उज्जैन। उज्जैन स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत आने वाले विकास कार्यों के साथ-साथ शहर के शुद्ध वातावरण और बिजली के उत्पादन पर भी अधिक जोर दिया जा रहा है. जिसके चलते शहर में अब वेस्ट सब्जियों से खाद ही नहीं बिजली भी उत्पन्न की जाने लगी है. जिसका फायदा शहर मिल रहा है.
वेस्ट सब्जी व फल से बना रहे बिजली
शहर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत सब्जी आदि के वेस्टेज से बिजली पैदा करने वाला बायो मेथेनेशन प्लांट शहर में स्थापित किया गया है. करीब 1.94 करोड़ रुपए की लागत से बने इस प्लांट में वेस्ट सब्जी व फल के सड़न से उत्पन्न होने वाली गैस से बिजली बनाई जा रही हैं. यह प्लांट मक्सी रोड स्थित सब्जी मंडी क्षेत्र में जीरो पॉइंट के समीप है. जिसमें नगर निगम बाय स्मार्ट सिटी का भरपूर योगदान है.
प्रतिदिन 9 हजार यूनिट बिजली उत्पादन
बायोमेथेनेशन प्लांट में शहर की पांच से छह सब्जी मंडियों से प्रतिदिन 5 मेट्रिक टन कचरा कलेक्ट कर प्लांट पर लाया जाता है. इतने कचरे से 320 क्यूबिक मीटर गैस प्रतिदिन जनरेट की जाती है. इसी गैस से करीब 30 किलो वाट बिजली प्रतिदिन पैदा होती है. महीने में 9 हजार यूनिट बिजली मिल जाती है. प्लांट से पैदा होने वाली बिजली विद्युत वितरण कंपनी को दी जाती है जो बिजली को आसपास के क्षेत्र की स्टेट लाइट चलाने में उपयोग कर रही है.
जानकारों के अनुसार यह इतनी मात्रा है, जिससे पूरे महीने मक्सी रोड सब्जी मंडी को बिजली सप्लाई हो सकती है
बिजली के साथ मिल रही है खाद
बिजली के साथ ही सब्जी के कचरे से प्रतिदिन डेढ़ टन 1500 किलो खाद भी बन रही है. इसके उपयोग को लेकर योजना बनाई गई है. साथ ही खाद को सब्जी विक्रेताओं को देने की योजना पर भी विचार चल रहा है. इस योजना से सब्जी विक्रेता व किसानों को सीधा लाभ मिलेगा. वहीं खेतों तक कंपोस्ट खाद भी पहुंच सकेगी.
बता दें यहां बिजली निर्माण की प्रक्रिया में प्रतिदिन करीब 6 हजार लीटर पानी लगता है
इस तरह बनती है खाद और बिजली
प्लांट इंजीनियर जितेंद्र कुमार पांडेय ने बताया कि यहां जितनी भी सब्जी मंडियां हैं, वहीं से एक गाड़ी के माध्यम से वेस्ट सब्जियां लाई जाती हैं. इसके बाद उसे क्रेशर मशीन वेस्ट सब्जियों को पीसी जाती है, जिसके बाद उसे चेंबर में पानी के साथ डालते हैं. जब पूरी तरह से मिल जाता है तो उसे तीन डिजास्टर मशीन में एक के बाद डाला जाता है. 15 से 20 दिन का प्रोसेस होता है. जिसमें वह सड़ने लगती हैं. सड़ने के बाद ऑटोमेटिक गैस निकलती है. जिसे पाइप लगाकर बलून में स्टोर किया जाता है. फिर 50 केवी का जनरेटर इलेक्ट्रॉनिक पैनल के माध्यम से मक्सी रोड स्थित बिजली विभाग की ग्रीट को सप्लाई कर देता है.
कलेक्टर ने की सराहना
गीले कचरे के लिए पहले भी जो कम्पोस्टिंग और दूसरे माध्यम अपनाए जाते थे, उससे हटकर निगम व स्मार्ट सिटी द्वारा बहुत ही प्रभावी और एप्रिसिएंट माध्यम बिजली बनाने का काम किया जा रहा है. जिससे ना केवल शहर का कचरा शहर में ही डिस्पोजल होगा बल्कि वातावरण को भी फायदा होगा. वहीं स्वच्छता सर्वेक्षण में उज्जैन का नाम नंबर वन होगा.