उज्जैन। उज्जैन में देशभर में चैत्र माह की नवरात्रि पर माता मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा है. 9 दिन तक श्रद्धालु माता की आराधना करते हैं. वहीं अष्टमी और नवमी के दिन श्रद्धालु अपनी कुल देवियां पूजते हैं. बुधवार को महाअष्टमी पर नगरवासियों की सुख समृद्धि की कामना के लिए अखाडा परिषद के अध्यक्ष ने 24 खंभा स्थित माता महामाया और महालाया को मदिरा का भोग लगाया. मान्यता है कि राजा विक्रमादित्य के समय से यह प्रथा चली आ रही है.
शासकीय दल नगर पूजा के लिए रवाना : चौबीस खंभा मंदिर में माता महालाया और महामाया मंदिर पर सुबह से ही श्रद्धालु पहुंचना शुरू हो गए. इसके बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज पहुंचे. उनके साथ कई साधु-संत भी थे. उन्होंने माता को मदिरा की धार चढ़ाई गई और पूजन सम्पन्न कराया. वहीं, शासकीय दल नगर पूजा के लिए निकला. ढोल व बैंड बाजों के साथ निकले शासकीय दल के सदस्य 12 घंटे तक 27 किलोमीटर के दायरे में आने वाले चामुंडा माता, भूखी माता, काल भैरव, चंडमुंड नाशिनी सहित 40 देवी, भैरव व हनुमान मंदिरों में पूजा करेंगे.
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परंपरा का निर्वहन : वैसे तो शारदीय नवरात्रि के समय शासकीय पूजा की जाती है. इस दौरान चौबीस खंभा माता मंदिर में उज्जैन कलेक्टर द्वारा मदिरा का भोग लगाया जाता है. कलेक्टर द्वारा जिस हांडी में मदिरा भरी रहती है, उसको लेकर सड़क पर चलते हैं और उसकी एक-एक बूंद सड़कों पर गिरती है. मान्यता है कि राजा विक्रमादित्य के समय से यह परंपरा चली आ रही है. ऐसा करने से माना जाता है कि शहर में सुख, शांति, समृद्धि मिलती है. इसलिए आज भी इस प्रथा को निभाया जा रहा है.