सीधी। लॉकडाउन और डीजल-पेट्रोल के मंहगा होने की वजह से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. टमाटर के महंगे होने से लोगों के रसोई का जायका बिगड़ रहा है. इसके साथ ही अन्य सब्जियों के दाम बढ़ने से आम आदमी की महंगाई कमर तोड़ रही है. न सिर्फ मजदूर वर्ग बल्कि व्यापारी, किसान और आम गृहणी महिला का बजट खराब हो रहा है. इसका एक बड़ा कारण लोकल सब्जी मंडी में बाहर से सब्जियों का ना आना भी है.
लॉकडाउन, बेमौसम बारिश और अब डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ने से सीधी में मंहगाई का असर देखा जा सकता है. इस बार प्याज की जगह टमाटर लोगों का जायका बिगाड़ रहा है. हालत यह है कि बेमौसम बरसात से किसानों की सब्जियों की फसल खराब हुई है. जिससे लोकल सब्जियां बाजार में आना बंद हो गई है. ऐसे में लगे कोरोना वायरस की वजह से लॉक डाउन और बढ़े डीजल पेट्रोल के दामो ने आग में घी का काम कर दिया है. रीवा, सतना, जबलपुर, इलाहाबाद, जैसी जगह से सब्जियां सीधी आती है. जिससे डीजल के दामो में इज़ाफ़ा होने से मालवाहक में भाड़ा अधिक लग रहा है.
60 से 80 प्रतिकिलो टमाटर
सीधी में टमाटर 60 रुपये से लेकर 80 रुपये बिक रहा है. टमाटर के बगैर सब्जी में स्वाद नहीं आता. जिससे टमाटर जरूरी हो जाता है. जहां आम आदमी एक किलो लेता था,अब एक पाव में काम चला रहा है,परवल, 40 रुपये किलो, भिंडी 30 रुपये किलो, आलू 30 रुपया, लौकी 20 रुपये, कद्दू, 25 रुपये, करेला, 30 रुपये किलो बिक रहा है. इस मंहगाई से आम आदमी तो प्रभावित हो रहा है. बल्कि फुटकर दुकानदार, मजदूर किसान, व्यापारी सभी की जेबें खाली हो रही है.
इस साल कोरोना वायरस की वजह से आम आम, व्यापारी, किसान मजदूर, परेशान हो रहा है. वहीं सब्जी विक्रेताओं को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. बढ़ती मंहगाई से आम लोगो के घरों का बजट तो बिगड़ता ही है. इसके साथ ही मंहगाई गरीब व माध्यम वर्ग की कमर तोड़ रहा है.