सिंगरौली। प्रदेश की उर्जाधानी के नाम से विख्यात सिंगरौली वैसे तो आज के दौर में यह अपनी पहचान बिजली, कोयला, सोना उत्पादन के रूप में बना चुकी है. इस इलाके में खनिज संपदा का भंडार है. यहां बड़ी मात्रा में बिजली, कोयला व सोने का उत्पादन हो रहा है. यही वजह है कि प्रदेश को सबसे अधिक राजस्व यहां से प्राप्त होता है. पहले यह इलाका काला पानी की सजा के रूप में विख्यात था.
जानें सिंगरौली का इतिहास: बता दें सिंगरौली को मूल रूप से श्रृंगवल्ली कहा जाता था. जिसका नाम ऋषि श्रृंगी के नाम पर रखा गया था. ऋषि श्रृंगी प्राचीन भारत के रामायण युग के प्रसिद्ध हिंदू संत थे. आजादी से पहले में सिंगरौली रियासत रीवा एस्टेट से संबंधित था. यह घने जंगलों और दुर्गम इलाकों से आच्छादित राज्य का सबसे दुर्गम क्षेत्र था. जिसे पार करना लगभग असंभव हो गया था. इसी कारण से रीवा रियासत के राजाओं ने सिंगरौली को खुली जेल के रूप में इस्तेमाल किया, ताकि वे गलत नागरिकों और अधिकारियों को बंदी बना सके. रीवा रियासत के राजा जब भी किसी को काला पानी की सजा का फैसला करते थे तो उसे बंदी बनाकर इस इलाके में भेज देते थे. यही वजह है कि इस इलाके को 'काला पानी की सजा' के रूप भी जाना जाता है.
यहां की रोशनी से देश-विदेश होता है रोशन: उर्जाधानी सिंगरौली जहां की बिजली से देश और विदेश भी रोशन होता है, लेकिन फिर भी देश के सबसे पिछडे़ इलाकों में से एक है. पड़ोस के जिले सीधी की बेटी नेहा विश्वकर्मा की शादी वर्ष 2018 में उर्जाधानी सिंगरौली जिले के चितरंगी क्षेत्र के नौगई -2 में हुई, लेकिन उसका ज्यादातर समय मायका में ही बीत रहा है. गांव की बेटी निशा भी ब्याह के बाद ससुराल गई तो मायका कम ही आई है. हकीकत में गांव की ज्यादातर औरतें ससुराल के बजाए मायका या फिर दूसरे स्थानों में रह रही हैं. बेटियां भी माएके कम ही लौटती हैं. वजह गांव में अब तक बिजली व्यवस्था नहीं होना है. यही वजह है कि चाह कर भी कई दूसरी औरतें ससुराल में नहीं रह पा रही हैं. उनके जैसा हाल गांव की अन्य बेटियों का भी है, जो ब्याह के बाद समस्या के मद्देनजर माएके नहीं आ पाती हैं. पूरा गांव बिना बिजली के परेशान है, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. गांव में पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं है. गांव में दो वर्ष पहले बिजली आपूर्ति के लिए व्यवस्था बनाए जाने के मद्देनजर खंभा तो लगा दिया गया, लेकिन अभी तक तार नहीं बिछाया जा सका है. कुछ महीने पहले ग्रामीणों की ओर से हायतौबा मचाई गई तो वहां ट्रांसफॉर्मर भी लगा दिया गया, लेकिन अभी तक न ही तार बिछाया गया है और न ही बिजली आपूर्ति शुरू की जा सकी है. नतीजा 42 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक तापमान में लोग गर्मी से बिलबिला रहे हैं.
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बेटों की नहीं हो रही शादी: यहां कोई बेटी की शादी नहीं करना चाह रहा है. यही वजह है कि गांव के लगभग हर घर में एक न एक शादी योग्य बेटा कुंवारा है. गांव में बिजली व सड़क की बदहाल स्थिति देखकर वहां कोई अपनी बेटी का रिश्ता नहीं करना चाहता है. वहीं बिजली विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सिंगरौली पूर्व में योजना के तहत बिजली आपूर्ति व्यवस्था बनाने के लिए कार्य शुरू किया गया था, लेकिन कार्य करने वाली एजेंसी बीच में ही काम छोड़कर भाग गई. बाद में योजना बंद हो गई. अब नए सिरे से प्रयास किया जा रहा है.