उज्जैन : महाकाल की नगरी उज्जैन में बीजेपी का प्रशिक्षण वर्ग चल रहा है. बीजेपी के तमाम विधायक सहित दिग्गज यहां मौजूद हैं. एक पुरानी मान्यता है कि, 'उज्जैन में कोई भी राजा यहां रात नहीं गुजारता, फिर चाहे वो शिवराज हो या महाराज, क्योंकि यहां के एक ही राजा हैं, वो हैं काल-भैरव'. शायद यहीं कारण है दिग्गज रात को ही यहां से रवाना हो जाते हैं. भाजपा के लिए ये प्रशिक्षण शिविर जहां अतीत को खंगालने का अवसर है, वहीं भविष्य के लिए नए संकल्प बुनने का भी अवसर है. उसे ये देखना है कि बीता हुआ दौर उसे क्या संदेश देकर गया और उस संदेश का क्या सबब है. क्योंकि ये पहली बार होगा जब ज्योतिरादित्य सिंधिया या यूं कहें उनके साथ आए मंत्री विधायकों को बीजेपी अपनी विचारधारा में ढालने की कोशिश करेगी, उन्हें अपनी रीति-नीति से बेहतर तरीके से वाकिफ कराया जाएगा.
महाकाल की नगरी में महाराज-शिवराज और संगठन
विधायकों को ट्रेनिंग देने के लिए खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान के अलावा राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, सह प्रभारी पंकजा मुंडे, संगठन महामंत्री सुहास भगत मौजूद हैं, इन सभी नेताओं ने बीजेपी को संवारा है. 2 लोकसभा सांसदों से बीजेपी को देश की सबसे बड़ी पार्टी बनाने में योगदान दिया है. ऐसे में अब इनके साथ महाराज भी हैं, ज्योतिरादित्य सिंधिया..
सिंधिया का 'सरकार' से प्यार: कांग्रेस पर प्रहार
सिंधिया समर्थकों को भगवा में रंगने की तैयारी !
इस प्रशिक्षण वर्ग की खास बात यह है कि सिंधिया समर्थक विधायक और मंत्री पहली बार इसमें शामिल हो रहे हैं. बीजेपी की पूरी कोशिश होगी कि सिंधिया समर्थक विधायक, मंत्रियों को बीजेपी की विराचरधारा में पूरी तरह ढाल दें, और उनमें सिंधिया समर्थक का ठपा इसी 'पाठशाला' से हट जाए. लेकिन क्या बीजेपी ऐसे कर पाएगी. मुख्यमंत्री शिवराज का वो कथन शायद आपको याद ही होगा जब उन्होंने कहा था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी दादी की परंपरा को निभाते हुए मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराई थी. यानी कांग्रेस की सरकारों को अलग-अलग समय में गिराने वाला पूरा सिंधिया वंश आज भाजपा में है. लोग इसका एक अर्थ यह भी निकालते हैं कि धोखा देने और स्वार्थ के लिए दलबदल करना सिंधिया के डीएनए में है, भाजपा जिसे हर बार अपनी ओर खींच लेती है.
उज्जैन में विधायकों की पाठशाला का आइडिया किसका ?
बीजेपी या आरएसएस, क्या आरएसएस चाहता है कि कांग्रेस से भाजपा में आए सभी विधायक उनकी विचारधारा में रम जाएं ? सिंधिया भी मध्यप्रदेश बीजेपी नेताओं से ज्यादा आरएसएस की चौखट में पहुंच रहे हैं. तभी तो नागपुर में उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से भी मुलाकात की थी. सिंधिया ने तब कहा भी कि यह केवल एक स्थान नहीं, बल्कि प्रेरणा स्थल है. उन्होंने आरएसएस जैसे संगठन का गठन किया जो देश की सेवा के लिए समर्पित है. यह स्थान देश सेवा के लिए ऊर्जा प्रदान करता है. आरएसएस और खुद बीजेपी भी चाहेगी कि सिंधिया समर्थक मंत्री, विधायक उज्जैन पाठशाला से पूरी तरीके से भगवे में रंग जाएं. आरएसएस और बीजेपी की सोच दूर की है, मध्यप्रदेश में नगर निकाय के चुनाव होने हैं और बीजेपी चाहेगी कि वो बेहतर प्रदर्शन कर कांग्रेस को एक भी मौका न दे, इसके बाद 2023 में विधानसभा चुनाव हैं और फिर 2024 में लोकसभा चुनाव. इस प्रशिक्षण वर्ग का असल मकसद भी एकजुटता दिखाना है. ऐसी एकजुटता कि सिंधिया समर्थक विधायक को आरएसएस और बीजेपी की विचारधारा को पूरी तरीके से समझाया जाए. इसके लिए बीजेपी और आरएसएस के बड़े मास्टर उन्हें ट्रेनिंग दे रहे हैं.
महाकाल की नगरी में 'महामंथन', 'विचारधारा' की चादर ओढ़ा रहे बीजेपी के दिग्गज
कभी कांग्रेसी रहे मंत्री सिलावट आज बीजेपी को कह रहे मां...
उज्जैन पाठशाला में पहुंचे मंत्री तुलसी सिलावट बीजेपी को मां कह रहे हैं. तुलसी सिलावट ने कहा कि बीजेपी में आकर बड़ा सुकून मिलता है और बीजेपी मां के आगंन की तुलसी है. वहीं सिंधिया भी राजशाही टोपी पहने सीधे महाकाल के दरबार पहुंचे और उसके बाद प्रशिक्षण वर्ग में शामिल हुए. मतलब साफ है सिंधिया समर्थक विधायकों के मुंह से बीजेपी को मां निकलना संदेश है कि महाकाल की नगरी में बीजेपी की पाठशाला से अब सिंधिया समर्थकों को घरवाला ही बनाकर रखना है. बीजेपी विधायकों का उत्साह और सिंधिया समर्थकों का पहली बार बीजेपी की पाठशाला में शामिल होने पर शिवराज भी गदगद होंगे, तो मुख्यमंत्री ने भी कह दिया कार्यकर्ता लालटेन की तरह होते हैं. कई बार लालटेन की कांच पर धूल जम जाती है, जिसके कारण उसका प्रकाश मंद्धम पड़ जाता है. कांच साफ करते ही प्रकाश फैलने लगता है. ठीक इसी तरह प्रशिक्षण वर्ग में कार्यकर्ताओं के विजन को साफ किया जाता है.
बीजेपी के हुए सिंधिया, मोदी-शाह को दिया धन्यवाद
लेकिन ये भी सच है...!
भले उज्जैन में बीजेपी प्रशिक्षण वर्ग में बीजेपी एकजुटता और विचारधारा की बात कर रही हो लेकिन, वर्तमान दौर में राजनीतिक दलों के लिए विचारधारा और सिद्धांत के कोई मायने नहीं बचे हैं, अगर किसी चीज का मतलब है तो वो है चुनाव जीतने का. यही वजह है कि राजनीतिक दल किसी को भी अपना उम्मीदवार बनाने में नहीं हिचकते. बीजेपी को सत्ता में लाने में जिन विधायकों ने मदद की है, उन्हें उम्मीदवार बनाने में पार्टी को कुछ भी गलत नहीं लगा. बहराल बीजेपी ने कांग्रेस छोड़ विधायकों को जरूर अपनी विचारधारा में रम तो देगी लेकिन उसे पाठशाला से वंचित अपने रूठे नेताओं की विचारधारा को बचाए रखना भी भविष्य में किसी बड़े चैलेंज से कम नहीं होगा.