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First Somwar Of Sawan 2021: बाबा महाकाल शाही सवारी पर निकलने को तैयार, भक्तों को मिलेगा प्रवेश ! - baba mahakal ki savari

बाबा महाकाल की शाही सवारी सावन के प्रत्येक सोमवार पर निकलती रही है. इस बार भी प्रथा को कायम रखा गया है. लेकिन भोलेनाथ के भक्त इससे पिछली बार की तरह ही दूरी बना कर रखेंगे. कोविड प्रोटोकॉल के चलते शाही सवारी में भक्तों की नो एंट्री है, हालांकि वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन एंट्री की सुविधा है.

jai mahakal
जय महाकाल
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Published : Jul 26, 2021, 8:29 AM IST

उज्जैन। सावन का महीना शूरू होते ही 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में हर हर महादेव के जयकारों के साथ बाबा के दर्शन हेतु श्रद्धालुओं ने हाजिरी लगाई. प्रथानुसार सावन के पहले सोमवार को विशेष व्यवस्था की गई. अल सुबह 2:30 बजे मंदिर के पट खोले गए. उसके बाद बाबा महाकाल को सभी पंडे पुजारियो ने नियम अनुसार जल चढ़ाया.

सावन का पहला सोमवार आज: उज्जैन के महाकाल मंदिर में विशेष व्यवस्था, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

नियमानुसार अभिषेक

शिवलिंग का दूध, घी, शहद, शकर व दही से पंचामृत अभिषेक किया गया. अभिषेक के बाद बाबा क भांग से श्रृंगार कर भस्म रमाई हुई. करीब 1 घण्टे चली भस्म आरती के बाद बाबा का चंदन, फल, व वस्त्र से विशेष श्रृंगार किया गया. चूंकि कोरोना काल है भस्म व शयन आरती में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है. वैसे 5 बजे से मंदिर में बाबा के दर्शन पाने का सिलसिला शुरू हुआ, गेट नंबर 4 प्रवेश द्वार पर वैक्सीन सर्टिफिकेट दिखा कर श्रद्धलुओं ने प्रवेश किया. आज शाम भगवान महाकाल की प्रथम सवारी निकाली जायेगी.

har har mahadev
और गुंजायमान हुआ महाकाल मंदिर
क्या है महोत्सव का महत्व
उज्जैन महाकाल मंदिर के पुजारी महेश गुरु ने बताया कि श्रावण मास शिव का अति प्रिय माह माना जाता है. शिव पूजा का माह में खास महत्व माना जाता है. अवन्तिका नगरी में ज्योतिर्लिंग होने से इसका अत्यधिक महत्व है. दूर-दराज से आये श्रद्धालुओं की मनोकामना भगवान पूर्ण करते हैं.

महाकाल मंदिर में बाबा की सेवा पूजन,आरती, श्रृंगार जो सावन में होता है उसका दिव्य रूप होने से विशेष महत्व बढ़ जाता है. भस्म रमाने से तात्पर्य है बाबा को भस्म से स्नान करवाना, यहां हर रोज बाबा का अलग अलग स्वरूप में श्रृंगार होता है जिसमें भांग विशेष होता है.

सावन में बाबा के पट देर रात्रि 2:30 बजे खोल दिये जाते हैं जिससे मंदिर व आरती की तैयारी जल्दी हो सके और श्रद्धालुओ को समय पर प्रवेश मिल सके, श्रावन महोत्सव में पूरे माह संस्क्रति कार्यक्रम श्राद्धलूओ के आकषर्ण का केंद्र होते है.

गार्ड ऑफ ऑनर के साथ निकलती है सवारी

उज्जैन भगवान महाकाल अपने भक्तो का हाल जानने शहर भ्रमण पर निलेंगे इस दौरान महाकाल की पहली सवारी में श्री मनमहेश के रूप में भगवन दर्शन देंगे. सबसे पहले पुलिस बैंड और सशस्त्र बल की टुकड़ी भगवान महाकाल को सलामी (गॉड ऑफ ऑनर) दी जायेगी. श्रावण और भादो मास मिलाकर कुल 7 सवारी निकाली जाती है. 4 सावन की 3 भादो की. जो मंदिर से बड़ा गणेश होती हुई शिप्रा पहुँचती है और माता हरसिद्धि के द्वार होती हुई मंदिर शाम 6 बजे लौटती है, चूंकि कोविड काल है तो सवारी को सूक्ष्म रूप में परिवर्तित किया गया है.

पारम्परिक मार्ग में बदलाव

सलामी के बाद भगवान गणेश मंदिर के सामने से होते हुए हरसिद्धि मंदिर के समीप से नृसिंह घाट रोड पर सिद्ध आश्रम के सामने से होते हुए शिप्रा तट रामघाट पहुंचेगें. रामघाट पर मां क्षिप्रा के जल से बाबा श्री महाकाल के अभिषेक-पूजन के पश्चात सवारी रामानुजकोट, हरसिद्धी पाल से हरसिद्धी मंदिर के सामने से होकर बड़ा गणेश मंदिर के सामने से होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आयेगी.

ये होगा मार्ग

सवारी मार्ग में रामघाट मार्ग, बड़ा रामद्वारा, झा‍लरिया मठ के पहले, सिद्ध आश्रम कार्नर, सवारी पूजन स्थल, रामघाट, रामानुजकोट, हरसिद्धीपाल घाटी, श्री राम मंदिर, दत्त अखाड़ा, धर्मराज मंदिर आदि स्थानों से होती हुई महाकाल पहुचेंगी. इन सभी स्थानों पर सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाये गये है. व्यवस्था में लगे सभी लोगों को अनिवार्यत: मास्क धारण करने व समय-समय पर सेनेटाईजर का उपयोग करते रहने हेतु निर्देश दिये गये है. सवारी में आम श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रबंधित रहेगा.

उज्जैन। सावन का महीना शूरू होते ही 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में हर हर महादेव के जयकारों के साथ बाबा के दर्शन हेतु श्रद्धालुओं ने हाजिरी लगाई. प्रथानुसार सावन के पहले सोमवार को विशेष व्यवस्था की गई. अल सुबह 2:30 बजे मंदिर के पट खोले गए. उसके बाद बाबा महाकाल को सभी पंडे पुजारियो ने नियम अनुसार जल चढ़ाया.

सावन का पहला सोमवार आज: उज्जैन के महाकाल मंदिर में विशेष व्यवस्था, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

नियमानुसार अभिषेक

शिवलिंग का दूध, घी, शहद, शकर व दही से पंचामृत अभिषेक किया गया. अभिषेक के बाद बाबा क भांग से श्रृंगार कर भस्म रमाई हुई. करीब 1 घण्टे चली भस्म आरती के बाद बाबा का चंदन, फल, व वस्त्र से विशेष श्रृंगार किया गया. चूंकि कोरोना काल है भस्म व शयन आरती में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है. वैसे 5 बजे से मंदिर में बाबा के दर्शन पाने का सिलसिला शुरू हुआ, गेट नंबर 4 प्रवेश द्वार पर वैक्सीन सर्टिफिकेट दिखा कर श्रद्धलुओं ने प्रवेश किया. आज शाम भगवान महाकाल की प्रथम सवारी निकाली जायेगी.

har har mahadev
और गुंजायमान हुआ महाकाल मंदिर
क्या है महोत्सव का महत्व
उज्जैन महाकाल मंदिर के पुजारी महेश गुरु ने बताया कि श्रावण मास शिव का अति प्रिय माह माना जाता है. शिव पूजा का माह में खास महत्व माना जाता है. अवन्तिका नगरी में ज्योतिर्लिंग होने से इसका अत्यधिक महत्व है. दूर-दराज से आये श्रद्धालुओं की मनोकामना भगवान पूर्ण करते हैं.

महाकाल मंदिर में बाबा की सेवा पूजन,आरती, श्रृंगार जो सावन में होता है उसका दिव्य रूप होने से विशेष महत्व बढ़ जाता है. भस्म रमाने से तात्पर्य है बाबा को भस्म से स्नान करवाना, यहां हर रोज बाबा का अलग अलग स्वरूप में श्रृंगार होता है जिसमें भांग विशेष होता है.

सावन में बाबा के पट देर रात्रि 2:30 बजे खोल दिये जाते हैं जिससे मंदिर व आरती की तैयारी जल्दी हो सके और श्रद्धालुओ को समय पर प्रवेश मिल सके, श्रावन महोत्सव में पूरे माह संस्क्रति कार्यक्रम श्राद्धलूओ के आकषर्ण का केंद्र होते है.

गार्ड ऑफ ऑनर के साथ निकलती है सवारी

उज्जैन भगवान महाकाल अपने भक्तो का हाल जानने शहर भ्रमण पर निलेंगे इस दौरान महाकाल की पहली सवारी में श्री मनमहेश के रूप में भगवन दर्शन देंगे. सबसे पहले पुलिस बैंड और सशस्त्र बल की टुकड़ी भगवान महाकाल को सलामी (गॉड ऑफ ऑनर) दी जायेगी. श्रावण और भादो मास मिलाकर कुल 7 सवारी निकाली जाती है. 4 सावन की 3 भादो की. जो मंदिर से बड़ा गणेश होती हुई शिप्रा पहुँचती है और माता हरसिद्धि के द्वार होती हुई मंदिर शाम 6 बजे लौटती है, चूंकि कोविड काल है तो सवारी को सूक्ष्म रूप में परिवर्तित किया गया है.

पारम्परिक मार्ग में बदलाव

सलामी के बाद भगवान गणेश मंदिर के सामने से होते हुए हरसिद्धि मंदिर के समीप से नृसिंह घाट रोड पर सिद्ध आश्रम के सामने से होते हुए शिप्रा तट रामघाट पहुंचेगें. रामघाट पर मां क्षिप्रा के जल से बाबा श्री महाकाल के अभिषेक-पूजन के पश्चात सवारी रामानुजकोट, हरसिद्धी पाल से हरसिद्धी मंदिर के सामने से होकर बड़ा गणेश मंदिर के सामने से होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आयेगी.

ये होगा मार्ग

सवारी मार्ग में रामघाट मार्ग, बड़ा रामद्वारा, झा‍लरिया मठ के पहले, सिद्ध आश्रम कार्नर, सवारी पूजन स्थल, रामघाट, रामानुजकोट, हरसिद्धीपाल घाटी, श्री राम मंदिर, दत्त अखाड़ा, धर्मराज मंदिर आदि स्थानों से होती हुई महाकाल पहुचेंगी. इन सभी स्थानों पर सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाये गये है. व्यवस्था में लगे सभी लोगों को अनिवार्यत: मास्क धारण करने व समय-समय पर सेनेटाईजर का उपयोग करते रहने हेतु निर्देश दिये गये है. सवारी में आम श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रबंधित रहेगा.

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