उज्जैन: सनातन धर्म के हर एक पर्व को धार्मिक नगरी अवंतिका उज्जैनी में विराजमान बाबा महाकाल के मंदिर में मनाया जाता है. हर एक पर्व की शुरुवात बाबा के धाम से होती है. उसी क्रम में सोमवार सुबह भस्मार्ती के दौरान भक्तों ने 40 क्विंटल फूलों से बाबा संग फाग उत्सव मनाया. देर शाम संध्या पूजन होते ही मंदिर परिसर में होलिका का दहन हुआ. बाबा को फूलों से बना रंग व शक्कर की माला अर्पित की गई. बाबा व भक्तों के बीच पुजारियों ने गुलाल और फूल उड़ाए.
मान्यता यह भी है कि भक्त प्रहलाद की जीत के साथ ही होली नई फसल और बसंत के आने का पर्व भी है. इस दिन जलती होली में अनाज चढ़ाने की परंपरा है. जिसका निर्वहन किया गया. वहीं मंदिर परिसर को भी फूलों से सजाया गया है. अब अगले दिन अल सुबह मंगलवार को भस्मार्ती के दौरान भक्त बाबा संग रंगों से होली खेलेंगे. जिसके बाद विश्व भर में होली पर्व मनाया जाएगा.
पुजारी आशीष गुरु ने कहा कि श्री महाकाल मंदिर में सबसे पहले बाबा के साथ होली खेली गई, बाबा को गुलाल अर्पित किया गया. पूजन कर परिसर में होलिका का दहन किया गया है. आज समस्त प्रकार की बुराइयों को नष्ट करने का दिन हैं. होली के पूजन के साथ ऐसी कामना करना चाहिये कि हमारे जितने विकार है. उन सबका नाश हो भस्म हो, इसलिए होलिका का पूजन किया जाता है. भगवान महाकाल को गुलाल का तिलक लगाया और भक्त लोगों ने एक दूसरे के साथ होली खेली.
महाकाल में मनाई गई होली: उज्जैन महाकाल मंदिर में होलिका दहन से पूर्व संध्या आरती हुई. 06:30 से 07:15 तक सम्पन हुई. जिसके बाद मंदिर के शासकीय पुजारी घनश्याम गुरु, अन्य पुजारी पुरोहितों ने जिला कलेक्टर व मंदिर समिति अध्यक्ष कुमार पुरुषोत्तम, प्रशासक संदीप सोनी व अन्य की मौजूदगी में विधि पूर्वक होलिका का पूजन किया और दहन कर पर्व की शुरुआत की.
पार्वती और शिव ने खेली होली: पार्वती और शिव ने खेली होली. भगवान महाकाल के साथ भूत पिशाच और महिला पुरुष ने जमकर होली का उत्सव मनाया गया. इस होली के उत्सव में अलग-अलग कलरों से गुलाल और फूलों से होली खेली गई. वहीं पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सूखी होली का आयोजन किया गया था, जिसमें मां पार्वती और शिव एक दूसरे को गुलाल लगाते नजर आए तो वही भूत पिशाच भी उनके साथ होली के रंग में डूबे नजर आए. वहीं महिलाएं पुरुष और सभी ने होली के इस पावन पर्व पर बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया.