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टीकमगढ़ जिला अस्पताल बीमार, हॉस्पिटल में घूम रही है गाय, गंदगी का भी अंबार

टीकमगढ़ जिला अस्पताल में बने आईसीयू वार्ड में सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है. वहीं अस्पतार में जानवर भी खुले में घूमते हैं.

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Published : May 17, 2019, 11:58 AM IST

जिला अस्पताल

टीकमगढ़। जिला अस्पताल में बना स्पेशल आईसीयू वार्ड सिर्फ नुमाइश बनकर रह गया है. आईसीयू वॉर्ड में सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है. जिसके चलते मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. 52 डाक्टरों के पद स्वीकृत होने के बाद यहां 23 डॉक्टर ही हैं.


अस्पताल के आईसीयू वॉर्ड के हालात ऐसे हैं कि न सफाई है और नही एसी का इंतजाम. पूरे वार्ड में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. मरीजों को पंखे के सहारे रहना पड़ता है. चादर भी पूरी तरह गंदे हैं. मरीजों के मुताबिक वार्ड में कोई भी डॉक्टर नहीं रहता. जबकि आईसीयू वार्ड में एक डॉक्टर की ड्यूटी 24 घंटे रहती है.

आईसीयू में गंदगी का अंबार

गंदगी के साथ वार्ड में जानवर भी घूमते नजर आते हैं. टीकमगढ़ जिले का यह सबसे बड़ा अस्पताल है. जिसमें हर दिन 500 से लेकर 800 मरीजों की ओपीडी होती है. यहां पर मरीजो को डॉक्टरों के अभाव में रहना पड़ता है. जबकि इस अस्पताल में 52 डाक्टरों के पद स्वीकृत है. लेकिन यहां पर मात्र 23 डॉक्टर हैं. जिससे मरीजो को काफी परेशानी होती है, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

टीकमगढ़। जिला अस्पताल में बना स्पेशल आईसीयू वार्ड सिर्फ नुमाइश बनकर रह गया है. आईसीयू वॉर्ड में सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है. जिसके चलते मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. 52 डाक्टरों के पद स्वीकृत होने के बाद यहां 23 डॉक्टर ही हैं.


अस्पताल के आईसीयू वॉर्ड के हालात ऐसे हैं कि न सफाई है और नही एसी का इंतजाम. पूरे वार्ड में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. मरीजों को पंखे के सहारे रहना पड़ता है. चादर भी पूरी तरह गंदे हैं. मरीजों के मुताबिक वार्ड में कोई भी डॉक्टर नहीं रहता. जबकि आईसीयू वार्ड में एक डॉक्टर की ड्यूटी 24 घंटे रहती है.

आईसीयू में गंदगी का अंबार

गंदगी के साथ वार्ड में जानवर भी घूमते नजर आते हैं. टीकमगढ़ जिले का यह सबसे बड़ा अस्पताल है. जिसमें हर दिन 500 से लेकर 800 मरीजों की ओपीडी होती है. यहां पर मरीजो को डॉक्टरों के अभाव में रहना पड़ता है. जबकि इस अस्पताल में 52 डाक्टरों के पद स्वीकृत है. लेकिन यहां पर मात्र 23 डॉक्टर हैं. जिससे मरीजो को काफी परेशानी होती है, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

Intro:एंकर इंट्रो / टीकमगढ़ जिला अस्पताल का icu बार्ड मजाक बनकर रह गया है इसमें गंभीर मरीजो को मिलने बाली कोई सुबिधाये नही है जिससे ऐसी भीसड गर्मी में मरीज परेसान होने को मजबूर है और सुनने बाला कोई नही


Body:वाईट /01 श्रीमती उषा गोर मरीज टीकमगढ़

वाईट /02 डॉक्टर ओ पी अनुरागी सिविल सर्जन जिला अस्पताल टीकमगढ़

वाइस ओबर / टीकमगढ़ जिले के राजेन्द्र जिला अस्पताल का गंभीर मरीजो को भर्ती करने के लिए जो icu बार्ड बना है वह एक नुमाइश बनकर रह गया है यह बार्ड कहने को तो स्पेसल icu बार्ड है लेकिन इस बार्ड में icu जैसी कोई सुबिधाये नही है जिससे इसमे भर्ती मरीज काफी परेसान होते है icu बार्ड में गंभीर बीमारियों के मरीज भर्ती किये जाते है जिसमे सारी सुबिधाये होती है मगर इस बार्ड में न तो एक भी ac है और न ही कोई साफ सफाई जिससे सारे बार्ड में गंदगी ही गन्दगी नजर आती है जबकि अभी प्रतिदिन 43 से ऊपर गर्मी का पारा रहता है और ऐसे में गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को icu बार्ड में पंखो के सहारे रहना पड़रहा है जबकि इस बार्ड में ठंडक की अति आवश्यकता होती है लेकिन यह बार्ड कहने को तो icu बना दिया लेकिन इसमें icu बार्ड जैसी कोई सुबिधाये नही है और यह बार्ड सिर्फ नाम का icu है आकस्मिक गहन चिकित्सा इकाई में मरीजो के साथ मजाक किया जाता है इस बार्ड में एक भी ac नही लगा जबकि इस बार्ड में कम से कम 4 ac होना चाहिए मगर ऐसा कतई नही है और इस बार्ड में पर्दे ओर पलँगो के चादर काफी गन्दे रहते है जिससे मरीजो को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है और इस वार्ड में कोई भी डॉक्टर नही रहता जबकि icu बार्ड में एक डॉक्टर की डियूटी 24 घण्टो रहती है लेकिन यहां पर ऐसा कुछ भी नही


Conclusion:टीकमगढ़ जिला अस्पताल के icu बार्ड में भर्ती मरीजों ने भी आरोप लगाया कि यह वार्ड कहने को तो icu है लेकिन इसमे कोई सुविधाए नही है न ही इसमे ac है और न ही कोई डॉक्टर और बिस्तर ओर पर्दे गन्दे है जिससे मरीज गंदगी से ओर बीमार होते है तो वही इस मामले में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन का कहना रहा कि icu बार्ड में कोई गंदगी नही है बिस्तर साफ रहते है यदि कोई मरीज चादर गन्दे कर देता तो हम लोग क्या कर सकते है और यह अपने पर पर्दा डालते नजर आए और बोले icu बार्ड में ac नही है उनको लगवाया जावेगा ओर यह अस्पताल की अव्यवस्थाओ पर पर्दा डालते नजर जबकि जिलाअस्पताल में खुले आम खूंखार सांड वार्डो में कसरत करते नजर आते है जिससे ऐसा लगता कि यह इंसानों का अस्पताल है या फिर जानवरो का ओर यहां पर यह खूंखार सांड कई बार जिला अस्पताल में घुसकर मरीजो को चोटिल करते है लेकिन फिर भी कोई लगाम नही लगाया जाता और न ही व्यबस्थाये सुधारी जाती है टीकमगढ़ जिले का यह सबसे बड़ा अस्पताल है जिसमे प्रतिदिन 500 से लेकर 800 मरीजो की ओ पी डी होती है यहां पर जहाँ डक्टरों की कमी है और मरीजो को इनके आभाव में बाहर रिफर करना पड़ता है इस अस्पताल में 52 डाक्टरो के पद स्वीकृत है लेकिन यहां पर मात्र 23 डॉक्टर है जिससे मरीजो को काफी परेसानी होती है लेकिन सुनने बाला कोई नही
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