उज्जैन। महाकाल मंदिर में मनाई जाने वाली होली दुनिया भर में प्रसिद्ध है. यहां सबसे पहले होली का त्योहार बाबा महाकाल के आंगन में मनाया जाता है. आज महाकाल के दरबार में होली का उत्सव मनाया गया. यहां संध्या आरती में पंडित-पुजारियों ने महाकाल के साथ होली खेली.
प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में आने वाले भक्त कोरोना की वजह से मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाए. दरअसल रविवार को लॉकडाउन भी था, जिसकी वजह से श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में प्रवेश बंद कर दिया गया था. होली पर्व पर पुजारियों ने भक्ति में लीन होकर अबीर गुलाल के साथ होली मनाई. आरती के बाद यहां होलिका दहन किया गया. हालांकि हर साल श्रद्धालु होली के एक दिन पहले ही महाकाल मंदिर पहुंचते थे. जमकर रंग-गुलाल उड़ाते थे.
वर्षों पुरानी परंपरा है
देश भर में आज होली का त्योहार मनाया जाएगा, लेकिन महाकाल मंदिर में होली की शुरुआत एक दिन पहले ही हो गई है. यहां परंपरा अनुसार संध्या आरती में भगवान महाकाल को गुलाल लगाया गया. पंडित-पुजारियों ने आरती में लीन होकर अबीर गुलाल के साथ होली खेली. आरती के बाद मंदिर परिसर में मंत्रोच्चार के साथ होलिका दहन किया गया.
महाकाल की नगरी पहुंची केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की टीम
प्रतिकात्मक होली मनाई गई
कोरोना संक्रमण के चलते महाकाल मंदिर में होली उत्सव प्रतिकात्मक देखने को मिली. पुजारियों ने होली की पूजा-अर्चना कर होलिका दहन किया. लॉकडाउन होने से श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश प्रतिबंध रहा. सोमवार को धुलेंडी पर भस्मा आरती में पुजारी भगवान महाकाल को प्रतीकात्मक रूप से गुलाल अर्पित करेंगे. मंदिर के पुजारी की मानें, तो पहली बार ऐसा संयोग बना है, जब बिना श्रद्धालुओं के मंदिर में होली मनाई गई है.
क्या है मान्यता ?
फागुन पूर्णिमा पर रविवार को सर्वार्थसिद्धि योग का पूजन हुआ. ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में सबसे पहले होली मनाई गई. कोरोना संक्रमण के चलते प्रशासन ने कोरोना नियमों के तहत होली मनाने की हिदायत दी. कोरोना की वजह से किसी भी श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश नहीं मिला, लेकिन पुजारी ने संध्या आरती में हर्बल गुलाल भगवान शिव और नंदी को लगा कर प्रतीकात्मक होली मनाई.