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बड़ा सवाल: 2,600 पेड़ों की कटाई आखिर कहां गई ?

बानसुजारा बांध कैचमेंट एरिया से वन विभाग द्वारा 2,600 पेड़ों को काटा गया. इनमें सागौन, शीशम, शेस, छेवला सहित अन्य प्रजातियों के पेड़ शामिल थे.

Where did 2,600 trees be harvested
2,600 पेड़ों की कटाई आखिर कहां गई ?
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Published : May 17, 2021, 2:59 PM IST

टीकमगढ़। बानसुजारा बांध कैचमेंट एरिया से मई-जून 2019 में वन विभाग ने 2,600 पेड़ों की कटाई की, जिसमें काटे गए पेड़ों को वन काष्ठागार में भेजा जाना था, लेकिन पूरी लकड़ी वन काष्ठागार न पहुंचकर बीच में ही गायब हो गई. आरोप है कि वन अधिकारियों ने माफियाओं से मिलकर 2,600 पेड़ों को ठिकाने लगा दिया. मामले की शिकायत भृत्य बहादुर सिंह और घनेंद्र खरे ने सीसीएफ से की है.

50 लाख की लकड़ियां गायब

शिकायतकर्ता घनेंद्र खरे ने घोटाले में वन अधिकारी सुचिता मिशराम, दो वनकर्मी और माफियाओं सहित कई बड़े अधिकारियों का लिप्त होना बताया है. 50 लाख से अधिक कीमती लकड़ी आखिर कहां गई, यह जांच करने पहुंची टीम और आला अफसरों के दिमाग से परे था. वहीं, जांच में यह बात भी सामने आई कि बानसुजारा बांध के डूब क्षेत्र की लकड़ी आरा मशीन पर बेची गई. काटे गए इन पेड़ों में सागौन, शीशम, शेस, छेवला सहित अन्य प्रजातियों के पेड़ थे.

8 बैलगाड़ी में मिली लकड़ी

सीसीएफ के निर्देश पर तीन सदस्यीय टीम ने मौके पर पहुंचकर कैचमेंट एरिया सहित बलदेवगढ़ गोदाम की जांच की थी, जहां वन परिसर में करीब 8 बैलगाड़ी में लकड़ी भरी मिली. बलदेवगढ़ रेंजर राजेंद्र पस्तोर ने बताया कि जांच में कोई भी सबुत नहीं मिलने के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई. जांच में पाया गया कि काटे गए पेड़ विभागीय नियमों के अनुसार नहीं काटे है, ना ही पंजीयन पर वन परिक्षेत्र अधिकारी और वन मण्डलाधिकारी के हस्ताक्षर हैं. काटे गए पेड़ों का मिलान मार्किंग सूची से नहीं होता है. इसमें विभाग ने 2 लाख 14 हजार 535 रुपए की हानि होना बताया है, जबकि यह लकड़ियों की किमत लगभग 50 लाख रुपए के आसपास थी.

2,600 पेड़ों की कटाई आखिर कहां गई ?

विश्वविद्यालय में पेड़ों की कटाई, कुलपति ने दिए कार्रवाई के निर्देश

एसडीओ को मामलें की जांच सौंपने के बाद सिद्ध पाया गया

पिछलें एक महीने में तीन बार बानसुजारा बांध से काटी गई लकड़ी की जांच की गई. इसमें पहली जांच 29 जुलाई 2019, दूसरी जांच एक महीने बाद और तीसरी 20 सितंबर को हुई. निवाड़ी एसडीओ को मामलें की जांच सौंपने के बाद लकड़ी की चोरी का मामला सिद्ध पाया गया.

टीकमगढ़। बानसुजारा बांध कैचमेंट एरिया से मई-जून 2019 में वन विभाग ने 2,600 पेड़ों की कटाई की, जिसमें काटे गए पेड़ों को वन काष्ठागार में भेजा जाना था, लेकिन पूरी लकड़ी वन काष्ठागार न पहुंचकर बीच में ही गायब हो गई. आरोप है कि वन अधिकारियों ने माफियाओं से मिलकर 2,600 पेड़ों को ठिकाने लगा दिया. मामले की शिकायत भृत्य बहादुर सिंह और घनेंद्र खरे ने सीसीएफ से की है.

50 लाख की लकड़ियां गायब

शिकायतकर्ता घनेंद्र खरे ने घोटाले में वन अधिकारी सुचिता मिशराम, दो वनकर्मी और माफियाओं सहित कई बड़े अधिकारियों का लिप्त होना बताया है. 50 लाख से अधिक कीमती लकड़ी आखिर कहां गई, यह जांच करने पहुंची टीम और आला अफसरों के दिमाग से परे था. वहीं, जांच में यह बात भी सामने आई कि बानसुजारा बांध के डूब क्षेत्र की लकड़ी आरा मशीन पर बेची गई. काटे गए इन पेड़ों में सागौन, शीशम, शेस, छेवला सहित अन्य प्रजातियों के पेड़ थे.

8 बैलगाड़ी में मिली लकड़ी

सीसीएफ के निर्देश पर तीन सदस्यीय टीम ने मौके पर पहुंचकर कैचमेंट एरिया सहित बलदेवगढ़ गोदाम की जांच की थी, जहां वन परिसर में करीब 8 बैलगाड़ी में लकड़ी भरी मिली. बलदेवगढ़ रेंजर राजेंद्र पस्तोर ने बताया कि जांच में कोई भी सबुत नहीं मिलने के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई. जांच में पाया गया कि काटे गए पेड़ विभागीय नियमों के अनुसार नहीं काटे है, ना ही पंजीयन पर वन परिक्षेत्र अधिकारी और वन मण्डलाधिकारी के हस्ताक्षर हैं. काटे गए पेड़ों का मिलान मार्किंग सूची से नहीं होता है. इसमें विभाग ने 2 लाख 14 हजार 535 रुपए की हानि होना बताया है, जबकि यह लकड़ियों की किमत लगभग 50 लाख रुपए के आसपास थी.

2,600 पेड़ों की कटाई आखिर कहां गई ?

विश्वविद्यालय में पेड़ों की कटाई, कुलपति ने दिए कार्रवाई के निर्देश

एसडीओ को मामलें की जांच सौंपने के बाद सिद्ध पाया गया

पिछलें एक महीने में तीन बार बानसुजारा बांध से काटी गई लकड़ी की जांच की गई. इसमें पहली जांच 29 जुलाई 2019, दूसरी जांच एक महीने बाद और तीसरी 20 सितंबर को हुई. निवाड़ी एसडीओ को मामलें की जांच सौंपने के बाद लकड़ी की चोरी का मामला सिद्ध पाया गया.

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