टीकमगढ़। अभी तक पेय और ठंडक के लिए लोग केमिकल युक्त बाजार में उपलब्ध कई तरह के पेय पदार्थों का उपयोग करते आए हैं, इनसे तुरंत तो राहत मिलती है, लेकिन एक लंबे समय के बाद वो कई बार शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं. लेकिन अब इसका तोड़ निकाला है टीकमगढ़ जिले के मांडुमर गांव के तुलसी स्वं सहायता समूह की महिलाओं ने. यहां की एक समूह की महिलाओं ने बेर का शरबत तैयार किया है, जो पीने में तो स्वादिष्ट है ही स्वास्थ के लिए भी उतना ही लाभदायक है.
शुद्धता की पूरी गारंटी
इस समूह की तकरबीन 10 महिलाओं को 2014 में कृषि विज्ञान केंद्र ने सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक ट्रेंनिग दी थी, जहां इन महिलाओं को बेर के रस का पेय बनाना सिखाया गया था. उसके बाद इन महिलाओं ने बेर का रस बनाना चालू कर दिया और धीरे-धीरे इसी इलाके में पेय पदार्थ का एक ब्रांड बना दिया. मांडुमर के तुलसी स्वंसहायता समूह की महिलाओं के बनाए इस उत्पाद की शुद्धता की पूरी गारंटी रहती है.
![women of Mandumar village in Tikamgarh made desi sherbet from berry](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/9329005_mahila.jpg)
- बेर के शरबत को बनाने से पहले सूखे बेरों को उबाला जाता है
- उबाल के बाद उनको मसलकर उनका गुदा अलग किया जाता है
- फिर एक निश्चित मात्रा में पानी मिलाकर 2 घंटे तक उबाला जाता है
- उबलने के बाद उसमें शक्कर का सीरा मिलाकर ठंडा किया जाता है
- ठंडा होने के बाद उसमें चुकंदर का रस मिलाया जाता है
बस लो तैयार हो गया बुंदेलखंडी शरबत. अब इसे समूह की महिलाएं बोतल में उबर कर पैक कर दी जाती हैं और यह बाजार में बिकने के लिए तैयार हो जाता है.
![women of Mandumar village in Tikamgarh made desi sherbet from berry](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/9329005_mahila.png)
क्या है फायदे
- बेर में आयरन की मात्रा भरपूर होती है, जिससे शरीर में लौह अयस्कों की कमी पूरी होती है
- यह पीने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ इससे पेट की तमाम प्रकार की बीमारियों भी ठीक होती हैं
- इसके पीने से शरीर में पानी की कमी पूरी होती है
- इसमें एसिड की मात्रा होती है, इस कारण इसके सेवन से गैस और अपचन की बीमारी नहीं होती
क्या है कीमत, कितनी है कमाई
समूह की महिलाएं ज्यादातर 500 ग्राम शरबत ही बोलत में भरती हैं, जिसे तैयार करने में तकरीबन 20 रुपए का खर्च आता है और इसे बाजार में 35 से 40 रुपए में बेचा जाता है. इन्हीं पैसों से इस समूह की महिलाओं का घर चलता है और इससे हो रहे फायदे को वापस समूह में नए उत्पाद तैयार करने के लिए लगाया जाता है. गर्मियों के सीजन में इन महिलाओं को 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक का मुनाफा हो जाता है.
![women of Mandumar village in Tikamgarh made desi sherbet from berry](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/9329005_sarbat.png)
समूह ने मांगी मदद
आज के मिलावटी दौर में शुद्ध देसी और स्वास्थवर्धक पेय बनाकर इन महिलाओं ने मिशाल पेश की है. अभी ये सभी महिलाएं पूरा काम बिना मशीनों के करती हैं, जिससे उत्पादन तो कम होता ही है, समय के साथ-साथ मेहनत भी ज्यादा लगती है. ऐसे अगर इस समूह को एक उद्योग लगाने में मदद मिल जाए तो निश्चित रूप से इस इलाके के बाहर भी लोगों को शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक पेय उपलब्ध हो पाएगा. इसके लिए महिलाओं ने प्रशासन से मदद मांगी है, जिससे वो अपने उत्पाद को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा पाएं.
![women of Mandumar village in Tikamgarh made desi sherbet from berry](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/9329005_sarbt.png)
नहीं मिल पा रहा है बाजार
ये महिलाएं पिछले चार साल से शरबत बनाने का काम कर रही हैं. महिला समूह के इस उत्पाद की प्रदर्शनी प्रदेशभर में लगने वाले कई मेलों में हो चुकी है. लेकिन जिस हिसाब से इन्हें बाजार मिलना चाहिए अभी तक नहीं मिल पा रहा है. देशी और स्वास्थवर्धक ये पेय पदार्थ केवल टीकमगढ़ और उसके आस-पास के कुछ इलाकों तक ही सिमट गया है.