उज्जैन। महाकाल की नगरी उज्जैन का अपना धार्मिक महत्व है. यहां शिप्रा नदी के किनारे बड़ी सांख्या में श्रद्धालु रोजाना पिंड दान जैसे उत्तरकर्म (पूजा-पाठ) कराने के लिए पहुंचते थे. कोरोना काल में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओ ने यहां पूजन करवाया, लेकिन जिला प्रशासन ने इनके पूजन पर इसलिए रोक लगा दी थी, क्योंकि बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से भी उज्जैन में श्रद्धालु आ रहे थे, जिसके चलते कोरोना संक्रमण फैल रहा था. फिलहाल, एक बार फिर पंडितों को पूजना-पाठ करने की छूट दे दी गई है. इस दौरान सिर्फ उज्जैन के सिर्फ दो श्रद्धालु ही एक साथ पूजन करवा सकते हैं.
2 श्रद्धालुओं को पूजन कराने की छूट
दरअसल, शहर में महराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश के अलग अलग शहरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. बीते 28 अप्रैल को कलेक्टर ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि जितने भी पुजारी कोरोना काल में पिंड दान की पूजन पाठ करवा रहे हैं. वो गलत है क्योंकि शहर में धारा 144 लगी है. महामारी चल रही लगातार मौते हो रही है. इस कारण पंडित पूजन बंद करवा दें. कलेक्टर आशीष सिंह ने सभी घाटों पर पुलिस का पहरा लगवा दिया था. जब इसका विरोध सभी पण्डे-पुजारियों ने किया, तो करीब एक हफ्ते बाद फिर से नया आदेश जारी किया गया.
आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट जरूरी
कलेक्टर सहित उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव और विधायक पारस जैन ने क्राइसेस मैनजमेंट की मीटिंग में ये फैसला लिया. बैठक में फैसला लिया कि 17.05.21 से शहर में पंडितों को सिर्फ उज्जैन निवासी 2 श्रद्धालुओं का पूजन करवाने के लिए छूट रहेगी. ऐसे में अब घाटों पर फिर से श्रद्धालु दिखने लगे हैं. इसके अलावा दोनों श्रद्धालु की आरटीपीसीआर टेस्ट में निगेटिव रिपोर्ट जरुरी है. इन शर्तो के साथ पंडितों को पिंड दान कराने की छूट प्रदान की गयी है.