उज्जैन। महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) परिसर में मिले करीब एक हजार साल पुराने मंदिर का अवलोकन करने बुधवार को भोपाल से पुरातत्व विभाग की केंद्रीय टीम पहुंची. दल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ( Archaeological Survey of India) मंडल भोपाल के अधीक्षण पुरात्तवविद डॉ पीयूष भट्ट और खजुराहो पुरातत्व संग्रहालय के प्रभारी केके वर्मा शामिल हैं. ये केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के निर्देश पर यह टीम पहुंची है.
कई नई जानकारियां मिलेंगी
प्रारंभिक निरीक्षण के बाद डॉ भट्ट ने बताया कि प्राचीन अवशेष (Ancient relics) की बनावट और उसकी नक्काशी देखकर यह दसवीं और ग्यारहवीं शताब्दी का मंदिर लग रहा है. अगली खुदाई देखकर करनी होगी. ताकि अवशेषों कोई नुकसान ना पहुंचे. उम्मीद जताई जा रही है कि इससे कई नई जानकारियां मिलेंगी.
आगे कब होगी खुदाई ?
फिर से खुदाई शुरू करने के सवाल पर डॉ भट्ट ने कहा कि आगे मंदिर समिति और प्रशासन को ही निर्णय लेना है. पुरातात्विक धरोहर को संरक्षित किया जाएगा. सर्वे कर लिया है, उस आधार पर जानकारी प्रदान की जाएगी. अभी इस संबंध में किसी तरह की रिपोर्ट सम्मिट नहीं की गई है. वहीं महाकाल मंदिर प्रशासक एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी ने इसे सामान्य प्रक्रिया बताया है. उन्होंने कहा कि जहां भी इस तरह की अवशेष पाए जाते हैं तो भारतीय पुरातत्व विभाग उनकी जांच करता है.
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दीवार की लंबाई अभी तय नहीं
विशेषज्ञों की टीम मंदिर परिसर में हर चीज का बारीकी से जांच कर रही है. कोशिश की जा रही है कि किसी भी पुरातात्विक महत्व की धरोहर को नुकसान न पहुंचे. डॉ भट्ट ने बताया, फिलहाल नहीं कह सकते कि यह प्राचीन दीवार और मंदिर कहां तक है. अभी प्रारंभिक निरीक्षण किया गया है.
परमार काल के बताए जा रहे अवशेष
महाकालेश्वर मंदिर परिसर में परमार कालीन पुरातन अवशेष मिले हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक ये परमार काल के किसी मंदिर का अधिष्ठान है. यहां विस्तारीकरण के लिए चल रही खुदाई के दौरान जमीन से करीब 20 फीट नीचे पत्थरों की प्राचीन दीवार भी मिली है. इन पत्थरों पर नक्काशी मिली है. इसके बाद खुदाई कार्य रोक दिया गया था.
ये भी जताई जा रही संभावना
ऐतिहासिक घटनाओं पर गौर किया जाए तो मुगल काल में महाकाल मंदिर को नुकसान पहुंचाया गया था. लेकिन कालांतर में मराठा शासकों ने इसका जीर्णोद्धार कराया. तो ये भी माना जा रहा है कि उस समय मुगल काल मे खंडित किए गए, अवशेष नए निर्माण के नीचे दबे रह गए होंगे.
मंदिर विस्तार के दौरान हुआ खुलासा
मंदिर विस्तार के लिए सती माता मंदिर के पीछे सवारी मार्ग पर जेसीबी से खुदाई की जा रही थी. इसी दौरान ये अधिष्ठान मिला है. इसके बाद काम रोक दिया गया था. जानकारी का कहना है कि अवशेष पर दर्ज नक्काशी परमार कालीन लग रही है. ये करीब 1000 वर्ष पुरानी हो सकती है.