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हैंडपंप बदहाल, पेयजल पर सवाल, बूंद-बूंद पानी के लिए तरसता सीधी का बहरी कस्बा - पू्र्व मंत्री कमलेश्वर पटेल

सीधी जिले के बहरी कस्बे में ग्रामीण 100 मीटर नीचे खाई में बने गड्ढे का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं, धूप हो, बारिश या ठंड हमेशा पानी के लिए ग्रामीणों को जूझना पड़ता है.

sidhi
पानी की किल्लत
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Published : Jun 5, 2020, 7:24 PM IST

सीधी। मध्यप्रदेश की सत्ता में आने के लिए राजनीतिक पार्टियां विकास के कई दावे करती हैं, वहीं सरकार भी विकास के दावे करके थकती नहीं है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है. सीधी जिले में आज भी ऐसे अनेक गांव हैं जो बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज हैं, पानी की एक-एक बूंद के लिए ग्रामीणों को कितनी जद्दोजहद करनी पड़ती है, इसकी एक तस्वीर देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है. और जिम्मेदार मानते हैं कि सीधी जिले में पानी की कोई समस्या नहीं है.

पानी की किल्लत

नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण

सीधी जिले के बहरी कस्बे में 40 साल से अधिक समय तक कांग्रेस के विधायक रहे हैं. अनेक सरकार आई और चली गईं, लेकिन इस गांव की तस्वीर आज भी नहीं बदली. ग्रामीण 100 मीटर नीचे खाई में बने गड्ढे का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं, धूप हो, बारिश या ठंड हमेशा पानी के लिए ग्रामीणों को जूझना पड़ता है. ग्रामीण करीब 100 मीटर नीचे उतरकर पानी भरकर ऊपर चढ़ते हैं, जिले में 20 हजार से अधिक हैंडपंप खुदवाए गए, लेकिन इन बदनसीबों को एक भी हैंडपंप नसीब नहीं हुआ. ऐसा नहीं है कि विधायक, सांसद, कलेक्टर से इन लोगों ने पानी के लिए गुहार नहीं लगाई हो, लेकिन आज तक इन लोगों की किसी ने नहीं सुनी.

अपर कलेक्टर ने कहा नहीं मिली कोई शिकायत

गांव में एक बूंद पानी के लिए तरस रहे ग्रामीणों की एक तस्वीर जब अपर कलेक्टर को दिखाई तो उनका साफ कहना है कि पानी की परेशानी के लिए अब तक कोई शिकायत नहीं आई है और कोई शिकायत है भी तो पीएचई विभाग से संपर्क या नगर पालिका से संपर्क कर सकते हैं.

कमलेश्वर पटेल यहीं से जीतकर बने थे मंत्री

बहरहाल सरकार ने नल-जल योजना की शुरूआत की, जिसमें लाखों करोड़ों खर्च कर पानी की टंकियां बनाई गईं, सैकड़ों हैंडपंप खुदवाए गए, लेकिन फिर भी सीधी की जनता बूंद-बूंद पानी को तरस रही है. कांग्रेस के पूर्व पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल इसी इलाके से जीतकर मंत्री बने थे, लेकिन वोट लेने के लिए जरूर गांव पहुंच जाते हैं, जीतने के बाद मुड़कर पीछे नहीं देखते. ऐसे में देखना होगा क्षेत्र की जनता आखिर कब तक परेशान होती है.

सीधी। मध्यप्रदेश की सत्ता में आने के लिए राजनीतिक पार्टियां विकास के कई दावे करती हैं, वहीं सरकार भी विकास के दावे करके थकती नहीं है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है. सीधी जिले में आज भी ऐसे अनेक गांव हैं जो बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज हैं, पानी की एक-एक बूंद के लिए ग्रामीणों को कितनी जद्दोजहद करनी पड़ती है, इसकी एक तस्वीर देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है. और जिम्मेदार मानते हैं कि सीधी जिले में पानी की कोई समस्या नहीं है.

पानी की किल्लत

नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण

सीधी जिले के बहरी कस्बे में 40 साल से अधिक समय तक कांग्रेस के विधायक रहे हैं. अनेक सरकार आई और चली गईं, लेकिन इस गांव की तस्वीर आज भी नहीं बदली. ग्रामीण 100 मीटर नीचे खाई में बने गड्ढे का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं, धूप हो, बारिश या ठंड हमेशा पानी के लिए ग्रामीणों को जूझना पड़ता है. ग्रामीण करीब 100 मीटर नीचे उतरकर पानी भरकर ऊपर चढ़ते हैं, जिले में 20 हजार से अधिक हैंडपंप खुदवाए गए, लेकिन इन बदनसीबों को एक भी हैंडपंप नसीब नहीं हुआ. ऐसा नहीं है कि विधायक, सांसद, कलेक्टर से इन लोगों ने पानी के लिए गुहार नहीं लगाई हो, लेकिन आज तक इन लोगों की किसी ने नहीं सुनी.

अपर कलेक्टर ने कहा नहीं मिली कोई शिकायत

गांव में एक बूंद पानी के लिए तरस रहे ग्रामीणों की एक तस्वीर जब अपर कलेक्टर को दिखाई तो उनका साफ कहना है कि पानी की परेशानी के लिए अब तक कोई शिकायत नहीं आई है और कोई शिकायत है भी तो पीएचई विभाग से संपर्क या नगर पालिका से संपर्क कर सकते हैं.

कमलेश्वर पटेल यहीं से जीतकर बने थे मंत्री

बहरहाल सरकार ने नल-जल योजना की शुरूआत की, जिसमें लाखों करोड़ों खर्च कर पानी की टंकियां बनाई गईं, सैकड़ों हैंडपंप खुदवाए गए, लेकिन फिर भी सीधी की जनता बूंद-बूंद पानी को तरस रही है. कांग्रेस के पूर्व पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल इसी इलाके से जीतकर मंत्री बने थे, लेकिन वोट लेने के लिए जरूर गांव पहुंच जाते हैं, जीतने के बाद मुड़कर पीछे नहीं देखते. ऐसे में देखना होगा क्षेत्र की जनता आखिर कब तक परेशान होती है.

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