टीकमगढ़। कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन ने देश की आर्थिक स्थिति को बहुत नुकसान पहुंचाया है. जिसने सभी वर्गों को प्रभावित किया है. वहीं लोगों को न्याय दिलाने वाले भी इससे अछूते नहीं रहे हैं. इसी कड़ी में अधिवक्ताओं को भी आर्थिक बदहाली का सामना करना पड़ रहा है. टीकमगढ़ में करीब दो हजार अधिवक्ता हैं, जिन्हें लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है. हालात ये है कि अब इनके लिए परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में अधिवक्ताओं ने ईटीवी भारत से अपनी परेशानी साझा की है. साथ ही सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
5 माह से बंद हैं जिला कोर्ट
कोरोना महामारी के चलते कोर्ट बंद होने से टीकमगढ़ जिले के सैकड़ों अधिवक्ताओं के सामने भी रोजगार का संकट है. जिला न्यायलय में काम करने वाले सभी अधिवक्ता काम और आर्थिक संकट से दो चार हो रहे हैं. टीकमगढ़ जिला न्यायालय में 400 के करीब प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं के लिए कोरोनाकाल का समय मुश्किल भरा है. टीकमगढ़ जिला न्यायालय जवाहर यादव ने अधिवक्ताओं की परेशानी साझा करते हुए कहा कि कामकाज प्रभावित हुआ है. अधिवक्ता जवाहर यादव ने कहा कि सरकार दूसरे वर्ग के लिए लोगों के लिए मदद कर रही है लेकिन राज्य सरकार अधिवक्ताओं के लिए सहयोग को कोई रास्ता नहीं खोल रही है.
रोजी पर संकट
अधिवक्ताओं की माने तो कोरोना के समय में खाने के लिए उनके पास पैसे नहीं है. क्योंकि कोविड-19 की वजह से रोजगार ही छिन गया है. कोर्ट में अब केस लड़ने वाले लोग नहीं आ रहे हैं. टीकमगढ़ के सैकड़ों अधिवक्ताओं का घर, न्यायालय में प्रैक्टिस के सहारे चलता था लेकिन मार्च से सभी न्यायालय बंद हैं. जिससे उन्हें काम नहीं मिल रहा है.
नहीं आ रहे पक्षकार
कोरोना संक्रमण के कारण टीकमगढ़ का जिला कोर्ट एक समय में लोगों की भीड़ से भरा रहता था. लेकिन अब परिसर में सन्नाटा फैल गया है. जहां पर अधिवक्ताओं का मजमा लगता था आज वहां एक्का-दुक्का लोग ही कोर्ट परिसर में दिख जाते हैं. लेकिन आज गलियां और कोर्ट परिसर विरान पड़ा है.
दयनीय स्थिति से गुजर रहे वकील
जिला कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हीरालाल ने कहा कि कोरोना आने के बाद ही वकीलों की स्थिति खराब चल रही है. इस समय वकीलों के पास कोई काम का साधन नहीं है. वकीलों के पास इसके अलावा कोई काम भी नहीं आता है. उन्होंने कहा कि इस समय न तो कोर्ट में चालान नहीं आ रहे हैं और न ही कोई केस मिल रहे हैं.
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है, वहीं गरीब मजदूर, व्यवसायी सभी आर्थिक बदहाली की मार झेल रहे हैं. इन अधिवक्ताओं में कुछ ऐसे भी वकील हैं जो अदालत में वकालत के अलावा दूसरा कोई व्यवसाय नहीं करते, ऐसे में रोज कमाकर घर चलाने वाले वकीलों के सामने भूखे मरने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है. इस स्थिति में सभी ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.