ETV Bharat / state

Kartik Purnima 2022 शिप्रा तट पर स्नान के लिए पहुंचे श्रद्धालु, मुख्य मार्गों पर बनी जाम की स्थिति - कार्तिक पूर्णिमा 2022

उज्जैन में सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा (ujjain kartik purnima) पर सुबह शिप्रा नदी में स्नान ध्यान हुआ. शाम को दीपदान करने महिला श्रद्धालु शिप्रा तट पहुंचेंगी. चतुर्दशी पर सोमवार को सुबह से ही ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. हालत यह थी कि भैरवगढ़ मार्ग पर वाहनों के कारण जाम लग गया. यह क्रम दोपहर तक लगा रहा. पुलिस प्रशासन को स्थिति को सामान्य रखने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी.

devotees come shipra river for bath in ujjain
शिप्रा तट पर स्नान के लिए पहुंचे श्रद्धालु
author img

By

Published : Nov 7, 2022, 5:09 PM IST

उज्जैन। सोमवार को कार्तिक माह की चतुर्दशी और पूर्णिमा (ujjain kartik purnima) एकसाथ है. इस खास मौके पर शिप्रा नदी के राम घाट, सिद्धवट घाट और अन्य घाटों पर सुबह से ही स्नान दान पुण्य और पिंड दान के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने के कारण कई मुख्य मार्गों में जाम की स्थिति बन गई. कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए रविवार से ही बाहर से श्रद्धालुओं का धार्मिक नगरी में आना शुरू हो गया था.

उज्जैन कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालु की भीड़

सबसे बड़ी कहलाती है देव पूर्णिमा: तीर्थ पुजारी की मानें तो कार्तिक माह भगवान विष्णु का प्रिय माह है. इसी माह में भगवान विष्णु ने वैष्णव पुराण के अनुसार अपना पहला अवतार मत्स्य रूप में लिया था, साथ ही त्रिपुरासुर नामक राक्षस का भगवान शिव ने शिव तत्व के अंतर्गत कार्तिक माह की पूर्णिमा पर ही वध ब्रह्माजी के रथ पर बैठकर किया था. यूं तो साल में 12 पूर्णिमा आती है और यह कार्तिक माह की पूर्णिमा शास्त्रों में सबसे बड़ी देव पूर्णिमा कहलाती है. इसमें ऐसे पितृ जो अधोगति में गए हों उनके मोक्ष के लिए खास कर उज्जैन के सिद्धवट तीर्थ पर पिंड दान के लिए तांता लगता है. सोमवार को इसी वजह से नगरी में भक्तों का जनसैलाब उमड़ा. सुबह चतुर्दर्शी और शाम में पूर्णिमा मनाई जा रही है, इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि, मंगलवार को चंद्र ग्रहण है.

देर शाम होगी दीपों से जनमग मां शिप्रा नदी: बाबा महाकाल की नगरी में कार्तिक चतुर्दशी पर स्नान दान पुण्य करने आने वाले श्रद्धालु कार्तिक माह की पूर्णिमा पर देर शाम मोक्ष दायनी शिप्रा नदी के तामम घाट किनारे पहुंचकर पांच दीप प्रज्वलन कर नदी में छोड़ते हैं. इसके साथ ही मनोकामना भी करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है. ज्योतिष आनंद शंकर व्यास ने पूर्णिमा के दिन का महत्व बताते हुए कहा कि, अश्विन शुक्ल पूर्णिमा से लेकर कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा तक महिला पुरुष सुबह सूर्योदय से पहले राधा दामोदर दास का महीने भर के क्रम में पूजन करतीं हैं, और जो पूरे महीने इससे वंछित रह जाते हैं उनको आखरी के पांच दिन सुबह सूर्योदय से पहले पूजा करना चाहिए, और जो ये भी न कर पाएं वो कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान दान करते हैं और दीप प्रज्वलित करते हैं.

Dev Diwali 2022: देव दीपावली मनाने के लिए आज स्वर्ग से उतरेंगे देवता, जानिए शुभ मुहूर्त, कथा और पूजा विधि

ट्रैफिक जाम से कब मिलेगा छुटकारा: धार्मिक नगरी उज्जैन अवंतिका में हर एक पर्व का अपना अलग महत्व है. अन्य तीर्थों के मुकाबले मान्यता है कि यहां पर दर्शन लाभ दान पुण्य करने से 10 गुना अधिक पूर्ण फल की प्राप्ति होती है. इसी क्रम में बड़ी संख्या में हर पर्व पर श्रद्धालु नगरी में पहुंचते हैं, और ऐसे में हर बार पार्किंग व्यवस्था फेल हो जाती है. प्रशासनिक जिम्मेदारों की पूरी कोशिश हमेशा रहती है, लेकिन हर बार कोशिश नाकाम होना कई सवाल खड़े करती है. ऐसी स्थिति में रूटीन का काम करने वाले लोग, ट्रांसपोर्टर व बाजार के लोग परेशान होते हैं, खास कर श्रद्धालु जिन्हें कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है.

उज्जैन। सोमवार को कार्तिक माह की चतुर्दशी और पूर्णिमा (ujjain kartik purnima) एकसाथ है. इस खास मौके पर शिप्रा नदी के राम घाट, सिद्धवट घाट और अन्य घाटों पर सुबह से ही स्नान दान पुण्य और पिंड दान के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने के कारण कई मुख्य मार्गों में जाम की स्थिति बन गई. कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए रविवार से ही बाहर से श्रद्धालुओं का धार्मिक नगरी में आना शुरू हो गया था.

उज्जैन कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालु की भीड़

सबसे बड़ी कहलाती है देव पूर्णिमा: तीर्थ पुजारी की मानें तो कार्तिक माह भगवान विष्णु का प्रिय माह है. इसी माह में भगवान विष्णु ने वैष्णव पुराण के अनुसार अपना पहला अवतार मत्स्य रूप में लिया था, साथ ही त्रिपुरासुर नामक राक्षस का भगवान शिव ने शिव तत्व के अंतर्गत कार्तिक माह की पूर्णिमा पर ही वध ब्रह्माजी के रथ पर बैठकर किया था. यूं तो साल में 12 पूर्णिमा आती है और यह कार्तिक माह की पूर्णिमा शास्त्रों में सबसे बड़ी देव पूर्णिमा कहलाती है. इसमें ऐसे पितृ जो अधोगति में गए हों उनके मोक्ष के लिए खास कर उज्जैन के सिद्धवट तीर्थ पर पिंड दान के लिए तांता लगता है. सोमवार को इसी वजह से नगरी में भक्तों का जनसैलाब उमड़ा. सुबह चतुर्दर्शी और शाम में पूर्णिमा मनाई जा रही है, इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि, मंगलवार को चंद्र ग्रहण है.

देर शाम होगी दीपों से जनमग मां शिप्रा नदी: बाबा महाकाल की नगरी में कार्तिक चतुर्दशी पर स्नान दान पुण्य करने आने वाले श्रद्धालु कार्तिक माह की पूर्णिमा पर देर शाम मोक्ष दायनी शिप्रा नदी के तामम घाट किनारे पहुंचकर पांच दीप प्रज्वलन कर नदी में छोड़ते हैं. इसके साथ ही मनोकामना भी करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है. ज्योतिष आनंद शंकर व्यास ने पूर्णिमा के दिन का महत्व बताते हुए कहा कि, अश्विन शुक्ल पूर्णिमा से लेकर कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा तक महिला पुरुष सुबह सूर्योदय से पहले राधा दामोदर दास का महीने भर के क्रम में पूजन करतीं हैं, और जो पूरे महीने इससे वंछित रह जाते हैं उनको आखरी के पांच दिन सुबह सूर्योदय से पहले पूजा करना चाहिए, और जो ये भी न कर पाएं वो कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान दान करते हैं और दीप प्रज्वलित करते हैं.

Dev Diwali 2022: देव दीपावली मनाने के लिए आज स्वर्ग से उतरेंगे देवता, जानिए शुभ मुहूर्त, कथा और पूजा विधि

ट्रैफिक जाम से कब मिलेगा छुटकारा: धार्मिक नगरी उज्जैन अवंतिका में हर एक पर्व का अपना अलग महत्व है. अन्य तीर्थों के मुकाबले मान्यता है कि यहां पर दर्शन लाभ दान पुण्य करने से 10 गुना अधिक पूर्ण फल की प्राप्ति होती है. इसी क्रम में बड़ी संख्या में हर पर्व पर श्रद्धालु नगरी में पहुंचते हैं, और ऐसे में हर बार पार्किंग व्यवस्था फेल हो जाती है. प्रशासनिक जिम्मेदारों की पूरी कोशिश हमेशा रहती है, लेकिन हर बार कोशिश नाकाम होना कई सवाल खड़े करती है. ऐसी स्थिति में रूटीन का काम करने वाले लोग, ट्रांसपोर्टर व बाजार के लोग परेशान होते हैं, खास कर श्रद्धालु जिन्हें कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.