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ऊर्जाधानी में बिजली कटौती स्थानीय लोगों के लिए बनी मुसीबत, सूखते की कगार पर किसानों की फसल

सिंगरौली में हजारों मेगा वाट की बिजली उत्पन्न होती है, इसके बावजूद भी जिले के ज्यादातर इलाकों में आठ से दस घंटे की बिजली कटौती होती है.

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Published : Aug 5, 2019, 5:17 PM IST

ऊर्जाधानी में बिजली कटौती स्थानीय लोगों के लिए बनी मुसीबत

सिंगरौली| देश के कई प्रदेशों को बिजली देने वाला सिंगरौली जिला आज खुद अंधेरे में है. सिंगरौली में हजारों मेगा वाट की बिजली का उत्पादन किया जाता है, इसके बावजूद भी जिले के ज्यादातर इलाकों में आठ से दस घंटे की बिजली कटौती होती है. यहां के लोगों का कहना है कि अगर बिजली रहती भी है, तो बोल्टेज इतना कम होता है कि ठीक से बल्ब तक नहीं जल पाते.

ऊर्जाधानी में बिजली कटौती स्थानीय लोगों के लिए बनी मुसीबत

सिंगरौली जिले के लोग बिजली कटौती से बेहद परेशान हैं. घरों के अंदर रहना मुहाल हो गया है. बारिश के महीने के बीच लोगों को बिजली ने इतना सताया है कि लोग उमस के कारण अपने घरों के अंदर नहीं रह पा रहे हैं. किसान की खेती भी सूख रही है. मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले को ऊर्जाधानी के नाम से जाना जाता है और यहां हजारों मेघा वाट बिजली उत्पन्न होती है. सिंगरौली जिले में एनटीपीसी, रिलायंस, हिंडालको एसआर, जेपी जैसे कई बड़े पावर प्लांट हैं, जो यहां के कोयले और पानी से बिजली उत्पन्न करते हैं.

ऐसा नहीं है कि बिजली की समस्या का जनप्रतिनिधियों को पता नहीं है. उन्हें कई बार बताया गया है. लेकिन इसके बावजूद अभी तक बिजली सुधार नहीं हो पाया है.

सिंगरौली| देश के कई प्रदेशों को बिजली देने वाला सिंगरौली जिला आज खुद अंधेरे में है. सिंगरौली में हजारों मेगा वाट की बिजली का उत्पादन किया जाता है, इसके बावजूद भी जिले के ज्यादातर इलाकों में आठ से दस घंटे की बिजली कटौती होती है. यहां के लोगों का कहना है कि अगर बिजली रहती भी है, तो बोल्टेज इतना कम होता है कि ठीक से बल्ब तक नहीं जल पाते.

ऊर्जाधानी में बिजली कटौती स्थानीय लोगों के लिए बनी मुसीबत

सिंगरौली जिले के लोग बिजली कटौती से बेहद परेशान हैं. घरों के अंदर रहना मुहाल हो गया है. बारिश के महीने के बीच लोगों को बिजली ने इतना सताया है कि लोग उमस के कारण अपने घरों के अंदर नहीं रह पा रहे हैं. किसान की खेती भी सूख रही है. मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले को ऊर्जाधानी के नाम से जाना जाता है और यहां हजारों मेघा वाट बिजली उत्पन्न होती है. सिंगरौली जिले में एनटीपीसी, रिलायंस, हिंडालको एसआर, जेपी जैसे कई बड़े पावर प्लांट हैं, जो यहां के कोयले और पानी से बिजली उत्पन्न करते हैं.

ऐसा नहीं है कि बिजली की समस्या का जनप्रतिनिधियों को पता नहीं है. उन्हें कई बार बताया गया है. लेकिन इसके बावजूद अभी तक बिजली सुधार नहीं हो पाया है.

Intro:सिंगरौली मध्य प्रदेश ही नहीं पूरे देश को बिजली देने वाला ऊर्जा धानी आज अंधेरे में है क्योंकि सिंगरौली में हजारों में गा वाट की बिजली उत्पन्न होती है इसके बावजूद भी जिले के ज्यादातर इलाकों मैं 8 से 10 घंटे लाइट नहीं रहती इस को लेकर जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूरी धतूरा मैं करीब 3 से 4 दिन तक बिजली नहीं क्योंकि बिजली नहीं दिन में होती है और ना ही रात में इतना ही नहीं अगर कभी कुछ घंटों रही भी तो बिजली जितना कम होता है उससे ठीक से बल्ब भी नहीं जलता


Body:दरअसल सिंगरौली जिले के लोगों को बिजली से बेहद परेशान है घरों के अंदर रहना दुर्लभ हो गया है इस बरसात के महीने के बीच लोगों को बिजली इतना सताया है कि लोग उमस कारण अपने घरों के अंदर नहीं रह पा रहे हैं वही किसान खेतों में जो धानका बीज डाले हैं वह भी सूख रहा है आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिला ऊर्जा धानी के नाम से जाना जाता है और यहां हजारों मेघा वाट बिजली उत्पन्न होती है सिंगरौली जिले में एनटीपीसी रिलायंस हिंडालको एसआर जेपी जैसे कई बड़े पावर प्लांट है जो यहां के कोयले और पानी से बिजली उत्पन्न करते है लेकिन जिले के लोगों का दुर्भाग्य देखिए कि जिस जिले में हजारों किलो वाट में आज बिजली उत्पन्न होती है उस जिले के लोग बिजली के लिए तरस रहे हैं


ऐसा नहीं है कि बिजली की समस्या जिला प्रशासन ने यहां के जनप्रतिनिधियों को पता नहीं है उन्हें कई बार बताया गया है इन सब के बावजूद भी अभी तक बिजली सुधार नहीं हो पाई है यही वजह है कि लोग बेहद परेशान और उमस के कारण लोग घरों में रहना और बरसात का महीना होने के कारण भी पानी की पानी की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है उन्हें क्योंकि बिजली न होने से बोरवेल से लोग पानी भी नहीं निकाल पा रहे हैं क्योंकि कृषि कार्य बोरवेल से ही करते हैं और विद्युत रहती नहीं यही वजह है कि लोग पानी के लिए भी परेशान हो रहे हैं और बिजली की समस्या को लेकर जिला प्रशासन का कोई भी
अधिकारी कुछ भी कहने से कतरा रहा है





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