Makar Sankranti 2024। जनवरी का महीना चल रहा है. जनवरी के महीने में ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. मकर संक्रांति को हर जगह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और इसका विशेष महत्व भी होता है. मकर संक्रांति इस बार कब मनाई जाएगी. इसके लिए शुभ मुहूर्त कब है. इस दिन ऐसा क्या कुछ करें, जिससे किस्मत सूर्य की तरह चमकने लगे. बताया है ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने.
कब है मकर संक्रांति, यहां जानिए पूरी दिन और तिथि
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं की मकर संक्रांति का पर्व जनवरी के महीने में मनाया जाता है. इस बार भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा. जगह-जगह इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है. आखिर मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है. इसे लेकर ज्योतिष आचार्य कहते हैं की मकर संक्रांति जब सूर्यदेव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं. जैसे ही मकर राशि में जाते हैं, उसी समय से मकर संक्रांति का पर्व शुरू हो जाता है. मकर संक्रांति का पर्व या यूं कहें कि शुभ मुहूर्त 14 जनवरी 2024 को रात्रि 9:00 बजे से शुरू हो जाएगा. जो 15 जनवरी को 12:56 के बीच में मकर संक्रांति पर्व मनाने का विशेष महत्व है.
मकर संक्रांति में जरूर करें ये काम, ऐसा करने से बदल जाती है किस्मत
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि मकर संक्रांति के दिन जैसे ही मकर संक्रांति की शुरुआत हो सभी लोगों को चाहिए कि सुबह-सुबह उठकर सबसे पहले बहते हुए जल में, किसी पवित्र नदी में, गंगा जी हों या कोई भी पवित्र नदी हो वहां जाकर सुबह-सुबह स्नान करें. स्नान करने के बाद सूर्य भगवान को अर्घ दें, स्नान करके तुरंत ही अर्घ देने का विशेष महत्व होता है. अर्घ देने के बाद तिल का दान या फिर तिल के तेल का दान या हो सके तो कंबल का दान या फिर जो भी श्रद्धा हो, जो भी सहजता से हो सके जितनी समृद्धि हो वो गरीबों को या संतो को दान अवश्य करें, इसका भी विशेष महत्व होता है.
ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि मकर संक्रांति के पर्व में जो ऐसा करते हैं. उनमें किसी भी तरह के रोग का संचार नहीं होता है. शरीर में तेज आता है. सूर्य की तरह किस्मत चमकने लगती है और घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता है. बल, बुद्धि उस व्यक्ति की बढ़ती है और उस घर में शांति रहती है. ज्योतिष आचार्य आगे कहते हैं कि जैसे ही मकर राशि में सूर्य प्रारंभ होंगे. वैसे ही मकर संक्रांति का पर्व मनाना शुरू होगा.
ये पर्व 5 दिन तक लगातार रहेगा. यानी जो भी व्यक्ति किसी कारणवश मकर संक्रांति में स्नान नहीं कर सके हैं. उनके लिए इस 5 दिन के अंतराल में गंगा जी या फिर किसी भी पवित्र नदी में जाकर के वहां पर स्नान करें. सूर्य को अर्घ दें और तिल का दान करें. गुड़ का दान करें, जो भी हो सके उसका दान करें इसका विशेष महत्व है.