Sidhi Assembly Seat। राजनीति में एक छोटी सी घटना कितना बड़ा परिणाम डाल सकती है इसका सीधा-साधा उदाहरण सीधी में देखने को मिलता है. सीधी की घटना के बारे में सबको पता है कि प्रवेश शुक्ला नाम के एक भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता ने एक आदिवासी युवक के ऊपर शराब पीकर पेशाब करदी थी. जब इस घटना का वीडियो वायरल हुआ उसके बाद से पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी को खरी खोटी सुनाने को मिली थी. भारतीय जनता पार्टी को समस्या ज्यादा बड़ी तब हुई जब प्रवेश शुक्ल केदारनाथ शुक्ला का करीबी पाया गया.
केदारनाथ शुक्ला सिद्धि के एक वजनदार भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं. यहां से वे तीन मार विधायक रह चुके हैं लेकिन प्रवेश शुक्ल की वजह से केदारनाथ शुक्ला की राजनीति पर विराम लगा दिया. इस सीट से आप ने आनंद मंगल सिंह, बहुजन समाज पार्टी भाई रामखेलवान राजक, बीजेपी से रीती पाठक और कांग्रेस ने ज्ञान सिंह को चुनाव में उतारा है.
पिछले चुनाव का इतिहास: सीधी विधानसभा का बीते 50 साल का इतिहास बिल्कुल सीधा-साधा है. 1977 से 2003 तक इंद्रजीत पटेल सीधी विधानसभा से चुनाव लड़ रहे थे और सीधी की जनता ने उन्हें भरपूर समर्थन दिया. इंद्रजीत पटेल 2003 तक सीधी विधानसभा से सात बार विधायक रहे. इसके बाद सीधी की जनता ने परिवर्तन करने का मन बनाया और 2008 से 2023 तक सिद्धि के लोगों ने एक बार फिर अपना स्पष्ट जनादेश बिल्कुल एक तरफ रखा और उन्होंने केदारनाथ शुक्ला को अपना नेता बना लिया. 2008 से 2023 तक केदारनाथ शुक्ला इस विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके हैं. 2018 के चुनाव में केदारनाथ शुक्ला ने भारतीय जनता पार्टी को जीत दिलाई थी और कांग्रेस के प्रत्याशी कमलेश्वर द्विवेदी को 20000 वोटो से हरा दिया था.
सीधी का राजनीतिक समीकरण: लेकिन सीधी की सीधी सी राजनीति में इस बार जबरदस्त उठा पटक मची हुई है. सीधी लोकसभा क्षेत्र से सांसद रही रीति पाठक को भारतीय जनता पार्टी ने केदारनाथ शुक्ला की टिकट काटकर विधानसभा का प्रत्याशी बनाया है. रीति पाठक बेशक इस इलाके की संसद रही लेकिन में सिहावल क्षेत्र की रहने वाली हैं और उनका रिश्ता सिंगरौली से है. इसलिए सीधी की जनता उन्हें स्वीकार करने के मूड में नजर नहीं आ रही. इसलिए इस विधानसभा क्षेत्र का 2023 का चुनाव चतुष्कोणी हो गया है. कांग्रेस यहां से कमलेश्वर द्विवेदी को उतारने की तैयारी में है. आम आदमी पार्टी के आनंद मंगल सिंह भी चुनाव मैदान में खड़े हो गए हैं और खुद केदारनाथ शुक्ला भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. ऐसी स्थिति में सीधी की जनता के पास चार उम्मीदवार होंगे और सभी के अपने-अपने प्रत्याशियों को जिताने की कोशिश होगी.
चुनावी मुद्दे: यहां राजनीति भले ही जातिवाद परिवारवाद के अनुसार हो रही हो लेकिन सिद्धि के अपने चुनावी मुद्दे हैं जिनको लेकर जनता में आक्रोश है. सीधी को मिनी स्मार्ट सिटी बनाने की कोशिश की गई थी इसके लिए पैसा भी दिया गया लेकिन विकास उसे तरह नहीं हुआ. वहीं सीधी इस पूरे इलाके का बाजार है जहां लोग अपनी जरूरत का सामान खरीदने के लिए आते हैं. इसलिए यहां पर व्यवसाय करने वाले लोग हैं. इन लोगों का कहना है कि ''यहां रोजगार के अवसर निर्मित नहीं हुए और सीधी जिले के बहुत से लोग अभी भी पलायन करते हैं. ऐसी स्थिति में उनका रोजगार भी प्रभावित होता है और बाजार में उतनी रौनक नहीं होती जितनी रौनक होनी चाहिए.'' शिक्षा के मामले में लोगों का आरोप है कि आसपास के कई जिलों में मेडिकल कॉलेज तक की घोषणा हो गई लेकिन सीधी में इस विषय पर कोई काम नहीं किया गया.
अवैध कारोबार: सीधी विधानसभा का आम आदमी अवैध कारोबारों से भी परेशान है. क्योंकि यहां रेट का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है. पशुओं की तस्करी बड़े पैमाने पर होती है. इसके अलावा जंगल से इमारती लकड़ी के चोरी के मामले भी सामने आते हैं. क्योंकि सीधी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कोने पर है. इसलिए यहां कई अंतर राज्य अवैध व्यापार होते हैं और इनमें स्थानीय लोग शामिल होते हैं. इनको कहीं ना कहीं राजनीतिक समर्थन भी मिलता है.
भाजपा के लिए नाक का सवाल: रीति पाठक के चुनाव मैदान में उतरने से सीधी का चुनाव मध्यप्रदेश की आठ महत्वाकांक्षी विधानसभा चुनाव में से एक हो गया है. जहां पर भारतीय जनता पार्टी ने अपने सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा है. यह भारतीय जनता पार्टी के लिए नाक का सवाल बन नहीं है. वहीं, प्रवेश शुक्ल ने जो किया था उसे आदिवासी के सम्मान के लिए जनता क्या करेगी यह बोर्ड के जरिए पता लगेगा. क्योंकि प्रवेश शुक्ल ने जो किया था वह एक हरकत नहीं बल्कि एक मानसिकता है. जनता इस मानसिकता का समर्थन करेगी या इसका विरोध करेगी इसका पता चुनाव परिणाम में देखने को मिलेगा.