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जिला जेल में कैदी कर रहे सब्जी की खेती, कैदियों को परोसी जा रही शुद्ध-ताजी सब्जी

टीकमगढ़ जिला जेल में खाली पड़ी जमीन पर जो सब्जियां उगाई जाती हैं, उनमें ककड़ी, भिंडी, लौकी, कद्दू गिलकी, कटहल और शामिल है. ये सभी सब्जियां जेल में ही बंद कैदी द्वारा उगाया जाता है.

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Published : May 28, 2019, 5:39 PM IST

टीकमगढ़ जिला जेल में हो रही सब्जियों की खेती

टीकमगढ़। जिला जेल में बंद सजायाफ्ता बंदी और कैदियों को जेल प्रबंधन पौष्टिक और मिलावट रहित शुद्ध सब्जियां परोस रहा है. जिसे जेल के अंदर उगाया जाता है. जो बिल्कुल देशी और शुद्ध होती है. ये खेती जेल में बंद कैदियों से कराई जाती है, जिनकी सजा कम रह जाती है और जो कैदी विश्वसनीय होते हैं. फिलहाल, जेल में बंद 7 कैदी सब्जी की खेती और इनकी देखभाल करते हैं और तैयार सब्जी तोड़कर जेल में ले जाते हैं.

टीकमगढ़ जिला जेल में खाली पड़ी जमीन पर जो सब्जियां उगाई जाती हैं, उनमें ककड़ी, भिंडी, लौकी, कद्दू गिलकी, कटहल और शामिल है. ये सभी सब्जियां जेल में ही बंद कैदियों और बंदियों को खाने के लिए दी जाती है. इस तरह जेल में बंद 350 कैदियों को ताजा और हरी सब्जियां दी जाती हैं, जो कैदी सब्जी उगाने का काम करते हैं, उन्हें जेल प्रबंधन की तरफ से 72 रुपया प्रतिदिन के हिसाब से पारिश्रमिक भी दिया जाता है.

टीकमगढ़ जिला जेल में हो रही सब्जियों की खेती

जेलर का कहना है कि जो हरी सब्जियां कैदियों को परोसा जाता है, उनसे कैदी बीमार नहीं पड़ते हैं क्योंकि सब्जी ताजी, शुद्ध और पौष्टिक होती है. जेल में प्रतिदिन कैदियों को खाने में 40 किलो सब्जी लगती है. ज्यादा संख्या में कैदी होने के चलते बाजार से खरीदने के साथ ही जेल में उगाई जाने वाली हरी शुद्ध सब्जी कैदियों को खाने के लिए दी जाती है.

टीकमगढ़। जिला जेल में बंद सजायाफ्ता बंदी और कैदियों को जेल प्रबंधन पौष्टिक और मिलावट रहित शुद्ध सब्जियां परोस रहा है. जिसे जेल के अंदर उगाया जाता है. जो बिल्कुल देशी और शुद्ध होती है. ये खेती जेल में बंद कैदियों से कराई जाती है, जिनकी सजा कम रह जाती है और जो कैदी विश्वसनीय होते हैं. फिलहाल, जेल में बंद 7 कैदी सब्जी की खेती और इनकी देखभाल करते हैं और तैयार सब्जी तोड़कर जेल में ले जाते हैं.

टीकमगढ़ जिला जेल में खाली पड़ी जमीन पर जो सब्जियां उगाई जाती हैं, उनमें ककड़ी, भिंडी, लौकी, कद्दू गिलकी, कटहल और शामिल है. ये सभी सब्जियां जेल में ही बंद कैदियों और बंदियों को खाने के लिए दी जाती है. इस तरह जेल में बंद 350 कैदियों को ताजा और हरी सब्जियां दी जाती हैं, जो कैदी सब्जी उगाने का काम करते हैं, उन्हें जेल प्रबंधन की तरफ से 72 रुपया प्रतिदिन के हिसाब से पारिश्रमिक भी दिया जाता है.

टीकमगढ़ जिला जेल में हो रही सब्जियों की खेती

जेलर का कहना है कि जो हरी सब्जियां कैदियों को परोसा जाता है, उनसे कैदी बीमार नहीं पड़ते हैं क्योंकि सब्जी ताजी, शुद्ध और पौष्टिक होती है. जेल में प्रतिदिन कैदियों को खाने में 40 किलो सब्जी लगती है. ज्यादा संख्या में कैदी होने के चलते बाजार से खरीदने के साथ ही जेल में उगाई जाने वाली हरी शुद्ध सब्जी कैदियों को खाने के लिए दी जाती है.

Intro:एंकर इंट्रो / टीकमगढ़ जिला जेल में अनोखी पहल के दौरान जेल में बंद कैदियों ओर बंदियों को दी जाती है पोस्टिक सब्जियां जिससे उनको स्वास्थ्य रखा जा सके और यह सब्जियां जेल में ही उगाई जाती है


Body:वाईट /01 सी एल प्रजापति जेलर जिला जेल टीकमगढ़

वाईट /02 सूरज कैदी जिला जेल टीकमगढ़


वाइस ओबर / टीकमगढ़ जिला जेल में बंद सजायाफ्ता बंदी ओर कैदियों को जेल प्रबंधन द्वारा अनोखी पहल कर उनको पोस्टिक ओर मिलावट के दूर सुद्ध सब्जियां खिलाई जाती है बाजार की सब्जियां खाने से जेल में बंद कैदी बीमार होते थे क्योंकि उनमें रासायनिक केमिकल्स की मिलावट होती है जो हानिकारक होती है लेकिन जो सब्जियां जेल में उगाई जाती है वह बिल्कुल देशी ओर सुद्ध होती है जिनके खाने से कोई नुकसान नही होता है जिला जेल की जमीन में इन सब्जियों की खेती की जाती है और यह खेती जेल में बंद कैदी ही करते है जिनकी सजा कम रह जाती है और जो कैदी विस्वसनीय होते है अभी जो सब्जी की खेती की जाती है वह 7 कैदी करते है जो इन सब्जियों में पानी देकर उनकी देखभाल करते है और सब्जियां उगाकर खुद उनकी तोड़कर जेल में लेजाते है जिन्हें कैदियों को खाने को दी जाती है इस तरह से जेल में बंद 350 कैदियों को यह हरि सब्जियां दी जाती है जो काफी सुद्ध होती है


Conclusion:टीकमगढ़ जिला जेल में खाली पड़ी जमीन पर जो सब्जियां उगाई जाती है उनमें ककड़ी , भिंडी , लौकी, भिंडी ,कद्दू गिलकी ,कटहल, ओर भाजी भी उगाई जाती है और यह सभी सब्जियां जेल में ही जेल में बंद कैदियों ओर बंदियों को खाने को दी जाती है जो कैदी यह सब्जियां उगाने काम करते है उनको जेल प्रबंधन की तरफ से 72 रुपया प्रतिदिन के हिसाब से पारिश्रमिक भी दिया जाता है जिससे यह 7 कैदी जिनकी सजा काफी कम बची है यह सब्जियां उगाने का काम करते है और उनकी निगरानी में जेल पुलिस हमेसा तत्पर रहती है वही जेलर का कहना रहा कि उनके द्वारा जो हरि सब्जियां उगाकर कैदियों को खिलाई जाती है उनसे कैदी बीमार भी नही पड़ते है क्योंकि यह सुद्ध ओर पोस्टिक होती है जबकी जेल में प्रतिदिन कैदियों को खाने में 40 किलो सब्जियां लगती है जो बाजार से खरीदना पड़ती थी जो हानिकारक होती थी केमिकल के चलते ओर उनके खाने से अधिकांश्तर कैदी पेट की बीमारी से ग्रसित रहते थे लेकिन अब जेल में ही पैदा की जाने बाली सुद्ध सब्जियां खाने से जेल के कैदी स्वास्थ्य रहते है और उनको ताजा ताजा हरि सब्जियां खाने को दी जाती है वही इन सब्जियों को उगाने बाले कैदियों के भी कहना रहा कि जो सब्जियां हम लोग उगाते है उनको जेल के सभी कैदियों को खाने को दी जाती है और जेल का स्टाफ भी इनको खाता है जो बिल्कुल ताजा ताजा ओर बगैर मिलावट की होती है
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