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उज्जैन में मां सरस्वती का 300 साल पुराना मंदिरः बसंत पंचमी पर स्याही से होता है माता का अभिषेक

उज्जैन में माता सरस्वती का 300 वर्ष पुराना मुगलकालीन मंदिर है. जहां बंसत पंचमी पर विद्यार्थी स्याही से विद्या की देवी का अभिषेक करते हैं. मंदिर में मां सरस्वती की काले पाषाण की मूर्ति विराजमान है, मान्यता है कि माता अपने भक्तों की मुराद पूरी करती है. (300 years old temple of Maa Saraswati in Ujjain)

300 years old temple of Maa Saraswati in Ujjain
उज्जैन में मां सरस्वती का 300 साल पुराना मंदिर
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Published : Feb 5, 2022, 5:10 PM IST

उज्जैन। पूरे देश में बसंत पंचमी पर माता सरस्वती की पूजा की जा रही है. धार्मिक नगर उज्जैन में एक ऐसा मंदिर जहां पर बसंत पंचमी के दिन छात्र-छात्राएं मां शारदे को स्याही चढ़ाकर उनकी पूजा करते हैं और अपने भविष्य की बेहतर पढ़ाई और करियर के लिए प्रार्थना करते हैं. परीक्षाओं के वक्त भी छात्र यहां आकर इंक और पेन चढ़ाते हैं, उनकी मान्यता है कि ऐसा करने से विद्या की देवी का आशीर्वाद मिलता है.

उज्जैन में मां सरस्वती का 300 साल पुराना मंदिर

बसंत पंचमी पर स्याही से अभिषेक
उज्जैन में चौरसिया समाज की धर्मशाला सिंहपुरी में माता सरस्वती का करीब 300 साल पुराना मंदिर है. जहां हर साल बंसत पंचमी पर सुबह से ही बड़ी संख्या में विद्यार्थी पूजा करने आते हैं. वैसे तो माता सरस्वती की पीले पुष्प अर्पित कर पूजा अर्चना की जाती है, लेकिन इस मंदिर में माता का स्याही से अभिषेक किया जाता है. छात्र कलम और दवात चढ़ाकर अपनी होने वाली परीक्षा के लिए मन्नते मांगते हैं. बसंत पंचमी पर यह सिलसिला सुबह से लेकर शाम तक चलता रहता है.

बसंत पंचमी पर भगवा रंग में रंगा भोजशाला! खाकी के साये में मां सरस्वती की हो रही पूजा-अर्चना

माता सरस्वती का मुगलकालीन मंदिर
उज्जैन के सिहंपुरी में स्थित यह मंदिर 300 वर्ष प्राचीन है. और मुगलों के दौर का है. इस मंदिर में काले पाषाण की मां सरस्वती की मूर्ति है. मां सरस्वती का ये मंदिर सिहंपुरी के सकरे मार्ग में है. बेशकीमती पाषाण की मूर्ति बहुत छोटे से मंदिर में वीराजमान है और भक्तों की इससे विशेष श्रद्धा है. यहां के पुजारी अनिल मोदी का कहना है कि छात्र यहां बसंत पंचमी के साथ-साथ अपनी परीक्षाओं के समय भी कलम और दवात चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं.

(300 years old temple of Maa Saraswati in Ujjain) (worshiped with ink)

उज्जैन। पूरे देश में बसंत पंचमी पर माता सरस्वती की पूजा की जा रही है. धार्मिक नगर उज्जैन में एक ऐसा मंदिर जहां पर बसंत पंचमी के दिन छात्र-छात्राएं मां शारदे को स्याही चढ़ाकर उनकी पूजा करते हैं और अपने भविष्य की बेहतर पढ़ाई और करियर के लिए प्रार्थना करते हैं. परीक्षाओं के वक्त भी छात्र यहां आकर इंक और पेन चढ़ाते हैं, उनकी मान्यता है कि ऐसा करने से विद्या की देवी का आशीर्वाद मिलता है.

उज्जैन में मां सरस्वती का 300 साल पुराना मंदिर

बसंत पंचमी पर स्याही से अभिषेक
उज्जैन में चौरसिया समाज की धर्मशाला सिंहपुरी में माता सरस्वती का करीब 300 साल पुराना मंदिर है. जहां हर साल बंसत पंचमी पर सुबह से ही बड़ी संख्या में विद्यार्थी पूजा करने आते हैं. वैसे तो माता सरस्वती की पीले पुष्प अर्पित कर पूजा अर्चना की जाती है, लेकिन इस मंदिर में माता का स्याही से अभिषेक किया जाता है. छात्र कलम और दवात चढ़ाकर अपनी होने वाली परीक्षा के लिए मन्नते मांगते हैं. बसंत पंचमी पर यह सिलसिला सुबह से लेकर शाम तक चलता रहता है.

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माता सरस्वती का मुगलकालीन मंदिर
उज्जैन के सिहंपुरी में स्थित यह मंदिर 300 वर्ष प्राचीन है. और मुगलों के दौर का है. इस मंदिर में काले पाषाण की मां सरस्वती की मूर्ति है. मां सरस्वती का ये मंदिर सिहंपुरी के सकरे मार्ग में है. बेशकीमती पाषाण की मूर्ति बहुत छोटे से मंदिर में वीराजमान है और भक्तों की इससे विशेष श्रद्धा है. यहां के पुजारी अनिल मोदी का कहना है कि छात्र यहां बसंत पंचमी के साथ-साथ अपनी परीक्षाओं के समय भी कलम और दवात चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं.

(300 years old temple of Maa Saraswati in Ujjain) (worshiped with ink)

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