उज्जैन। महाकाल की नगरी में कोरोना काल के 2 साल बाद अब पर्व की रौनक लौट आई है. सभी पर्वों में अब श्रद्धालुओं को शामिल होने की अनुमति मिल गई है. आज बुधवार से शुरू हुए चैत्र माह में भगवान गणेश के चिंतामन गणेश स्थित मंदिर में दर्शन करने का विशेष महत्व माना गया है. क्योंकि चैत्र माह में भगवान की जत्रा निकाली जाती है. इस दौरान भगवान को धान अर्पित कर संतान प्राप्ति व मांगलिक कार्य हेतु मनाया जाता है. मनोकामना पूर्ण होने पर अधिक संख्या में श्रद्धालु भगवान के चैत्र माह में दर्शन करने पहुंचते हैं. मान्यता है चिंतामन गणेश मंदिर की स्थापना भगवान श्रीराम और लक्ष्मणजी ने की थी. यहां एक मूर्ति में चिंतामन, इछामन और सिद्धिविनायक गणेश जी के दर्शन होते है. यह मंदिर शहर से 20 किमी की दूरी पर है.
श्रद्धालुओं को गर्भ गृह के बाहर से ही दर्शन : चैत्र माह शुरू होते ही बुधवार को शहर के चिंतामन गणेश मंदिर में पहली जत्रा कोरोना काल के दो साल बाद निकाली गई. मालवांचल और आसपास के राज्यों के श्रद्धालु भगवान चिंतामन गणेश का आशीर्वाद लेने पहुंचे. चैत्र माह के बुधवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए मंदिर समिति द्वारा विशेष प्रबंध किए गए. श्रद्धालुओं को गर्भ गृह के बाहर से ही दर्शन कराए गए. श्रद्धालुओं के लिए छाया, पेयजल और अन्य प्रबंध किए गए हैं. मंदिर प्रबंधक अभिषेक शर्मा के अनुसार मंदिर परिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होगा.
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चैत्र माह के प्रत्येक बुधवार को जत्रा की परंपरा : चिन्तामण गणेश मंदिर के पुजारी गणेश गुरु ने बताया कि उज्जैन में चैत्र माह में भगवान गणेश के पास श्रद्धालु मंगलकामना पूर्ण होने पर संतान प्राप्ति, मांगलिक कार्य की मनोकामना के बड़ी संख्या में देश व विदेश से पहुँचते हैं. चैत्र माह में श्रद्धालु नया धान भी भगवान गणेश को अर्पित करने पहुँचते हैं. चूंकि दो वर्ष से कोरोना संक्रमण के कारण श्राद्धालु दर्शन लाभ नहीं ले पा रहे, इसलिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं. चैत्र माह के प्रत्येक बुधवार को जत्रा की परंपरा है. इसके अलावा पूरे चैत्र माह में श्रद्धालु श्री गणेश के तीन रूप के दर्शन करने बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.
(After two years Jatra in Ujjain) ( Chintaman Ganesh mandir Ujjain)