भोपाल: राजधानी भोपाल के हबीबगंज स्थित गणेश मंदिर से एमपी नगर स्थित गायत्री मंदिर तक बने बाबा साहब अंबेडकर ओवर ब्रिज का शुभारंभ होने के 4 दिन बाद ही इससे सीमेंट और गिट्टियां उखड़ने लगी है. सरिए सड़क से बाहर आ गए. इस ब्रिज को लोक निर्माण विभाग ने 154 करोड़ रुपये की लगात से 4 साल में बनाया है, लेकिन इसकी गुणवत्ता में मिली खामियों के बाद विभाग ने इस प्रोजेक्ट के उपयंत्री उमाकांत शर्मा और प्रभारी सहायक यंत्री रवि शुक्ला को निलंबित कर दिया है. इसके साथ ही विभाग के अन्य निर्माण कार्याें का भी औचक निरीक्षण करने की रणनीति बनाई है.
हर माह 5 और 20 तारीख को होगा औचक निरीक्षण
बता दें कि प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण निर्माण सुनिश्चित करने के लिए लोक निर्माण विभाग औचक निरीक्षण की व्यवस्था शुरू करने जा रहा है. इसके लिए लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने निर्देश दिए हैं कि चीफ इंजीनियरों की टीम प्रत्येक माह की 5 और 20 तारीख को निर्माण कार्यों का औचक निरीक्षण करेगी. चीफ इंजीनियरों की टीम पहला औचक निरीक्षक 5 फरवरी को करेगी. निरीक्षण के लिए जिलों, निर्माण कार्यों और निरीक्षण दलों का चयन सॉफ्टवेयर के माध्यम से रेंडम आधार पर किया जाएगा.
जियो टैग्ड फोटो के साथ साफ्टवेयर में करना होगा अपलोड
निरीक्षण के लिए चीफ इंजीनियर को दो दिन पहले जिलों की सूचना दी जाएगी, जबकि उन्हें निरीक्षण कार्यों की जानकारी एक दिन पूर्व शाम को दी जाएगी. इस औचक निरीक्षण व्यवस्था में निरीक्षण के एक दिन पहले तक किसी विभागीय अधिकारी, कर्मचारी या ठेकेदार को पता नहीं होगा कि निरीक्षण दल किन जिलों में जाएगा और किन निर्माण कार्यों का निरीक्षण करेगा. निरीक्षण दलों, जिलों, निर्माण कार्यों का चयन, आदि सभी ऑटोमेटेड प्रक्रिया सॉफ्टवेयर के माध्यम से की जाएगी. निरीक्षण के बाद सभी टीमें अपनी निरीक्षण रिपोर्ट अगले ही दिन जियो टैग फोटो के साथ सीधे सॉफ्टवेयर पर अपलोड करेंगी.
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क्यूआर कोड के साथ सैंपल होगी सील
पीडब्ल्यूडी के ईएनसी केपीएस राणा ने बताया कि "निरीक्षण के दौरान लिए जाने वाली सामग्री के सैंपल भी रेंडम आधार पर चयनित स्थानों से लिए जाएंगे और गोपनीय क्यूआर कोड के साथ सैंपल्स को सील किया जाएगा. इन सैंपल्स का परीक्षण करने वाली प्रयोशालाओं को सैंपल्स के साथ केवल गोपनीय कोड मिलेगा. संबंधित ठेकेदार या लैब टेक्नीशियन को यह पता नहीं होगा कि सैंपल किस रोड के किस स्थान से लिए गए हैं. परीक्षण के बाद जांच रिपोर्ट गोपनीय कोड के साथ सीधे सॉफ्टवेयर पर अपलोड की कर दी जाएगी. सॉफ्टवेयर इसे डीकोड कर संबंधित रिपोर्ट के साथ जोड़ देगा.