सीधी। बस हादसे को चार दिन बीत चुके हैं. इस दुखद बस हादसे में 54 से लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि सात जिंदगियां स्थानीय लोगों की मदद से बचा ली गई थी. इन रक्षकवीरों ने बताया कि महज तीन इंच की ऊंचाई कैसे 54 लोगों को असमय मौत के मुंह में धकेल दिया.
सीधी के सरदा गांव में जिस वक्त बस नहर में गिरी उस समय नहर के किनारे महेश बंसल मौजूद थे. वो नहर से कुछ मीटर की दूरी पर बैठे थे. जैसे ही तेज से धमाके की आवाज हुई. महेश बंसल नहर के पास पहुंचे. तब तक बस नहर में समा चुकी थी. इसी वक्त वहां पास में रह रहे युवा जगवंदन लुनिया और रामपाल भी दौड़ते हुए उनके पास पहुंचे. कुछ ही देर में महेश और जगवंदन को नहर में ऊपर की तरफ आते हुए दो लोग दिखे. जिसमें एक महिला व एक पुरुष थे. महेश और जगवंदन व रामपाल ने हाथ देकर दोनों को बाहर निकाला. महेश ने जिस शख्स को सहारा देकर बाहर निकाला था. वह बस का ड्राइवर बालेंद्र जयसवाल था. महेश और जगवंदन जब तक इन दोनों लोगों को बाहर निकालते तब तक कुछ लोग दूर तक नहर के पानी के तेज बहाव में आगे जा चुके थे. इनमें से नहर में डूब रहे सुरेश गुप्ता को शिवारानी ने पानी में कूंदकर बचाया था.
सीधी में 53 मौत: अंतिम पड़ाव पर पहुंचा रेस्क्यू
सबसे पहले बस का पता लगाकर अंदर गये महेश बंसल
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि करीब 25 फीट गहरी नहर में बहाव काफी तेज था. नहर के अंदर बस कहां हैं, किसी को दिख नहीं रही थी. उस वक्त महेश और उसके बाद जगवंदन पानी की तेज धार के बीच करीब 20 फिट नीचे गए और बस का पता लगाया. दोनों ही बिना आक्सीजन सिलेंडर के पानी के अंदर गए थे. उस वक्त तक राहत एवं बचाव कार्य की टीम नहीं पहुंची थी. महेश बंसल ने नेशनल फ्रंटियर से बातचीत में बताया कि पानी का बहाव बहुत तेज था. बस के ऊपर से करीब 12 फिट पानी बह रहा था. महेश ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले बस के बोनट में जाकर रस्सी बांधी. उनके इस काम में जगवंदन ने मदद की. बस के आगे का शीशा टूट चुका था. सुबह का वक्त था, मौसम भी ज्यादा खुला था. इस कारण बस के अंदर की स्थिति साफ नहीं दिख रही है.
प्रशासन के साथ मिलकर अकेले 38 लाशें बस से निकाली
महेश बंसल ने बताया कि घटनास्थल पर सबसे पहले डायल 100 की गाड़ी आई. इसके बाद प्रशासन की टीम आई. कुछ समय बाद पास स्थित प्लांट से क्रेन मशीन आई. पानी का बहाव ज्यादा होने के कारण क्रेन के मशीनमैन ने बस को खींचने से मना कर दिया. तब महेश बंसल बिना आक्सीजन सिलेंडर के बस के अंदर जाकर कई लाशें निकाली. फिर जैसे-जैसे पानी कम होता गया वैसे-वैसे बचाव अभियान चलता रहा. महेश बंसल ने बताया कि वो प्रशासन की टीम के साथ शाम छह बजे तक शवों को बाहर निकालने के अभियान में जुटे रहे.
हादसे की वजह एक छोटा सा जंपर.