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महाकाल के दर पर मिलीं बिहार की मां-बेटी

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Published : May 23, 2021, 5:58 PM IST

Updated : May 23, 2021, 7:48 PM IST

उज्जैन के सेवाधम आश्रम में पिछले दिनों बिहार के गया जिले से एक मानसिक रुप से बीमार महिला आई थी. आश्रम ने महिला के परिजन को ढूंढ कर महिला को उनसे मिला दिया.

Mother daughter meeting
मां बेटी का मिलन

उज्जैन। सेवाधाम आश्रम उज्जैन में पिछले दिनों ऐसा वाकया हुआ जिससे सभी की आंखे नम गई और उनके रूदन से सेवाधाम परिसर सिहर उठा. सेवाधाम आश्रम के संस्थापक सुधीर भाई गोयल उर्फ भाईजी ने बताया कि एक 65 वर्षीय वृद्ध माधवी कुछ दिनों पूर्व उनके पति की मौत हो जाने से अशांत हो गई थी. महिला पंडितों के चक्कर में आकर अपना पैसा लुटाती रही, और उज्जैन पहुंच गई. उज्जैन के सेवाधाम आश्रम में महिला को आश्रय मिला और आश्रम ने महिला के परिजन को सूचना दी. सूचना के बाद महिला को उसका परिवार मिल सका.

  • उज्जैन में लॉकडाउन के चलते आश्रय नहीं मिला

दरअसल कुछ दिनों पूर्व 65 वर्षीय वृद्ध माधवी गया से ट्रेन में बैठकर उज्जैन महाकाल मंदिर आ गई. लेकिन लाॅकडाउन के चलते कहीं भी उसे आश्रय न मिलने पर एक बालक ने उन्हें कहा कि आप थाना महाकाल चले जाओं, वह आपकी मदद करेंगे. थाना प्रभारी थाना महाकाल ने स्थिति जानकर सेवाधाम आश्रम में आश्रय के लिए वृद्ध को भेजा और उसके परिवार की जानकारी प्राप्त की. इस मिलाप में थाना महाकाल की भी भूमिका बहुत अहम थी. गया से उसके बेटी दामाद को जानकारी लगी कि उनकी माताजी उज्जैन के सेवाधाम में है, तो बेटी अपने पूरे परिवार के साथ मां को लेने आश्रम आई. बेटी ने बताया कि दो दिन पहले जानकारी मिली कि मां उज्जैन में है, तो हम उज्जैन आए. आश्रम परिसर में दोनों मां-बेटी का रूदन और मिलाप देकर सभी सिहर गए.

जिस मां को मृत समझकर 5 साल पहले तर्पण कर दिया, वो भरतपुर के अपना घर आश्रम में जीवित मिला

  • हम हर संभव मदद करते है

कोरोना की दूसरी लहर ने परिवारों पर ऐसा कहर बरसाया है, जिससे कई परिवार टूट गए है. भारत में अभी कितने परिवार उजड़े है और कितने ही परिजन इस त्रासदी से बेघर, बेसहारा हो गए है. मेरे पास गुमशुदा हुए परिजनों, सड़क पर पड़े मरणासन्नों, घरेलू हिंसा, यौन शोषण ऐसी अनेक व्यक्तियों की जानकारी आती है. वह सभी रोते हुए अपने परिजनों को तलाश रहे होते है, हम जितनी हो सके उतनी मदद करने की कोशिश करते है.

उज्जैन। सेवाधाम आश्रम उज्जैन में पिछले दिनों ऐसा वाकया हुआ जिससे सभी की आंखे नम गई और उनके रूदन से सेवाधाम परिसर सिहर उठा. सेवाधाम आश्रम के संस्थापक सुधीर भाई गोयल उर्फ भाईजी ने बताया कि एक 65 वर्षीय वृद्ध माधवी कुछ दिनों पूर्व उनके पति की मौत हो जाने से अशांत हो गई थी. महिला पंडितों के चक्कर में आकर अपना पैसा लुटाती रही, और उज्जैन पहुंच गई. उज्जैन के सेवाधाम आश्रम में महिला को आश्रय मिला और आश्रम ने महिला के परिजन को सूचना दी. सूचना के बाद महिला को उसका परिवार मिल सका.

  • उज्जैन में लॉकडाउन के चलते आश्रय नहीं मिला

दरअसल कुछ दिनों पूर्व 65 वर्षीय वृद्ध माधवी गया से ट्रेन में बैठकर उज्जैन महाकाल मंदिर आ गई. लेकिन लाॅकडाउन के चलते कहीं भी उसे आश्रय न मिलने पर एक बालक ने उन्हें कहा कि आप थाना महाकाल चले जाओं, वह आपकी मदद करेंगे. थाना प्रभारी थाना महाकाल ने स्थिति जानकर सेवाधाम आश्रम में आश्रय के लिए वृद्ध को भेजा और उसके परिवार की जानकारी प्राप्त की. इस मिलाप में थाना महाकाल की भी भूमिका बहुत अहम थी. गया से उसके बेटी दामाद को जानकारी लगी कि उनकी माताजी उज्जैन के सेवाधाम में है, तो बेटी अपने पूरे परिवार के साथ मां को लेने आश्रम आई. बेटी ने बताया कि दो दिन पहले जानकारी मिली कि मां उज्जैन में है, तो हम उज्जैन आए. आश्रम परिसर में दोनों मां-बेटी का रूदन और मिलाप देकर सभी सिहर गए.

जिस मां को मृत समझकर 5 साल पहले तर्पण कर दिया, वो भरतपुर के अपना घर आश्रम में जीवित मिला

  • हम हर संभव मदद करते है

कोरोना की दूसरी लहर ने परिवारों पर ऐसा कहर बरसाया है, जिससे कई परिवार टूट गए है. भारत में अभी कितने परिवार उजड़े है और कितने ही परिजन इस त्रासदी से बेघर, बेसहारा हो गए है. मेरे पास गुमशुदा हुए परिजनों, सड़क पर पड़े मरणासन्नों, घरेलू हिंसा, यौन शोषण ऐसी अनेक व्यक्तियों की जानकारी आती है. वह सभी रोते हुए अपने परिजनों को तलाश रहे होते है, हम जितनी हो सके उतनी मदद करने की कोशिश करते है.

Last Updated : May 23, 2021, 7:48 PM IST
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