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रिलायंस कोल ब्लॉक के विस्थापितों का बुरा हाल, नाली का पानी पीने को हैं मजबूर - singrauli news

सिंगरौली में रिलायंस कोल ब्लॉक के विस्थापितों की हालत खराब है. आलम ये है कि, इन विस्थापितों को पीने का पानी तक नसीब नहीं हो रहा है.

woman washes clothes in drain water
नाली के पानी में कपड़े धोती महिला
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Published : Feb 16, 2020, 8:49 AM IST

Updated : Feb 16, 2020, 10:39 AM IST

सिंगरौली। प्रदेश की ऊर्जा राजधानी कहा जाने वाला सिंगरौली जिला भले ही पूरे राज्य का अंधेरा मिटा रहा हो, लेकिन यहां कोल प्लांट की वजह से विस्थापित लोगों के जीवन में अंधेरा छाया हुआ है. जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर स्थित रिलायंस कोल ब्लॉक के विस्थापित मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं. आलम ये है कि, इनके पास न तो रहने के लिए मकान हैं और न ही पीने का पानी. ये लोग नालियों में बहता गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.

विस्थापितों का बुरा हाल

स्थानीय लोगों का कहना है कि, प्लांट लगाने के समय उनसे कई वादे किए गए थे. लेकिन कंपनी ने ब्राउंड्री बनाकर जगह घेर ली है. जिसकी वजह से उन्हें मजबूरन पीने के पानी के लिए नाले का पानी ही उपयोग करना पड़ता है. वहीं कलेक्टर केवीएस चौधरी से जब इस मामले में बात की गई, तो उन्होंने जल्द ही ग्रामीणों की समस्या के समाधान का आश्वासन दिया. बता दें ग्रामीण बहुत समय से इस समस्या से जूझ रहे हैं, बावजूद इसके जिला प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.

सिंगरौली। प्रदेश की ऊर्जा राजधानी कहा जाने वाला सिंगरौली जिला भले ही पूरे राज्य का अंधेरा मिटा रहा हो, लेकिन यहां कोल प्लांट की वजह से विस्थापित लोगों के जीवन में अंधेरा छाया हुआ है. जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर स्थित रिलायंस कोल ब्लॉक के विस्थापित मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं. आलम ये है कि, इनके पास न तो रहने के लिए मकान हैं और न ही पीने का पानी. ये लोग नालियों में बहता गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.

विस्थापितों का बुरा हाल

स्थानीय लोगों का कहना है कि, प्लांट लगाने के समय उनसे कई वादे किए गए थे. लेकिन कंपनी ने ब्राउंड्री बनाकर जगह घेर ली है. जिसकी वजह से उन्हें मजबूरन पीने के पानी के लिए नाले का पानी ही उपयोग करना पड़ता है. वहीं कलेक्टर केवीएस चौधरी से जब इस मामले में बात की गई, तो उन्होंने जल्द ही ग्रामीणों की समस्या के समाधान का आश्वासन दिया. बता दें ग्रामीण बहुत समय से इस समस्या से जूझ रहे हैं, बावजूद इसके जिला प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.

Last Updated : Feb 16, 2020, 10:39 AM IST
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