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MP Seat Scan Mahidpur: बगावत से कांग्रेस ने खोई जमीन, अब इस नेता के कमबैक से BJP को लगने लगा डर, जानें क्या है सियासी समीकरण - एमपी चुनाव 2023

चुनावी साल में ETV Bharat आपको मध्य प्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको उज्जैन जिले की महिदपुर विधानसभा सीट के बारे में बताएंगे.आज बात करेंगे महिदपुर विधानसभा सीट के सियासी समीकरण और इतिहास का ETV Bharat के सीट स्कैन के जरिए.

Mahidpur assembly constituency
महिदपुर विधानसभा सीट
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Published : Jul 28, 2023, 4:48 PM IST

उज्जैन। मध्यप्रदेश कांग्रेस में अंदरूनी गुटबाजी का मर्ज किसी से छुपा नही है. यह मर्ज समय-समय पर सबके सामने आता रहता है, इसका खामियाजा पार्टी को कई सीटों पर हार के रूप में चुकाना पड़ता है. ऐसी ही एक विधानसभा मालवांचल की महिदपुर विधानसभा सीट है, जहां पार्टी ने अरूदनी कलह से अपनी चुनावी जमीन ही खत्म कर ली. इस सीट पर पिछले दो चुनाव कांग्रेस पार्टी के बागी उम्मीदवार की वजह से ही हार गई. हालत यह हुई की पार्टी की तेजतर्रार नेता रही कल्पना पुरूलेकर 2013 में अपनी जमानत तक नहीं बचा सकी. आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां मशक्कत में जुटी है.

महिदपुर में मतदाता: महिदपुर में 2 लाख 7 हजार 647 मतदाता हैं. इसमें 1 लाख 6 हजार 150 पुरूष मतदाता और 1 लाख 1 हजार 493 महिला मतदाता हैं.

Mahidpur assembly constituency
महिदपुर में मतदाता

जातीय समीकरण: महिदपुर विधानसभा में सोंधिया समाज का खास प्रभाव है. प्रत्याशियों की जीत और हार में यह समाज महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बीजेपी विधायक बहादुर सिंह सोंधिया समाज से ही आते हैं. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने भी इसी समाज से अपना उम्मीदवार मैदान में उतारा था.

Mahidpur assembly constituency
महिदपुर का जातीय समीकरण

पिछले तीन विधानसभा चुनाव: 2008 विधानसभा चुनाव में डॉ. कल्पना परूलेकर ने कांग्रेस के टिकट से इस सीट पर जीत हासिल की. उन्होंने बीजेपी के बहादुर सिंह चौहान को वोटों से हराया.2013 के विधानसभा चुनाव में बहादुर सिंह चौहान ने जीत का परचम लहराया.

Mahidpur assembly constituency
पिछले तीन विधानसभा चुनाव परिणाम

कांग्रेस अपनों से ही हारी: महिदपुर विधानसभा सीट पर सबसे पहला विधानसभा चुनाव 1957 में हुआ था, उस वक्त यहां कांग्रेस के तोताला रामेश्वर दयाल महादेव चुनाव जीते थे. अभी तक इस सीट पर 14 विधानसभा चुनाव हुए थे, इमसें से 6 बार कांग्रेस और 8 बार बीजेपी इस सीट पर कब्जा जमाने में सफल रही. पिछले 8 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 2 बार ही इस सीट पर जीत सकी है. इस सीट पर कांग्रेस ने आखिरी चुनाव 2008 विधानसभा में जीता था. 2008 में डॉ. कल्पना पारूलेकर इस सीट से जीतकर आई थीं.

Mahidpur assembly constituency
2018 विधानसभा चुनाव

2018 विधानसभा चुनाव: 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से बहादुर सिंह चौहान यहां से जीतकर आ रहे हैं. बीजेपी नेता बहादुर सिंह चौहान ने 2018 का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार दिनेश जैन को 15 हजार 220 वोटों से हराया था. कांग्रेस उम्मीवार सरदार सिंह चौहान को सिर्फ 14 फीसदी वोट ही मिले थे. कांग्रेस नेता दिनेश जैन ने टिकट न मिलने पर पार्टी से बगावत की थी.

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बीजेपी-कांग्रेस दोनों में ही कई दावेदार: महिदपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी में टिकट के लिए कई दावेदार मशक्कत कर रहे हैं. बीजेपी से केसर सिंह और प्रताप सिंह आर्य लगातार अपनी दावेदारी जता रहे हैं लेकिन मौजूदा विधायक बहादुर सिंह चौहान को टिकट का मजबूत दावेदार माना जा रहा है. वे पिछले दो चुनावों से जीतते आ रहे हैं. हालांकि टिकट को लेकर सबसे ज्यादा मशक्कत कांग्रेस में है. यहां कई नेता दावेदारी कर रहे हैं. हेमंत चौहान, रणछोड़ त्रिवेदी को मजबूत दावेदार माना जा रहा है, लेकिन बताया जा रहा है कि पार्टी इस बार पिछली गलती सुधार सकती है. पार्टी दो चुनाव में निर्दलीय उतर चुके दिनेश जैन पर दांव लगा सकती है. पिछले दो चुनाव उन्होंने निर्दलीय के तौर पर लड़ा था, वे दूसरे नंबर पर रहे, नुकसान पार्टी को हुआ.

उज्जैन। मध्यप्रदेश कांग्रेस में अंदरूनी गुटबाजी का मर्ज किसी से छुपा नही है. यह मर्ज समय-समय पर सबके सामने आता रहता है, इसका खामियाजा पार्टी को कई सीटों पर हार के रूप में चुकाना पड़ता है. ऐसी ही एक विधानसभा मालवांचल की महिदपुर विधानसभा सीट है, जहां पार्टी ने अरूदनी कलह से अपनी चुनावी जमीन ही खत्म कर ली. इस सीट पर पिछले दो चुनाव कांग्रेस पार्टी के बागी उम्मीदवार की वजह से ही हार गई. हालत यह हुई की पार्टी की तेजतर्रार नेता रही कल्पना पुरूलेकर 2013 में अपनी जमानत तक नहीं बचा सकी. आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां मशक्कत में जुटी है.

महिदपुर में मतदाता: महिदपुर में 2 लाख 7 हजार 647 मतदाता हैं. इसमें 1 लाख 6 हजार 150 पुरूष मतदाता और 1 लाख 1 हजार 493 महिला मतदाता हैं.

Mahidpur assembly constituency
महिदपुर में मतदाता

जातीय समीकरण: महिदपुर विधानसभा में सोंधिया समाज का खास प्रभाव है. प्रत्याशियों की जीत और हार में यह समाज महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बीजेपी विधायक बहादुर सिंह सोंधिया समाज से ही आते हैं. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने भी इसी समाज से अपना उम्मीदवार मैदान में उतारा था.

Mahidpur assembly constituency
महिदपुर का जातीय समीकरण

पिछले तीन विधानसभा चुनाव: 2008 विधानसभा चुनाव में डॉ. कल्पना परूलेकर ने कांग्रेस के टिकट से इस सीट पर जीत हासिल की. उन्होंने बीजेपी के बहादुर सिंह चौहान को वोटों से हराया.2013 के विधानसभा चुनाव में बहादुर सिंह चौहान ने जीत का परचम लहराया.

Mahidpur assembly constituency
पिछले तीन विधानसभा चुनाव परिणाम

कांग्रेस अपनों से ही हारी: महिदपुर विधानसभा सीट पर सबसे पहला विधानसभा चुनाव 1957 में हुआ था, उस वक्त यहां कांग्रेस के तोताला रामेश्वर दयाल महादेव चुनाव जीते थे. अभी तक इस सीट पर 14 विधानसभा चुनाव हुए थे, इमसें से 6 बार कांग्रेस और 8 बार बीजेपी इस सीट पर कब्जा जमाने में सफल रही. पिछले 8 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 2 बार ही इस सीट पर जीत सकी है. इस सीट पर कांग्रेस ने आखिरी चुनाव 2008 विधानसभा में जीता था. 2008 में डॉ. कल्पना पारूलेकर इस सीट से जीतकर आई थीं.

Mahidpur assembly constituency
2018 विधानसभा चुनाव

2018 विधानसभा चुनाव: 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से बहादुर सिंह चौहान यहां से जीतकर आ रहे हैं. बीजेपी नेता बहादुर सिंह चौहान ने 2018 का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार दिनेश जैन को 15 हजार 220 वोटों से हराया था. कांग्रेस उम्मीवार सरदार सिंह चौहान को सिर्फ 14 फीसदी वोट ही मिले थे. कांग्रेस नेता दिनेश जैन ने टिकट न मिलने पर पार्टी से बगावत की थी.

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बीजेपी-कांग्रेस दोनों में ही कई दावेदार: महिदपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी में टिकट के लिए कई दावेदार मशक्कत कर रहे हैं. बीजेपी से केसर सिंह और प्रताप सिंह आर्य लगातार अपनी दावेदारी जता रहे हैं लेकिन मौजूदा विधायक बहादुर सिंह चौहान को टिकट का मजबूत दावेदार माना जा रहा है. वे पिछले दो चुनावों से जीतते आ रहे हैं. हालांकि टिकट को लेकर सबसे ज्यादा मशक्कत कांग्रेस में है. यहां कई नेता दावेदारी कर रहे हैं. हेमंत चौहान, रणछोड़ त्रिवेदी को मजबूत दावेदार माना जा रहा है, लेकिन बताया जा रहा है कि पार्टी इस बार पिछली गलती सुधार सकती है. पार्टी दो चुनाव में निर्दलीय उतर चुके दिनेश जैन पर दांव लगा सकती है. पिछले दो चुनाव उन्होंने निर्दलीय के तौर पर लड़ा था, वे दूसरे नंबर पर रहे, नुकसान पार्टी को हुआ.

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