की कृपा हमारे ऊपर बनी रहे और जीवन में धन-धान्य सुख समृद्धि, पुत्र-पौत्र इत्यादि की सम्पन्नता प्राप्त होती रहे.

baba mahakal
बाबा महाकाल
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Published : Aug 6, 2021, 11:22 AM IST

उज्जैन। प्रत्येक माह में दो बार शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है, पर श्रावण माह में पड़ने वाली शिवरात्रि का महत्व बढ़ जाता है, विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल मंदिर के पुजारी बताते हैं कि क्या है श्रवाण माह की इस शिवरात्रि का महत्व, कैसे की जाती है बाबा महाकाल की पूजा और कब है शुभ मूहर्त, महाकाल मंदिर में कितना होता है शिवरात्रि का असर. मंदिर के मुख्य पुजारी महेश गुरू बताते हैं कि श्रावण माह शिव का महीना कहलाता है, जिसमें भक्त शिव की सेवा में लीन रहते हैं, श्रावण का सोमवार, प्रदोष व शिवरात्रि ये जो तीन दिन होते हैं, इनका महत्व अधिक होता है, इस दिन श्रद्धालु एक भी सामान्य वस्तु बाबा को अर्पित करते हैं तो बाबा उसकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं, बाबा को बेल पत्र बहुत प्रिय है.

महाकाल मंदिर के पुजारी

पार्थी पूजा होती है विशेष

पुजारी महेश गुरु बताते हैं कि शिवरात्रि के दिन पार्थी पूजा का अधिक महत्व होता है, इस दिन बाबा महाकाल की मिट्टी से मूर्ति बनाकर उनकी पूजा की जाती है, ऐसा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है, साथ ही कई यज्ञों के फल की भी प्राप्ति होती है. ज्योतिर्लिंग के शिवालय में पूजन करने वालो को पुण्य की कोई कमी नहीं रहती है क्योंकि ज्योतिर्लिंग के शिवालयों में उर्जा का स्रोत बहुत अधिक होता है, ऐसे में भगवान शिव को कोई एक बिल्व पत्र भी अर्पित करता है तो उसके 3 जन्मों के पापों का नाश हो जाता है.
महेश पुजारी बताते हैं कि मंदिर की जो परिधि है, ऐसा माना जाता है कि शिखर ध्वज की छाया जहां तक जाती है, वहां तक पूरा क्षेत्र पवित्र हो जाता है और जहां ज्योतिर्लिंग, आत्मलिंग स्वयं शिव विराजमान हो वो भी दक्षिणमुखी शिवलिंग, वहां किसी प्रकार का नक्षत्र, मूहर्त काम नहीं करता है. इस दौरान मंदिर में दर्शन व्यवस्था पूर्व की तरह की रही. श्रद्धलुओं को चार धाम मार्ग की ओर से हरसिद्धि माता मंदिर होते हुए बेरिकेटिंग से शंख द्वार से प्री बुकिंग के माध्यम से मंदिर में पहुंचना होगा और उसी रास्ते से बाहर की ओर निकलना होगा.

Sawan Shivratri 2021: सावन की शिवरात्रि पर ऐसे करें पूजा, भगवान शिव माता पार्वती की बरसेगी कृपा

श्रद्धालु प्रवेश मार्ग में ही प्रसादी ले सकेंगे, मंदिर में VIP 251 के जरिये एंट्री करने वालों को गेट नंबर 4 भस्मारती द्वार से प्रवेश दिया जा रहा है, सभी श्रद्धलुओं को मंदिर में कोविड नियमों का पालन करना जरूरी है, वरना स्पॉट फाइन के आदेश हैं, जो मास्क नहीं पहनने पर देना होगा, वहीं सोमवार को 251 कांउटर बंद कर सुबह 5 से 1 और शाम से 7 से 9 बजे तक ही श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं.

रात्रि प्रहर में पूजा के मुहूर्त

इस वर्ष शिवरात्रि को निशिता काल पूजा का समय रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से रात्रि 12 बजकर 48 मिनट तक लगभग 43 मिनट तक रहेगा. इसके अतिरिक्त रात्रि प्रहर में और भी मुहूर्त हैं, जो इस प्रकार है.

  • शाम को 7 बजकर 08 मिनट से रात 09 बजकर 48 मिनट तक
  • रात 9 बजकर 48 मिनट से रात 12 बजकर 27 मिनट तक
  • रात 12 बजकर 27 मिनट से सुबह 03 नजकर 06 मिनट तक
  • सुबह (तड़के) 03 बजकर 06 मिनट से प्रात: 05 वजकर 46 मिनट तक
  • जो शिव भक्त शिवरात्रि का व्रत रखेंगे वे पारण अगले दिन करेंगे. व्रत 6 अगस्त को रखा जायेगा और पारण 7 अगस्त को प्रात: 05 बजकर 46 मिनट से दोपहर 03 बजकर 47 मिनट के मध्य कभी कर सकते हैं.

उज्जैन। प्रत्येक माह में दो बार शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है, पर श्रावण माह में पड़ने वाली शिवरात्रि का महत्व बढ़ जाता है, विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल मंदिर के पुजारी बताते हैं कि क्या है श्रवाण माह की इस शिवरात्रि का महत्व, कैसे की जाती है बाबा महाकाल की पूजा और कब है शुभ मूहर्त, महाकाल मंदिर में कितना होता है शिवरात्रि का असर. मंदिर के मुख्य पुजारी महेश गुरू बताते हैं कि श्रावण माह शिव का महीना कहलाता है, जिसमें भक्त शिव की सेवा में लीन रहते हैं, श्रावण का सोमवार, प्रदोष व शिवरात्रि ये जो तीन दिन होते हैं, इनका महत्व अधिक होता है, इस दिन श्रद्धालु एक भी सामान्य वस्तु बाबा को अर्पित करते हैं तो बाबा उसकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं, बाबा को बेल पत्र बहुत प्रिय है.

महाकाल मंदिर के पुजारी

पार्थी पूजा होती है विशेष

पुजारी महेश गुरु बताते हैं कि शिवरात्रि के दिन पार्थी पूजा का अधिक महत्व होता है, इस दिन बाबा महाकाल की मिट्टी से मूर्ति बनाकर उनकी पूजा की जाती है, ऐसा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है, साथ ही कई यज्ञों के फल की भी प्राप्ति होती है. ज्योतिर्लिंग के शिवालय में पूजन करने वालो को पुण्य की कोई कमी नहीं रहती है क्योंकि ज्योतिर्लिंग के शिवालयों में उर्जा का स्रोत बहुत अधिक होता है, ऐसे में भगवान शिव को कोई एक बिल्व पत्र भी अर्पित करता है तो उसके 3 जन्मों के पापों का नाश हो जाता है.
महेश पुजारी बताते हैं कि मंदिर की जो परिधि है, ऐसा माना जाता है कि शिखर ध्वज की छाया जहां तक जाती है, वहां तक पूरा क्षेत्र पवित्र हो जाता है और जहां ज्योतिर्लिंग, आत्मलिंग स्वयं शिव विराजमान हो वो भी दक्षिणमुखी शिवलिंग, वहां किसी प्रकार का नक्षत्र, मूहर्त काम नहीं करता है. इस दौरान मंदिर में दर्शन व्यवस्था पूर्व की तरह की रही. श्रद्धलुओं को चार धाम मार्ग की ओर से हरसिद्धि माता मंदिर होते हुए बेरिकेटिंग से शंख द्वार से प्री बुकिंग के माध्यम से मंदिर में पहुंचना होगा और उसी रास्ते से बाहर की ओर निकलना होगा.

Sawan Shivratri 2021: सावन की शिवरात्रि पर ऐसे करें पूजा, भगवान शिव माता पार्वती की बरसेगी कृपा

श्रद्धालु प्रवेश मार्ग में ही प्रसादी ले सकेंगे, मंदिर में VIP 251 के जरिये एंट्री करने वालों को गेट नंबर 4 भस्मारती द्वार से प्रवेश दिया जा रहा है, सभी श्रद्धलुओं को मंदिर में कोविड नियमों का पालन करना जरूरी है, वरना स्पॉट फाइन के आदेश हैं, जो मास्क नहीं पहनने पर देना होगा, वहीं सोमवार को 251 कांउटर बंद कर सुबह 5 से 1 और शाम से 7 से 9 बजे तक ही श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं.

रात्रि प्रहर में पूजा के मुहूर्त

इस वर्ष शिवरात्रि को निशिता काल पूजा का समय रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से रात्रि 12 बजकर 48 मिनट तक लगभग 43 मिनट तक रहेगा. इसके अतिरिक्त रात्रि प्रहर में और भी मुहूर्त हैं, जो इस प्रकार है.

  • शाम को 7 बजकर 08 मिनट से रात 09 बजकर 48 मिनट तक
  • रात 9 बजकर 48 मिनट से रात 12 बजकर 27 मिनट तक
  • रात 12 बजकर 27 मिनट से सुबह 03 नजकर 06 मिनट तक
  • सुबह (तड़के) 03 बजकर 06 मिनट से प्रात: 05 वजकर 46 मिनट तक
  • जो शिव भक्त शिवरात्रि का व्रत रखेंगे वे पारण अगले दिन करेंगे. व्रत 6 अगस्त को रखा जायेगा और पारण 7 अगस्त को प्रात: 05 बजकर 46 मिनट से दोपहर 03 बजकर 47 मिनट के मध्य कभी कर सकते हैं.
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