ETV Bharat / state

टीकमगढ़ जिले में देशी फ्रिज का व्यापार हुआ चौपट, कुम्हारों के सामने आर्थिक संकट

गर्मी में मटकें नहीं बिकने से टीमगढ़ जिले के कुम्हार परेशान हैं. वे आधे घाटे में मटके बेचने को मजबूर हैं. लॉकडाउन के चलते कोई मटके खरीदने नहीं आ रहा है. जिससे उनके सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है.

Potter's pot kept for sale
बेचने के लिए रखे कुम्हार के मटके
author img

By

Published : May 26, 2020, 11:27 PM IST

टीकमगढ़। जिले में कोरोना के कहर के चलते मिट्टी के बर्तनों का व्यापार पूरी तरह ढप हो गया है. जिससे मिट्टी के बरतन बनाने वाले कुम्हारों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है. कुम्हारों के पास अपना घर चलाने के लिए पैसे नहीं हैं. जिससे वे काफी परेशान हैं. लोग तपती धूप में मटके रखकर ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कोई मटके खरीदने नहीं आ रहा है.

कुम्हारों का व्यापार हुआ चौपट

लॉकडाउन ने जिले के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों को आर्थिक मंदी में धकेल दिया है. शहर में करीब 30 जगहों पर यह लोग अपनी-अपनी दुकानें लगाते थे. जिसमें कलेक्टर बंगला, अस्पताल चौक, कटरा बाजार, लुकमान चौक, कोतवाली के सामने, मिश्रा तिराहा, पुरानी टेहरी, दीक्षित मुहल्ला शामिल है.

इस सीजन में 50 हजार से लेकर एक लाख रुपया तक के मटके हर दुकानदार बेचते थे और अच्छा खासा रोजगार चलाते थे, लेकिन इस बार कोरोना महामारी ने इन लोगों के रोजगार को बर्बाद कर दिया है. लोग दुकान तो लगाते हैं, लेकिन कोई खरीदने नहीं आता जिससे सारे मटके यूं ही रखे रह जाते हैं.

कुम्हारों का कहना है कि गर्मी को देखते हुए सोचा था कि इस बार अच्छी बिक्री होगी, इसलिए काफी मटके बनाये थे, लेकिन लॉकडाउन से सब फेल हो रहा है. इस बार जमा पूंजी और साहूकारों से उठाए पैसे भी खर्च हो गए. जिस हिसाब से मटकों के रेट थे, जिसमें 50 रुपया से लेकर 200 रुपया तक के मटके हैं, लेकिन ग्राहकों के न आने पर रोजी रोटी को लेकर आधे घाटे में बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है.

टीकमगढ़। जिले में कोरोना के कहर के चलते मिट्टी के बर्तनों का व्यापार पूरी तरह ढप हो गया है. जिससे मिट्टी के बरतन बनाने वाले कुम्हारों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है. कुम्हारों के पास अपना घर चलाने के लिए पैसे नहीं हैं. जिससे वे काफी परेशान हैं. लोग तपती धूप में मटके रखकर ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कोई मटके खरीदने नहीं आ रहा है.

कुम्हारों का व्यापार हुआ चौपट

लॉकडाउन ने जिले के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों को आर्थिक मंदी में धकेल दिया है. शहर में करीब 30 जगहों पर यह लोग अपनी-अपनी दुकानें लगाते थे. जिसमें कलेक्टर बंगला, अस्पताल चौक, कटरा बाजार, लुकमान चौक, कोतवाली के सामने, मिश्रा तिराहा, पुरानी टेहरी, दीक्षित मुहल्ला शामिल है.

इस सीजन में 50 हजार से लेकर एक लाख रुपया तक के मटके हर दुकानदार बेचते थे और अच्छा खासा रोजगार चलाते थे, लेकिन इस बार कोरोना महामारी ने इन लोगों के रोजगार को बर्बाद कर दिया है. लोग दुकान तो लगाते हैं, लेकिन कोई खरीदने नहीं आता जिससे सारे मटके यूं ही रखे रह जाते हैं.

कुम्हारों का कहना है कि गर्मी को देखते हुए सोचा था कि इस बार अच्छी बिक्री होगी, इसलिए काफी मटके बनाये थे, लेकिन लॉकडाउन से सब फेल हो रहा है. इस बार जमा पूंजी और साहूकारों से उठाए पैसे भी खर्च हो गए. जिस हिसाब से मटकों के रेट थे, जिसमें 50 रुपया से लेकर 200 रुपया तक के मटके हैं, लेकिन ग्राहकों के न आने पर रोजी रोटी को लेकर आधे घाटे में बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.