उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा महाकाल की नगरी में एक हजार साल पुराना शिव मंदिर मिला है. फिलहाल इस मंदिर की खुदाई की जा रही है. धार्मिक नगरी उज्जैन का अपना ही पौराणिक इतिहास रहा है. जिसके साक्ष्य आज भी खुदाई में देखे जा सकते हैं. विगत दिनों महाकाल मंदिर परिसर क्षेत्र में खुदाई के दौरान मिले एक हजार वर्ष पुराने परमार कालिन मंदिर के बाद अब दोबारा शहर से 32 किलोमीटर की दूरी पर एक हजार साल पुराना शिव मंदिर मिला है. जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंचे पुरातत्व आधिकारियों ने इन बात की पुष्टि की है. पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष डॉ. राम कुमार अहिरवार ने बताया कि यह मंदिर बेसॉल्ट और ग्रेनाइट के पत्थरों से बनाया गया था. इसे लोहे के क्लांसा से कसा भी गया था जिसके साक्ष्य खुदाई में सामने आए हैं. खुदाई से भगवन शिव, विष्णु, ब्रह्मा व हरिहर की मूर्ति के साथ पीतल, तांबे के अवशेष भी देखें गए हैं और अब खुदाई का अवलोकन किया जा रहा है.
डॉ. राम कुमार अहिरवार ने जानकारी देते हुए बताया कि ये गौरव का क्षण है कि 1000 वर्ष पुराना शिव मंदिर दोबारा निकला है. शोध के लिए बच्चों को ढ़ेर सारी सामग्री यहां से मिल पाएगी. खुदाई में शिव की अलग-अलग मूर्तियां निकली है. 23 फरवरी को तमाम आलाधिकारियों संग हम दोबारा निरीक्षण के लिए पहुंचगं. इसके बाद आगे के निर्णय लिए जाएंगे. डॉ. राम कुमार ने यह भी कहा अगर 70 फीसदी मंदिर निकलता है तो यह खुशी की बात होगी कि हम मंदिर का दोबारा जीर्णोद्धार कर पाएंगे.
उज्जैन से 32 किलोमीटर दूर है कलमोड़ा गांव
शहर से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्त्तिथ कलमोडा के बल्डे के नीचे माताजी के ओटले के समीप यह मंदिर निकला है. मंदिर का आधा हिस्सा सुरक्षित मिला और बाकी का हिस्सा से भगवान हरि-हर, शिव, ब्रह्मा, विष्णु की मूर्ति संग तांबे पीतल के अवशेष निकले है. जिसमें मटकिया, दीपक और धूप पात्र है.
ज्ञात रहे 2028 में आने वाले कुंभ को लेकर अभी से शहर में तैयारियां जोरों पर है. उसी क्रम में स्मार्ट सिटी के तहत कार्यो को तेजी से गति दी जा रही है. विगत दिनों ही विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर परिसर क्षेत्र में प्रवेश द्वार के बने माता सती के मंदिर के ठीक पीछे खुदाई के दौरान 1000 वर्ष पुराना परमार कालीन मंदिर का चबूतरा निकला था. जिसके बाद निरीक्षण करने आए विक्रम विश्व विद्यालय शोध संस्था के पुरातत्व आधिकरियों ने अंदर कोयला, हवन कुंड व खाना बनाने के बर्तन के कुछ अंश देख थे. जिसके बाद रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट को शासन को सौंपी थी. लेकिन अब दोबारा मंदिर निकल उज्जैन के लिए गौराव का क्षण है. केंद्र के आदेश पर भोपाल, खजुराहो और मांडव के पर्यटन अधिकारी भी मंदिर आये थे. जिन्होंने रिपोर्ट तैयार कर कहा था. संबंधित आधिकरियों की देखरेख में जल्द कार्य शुरू होगा.
खुदाई में मिली मूर्तियां
ब्रह्ना की तीन मुख वाली भग्न प्रतिमा है. जिसके एक हाथ में पुस्तक, दूसरे में श्रुवा है
शिव की मूर्ति जटायुक्त मुकुट कुंडल तीन लड़ी हार से अलंकृत है. एक प्रतिमा में शिव संग विष्णु है.वहीं शिवलिंग और नंदी की भी प्रतिमा मिली है
मंदिर के भगनवाशेषों में आम्लक, शिखर, कलश, जगती, मंजरी, कपोती, लतावल्लभी, कीर्तिमुख, मगर मुख व अन्य हिस्से है. मंदिर की चौड़ाई तकरीबन 4.5 मिटर है व लंबाई 8.15 मीटर जिस्से अनुमान लगाया जा रहा ,है मंदिर करीब 15 मीटर ऊंचा होगा
कहां क्या मिला
1. कनीपुरा क्षेत्र में वश्य टेकरी में बौद्ध स्तूप मिले थे. दो हजार वर्ष पूर्व विक्रममदित्य कालीन. गढ़कालिका में प्राचीन देवी मंदिर
2. शहर के चौबीस खम्बा पर उत्खनन कार्य किया गया था. जिसमें 2600 साल पुराने जीवन के चिन्ह प्राप्त हुए थे
3. मत्स्येन्द्र नाथ समाधि क्षेत्र में क्षिप्रा में 2600 साल पुरानी लकड़ी की दीवारे और बंदरगाह के अवशेष पाए गए है
4. राजा भर्तृहरि का साधना स्थल (गुफा) कालभैरव मंदिर क्षेत्र में
5. एक हजार साल पुराने राजा भोज कालीन महाकाल में लगे शिलालेख
6. दुर्दारेश्वर जेथल में प्राचीन मंदिर आभूषण आदि का कारखाना, सप्त सागर शहर का सबसे पुराना जल प्रबंधन
7. गणितज्ञ वराह मिहिर का नगर कायथा ग्राम में 4000 वर्ष पुराने तांबे के हथियार, मिट्टी व तांबे के बर्तन, बस्ती, पात्र मीले थे
8. 1987 में महिदपुर में सर्वे के दोरान चार हजार वर्ष पुराने गायों के सिंग पर लगाने वाले स्वर्णानिष्क व अन्य सामग्री मिली थी
9. बड़नगर के दंगवाड़ा में 1976 में किये गए सर्वे में 4000 साल पुराने सिक्के, यज्ञ वेदिका ,पत्थर के मोती मीले थे
10. नागदा के टकरावदा में 2009 में हुए सर्वे में ताम्र सभ्यता के अवशेष पात्र आदि चंबल नदी में मिले थे