उज्जैन। शनिवार को शनिचरी अमावस पर उज्जैन के त्रिवेणी घाट स्थित मां शिप्रा के तट पर श्रद्धालुओं ने स्नान किया. रात 12 बजे से ही श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी शनि मंदिर पर आना शुरु किया और स्नान कर पनौती के रूप में अपने जूते कपड़े और दान-पुण्य कर दर्शन का लाभ लिया. माना जाता है कि शनिचरी आवास पर भगवान शनि के दर्शन करने से उनका पूजन पाठ करने से जिनको शनि की दशा होती है उसका प्रभाव कम होता है. शनिचरी अमावस्या पर नव ग्रह शनि मंदिर को फूलों से सजाया गया. शनि महाराज का आकर्षक श्रृंगार किया.
क्यूआर कोड से दान: उज्जैन तहसीलदार अनिरुद्ध शर्मा ने बताया कि शनिश्चरी अमावस्या पर ढाई से 3 लाख लोगों के नहाने की तैयारी की गई थी. चप्पे चप्पे पर निगाह के लिए लगभग 35 सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं. अधिकारी ने बताया कि दान के लिए इस बार क्यूआर कोड स्कैनर लगाए हैं. और श्रद्धलुओं से आग्रह किया कि ऑनलाइन दान करें जिसका रिस्पांस भी अच्छा मिल रहा है. जिसके चलते चिल्लर बहुत कम आ रहे हैं. देर रात 12 बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ आना शुरू हो गई थी. सुबह 8 बजे तक लगभग 1 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन लाभ लिया.
शनिचरी अमावस का महत्व: उज्जैन में त्रिवेणी स्थित शनि मंदिर में अमावस्या का अपना महत्व है श्रद्धालु यहां डुबकी लगाकर मंदिर के दर्शन करते है. इसके बाद पनौती के रूप में अपने कपडे़ और जूते चप्पल यहीं छोड़ जाते हैं. शनि मंदिर के पंडित जितेंद्र बैरागी ने बताया कि अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म भी किया जाता है. इस दिन स्नान और दान का भी विशेष महत्त्व होता है. शनिवार के दिन अमावस्या की तिथि पड़ने के कारण इस दिन शनि देव की पूजा करने से विशेष शांति होती है. जिन लोगों पर शनि की साढ़े साती चल रही और पितृ दोष, काल सर्प योग, अशुभ गृह योग सहित अन्य कठनाई चल रही हो, इस दिन शनिदेव की पूजा से लाभ मिलता है.