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सीधी जिले में मजाक बनी जनसुनवाई, अधिकारी मोबाइल में व्यस्त, जनता हो रही त्रस्त

सीधी जिले में जन सम्मान पार्टी के बैनर तले ग्रामीणों ने बुनियादी सुविधाओं के लिए पैदल गांव मार्च निकाल कर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. लेकिन इस दौरान जनसुनवाई में अधिकारियों का अलग ही नाजारा देखने को मिला. जहां अधिकतर अधिकारी मोबाइल में व्यस्त दिखे

अधिकारी मोबाइल में व्यस्त, जनता हो रही त्रस्त
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Published : Nov 5, 2019, 10:55 PM IST

सीधी। जिले में जहां एक ओर बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज ग्रामीण पैदल मार्च निकालकर कलेक्टर को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंप रहे हैं. दूसरी तरफ जनता के लिए चलाए जा रहे जनसुनवाई कार्यक्रम में अधिकारी मोबाइल में व्यस्त रहते हैं. ग्रामीण अपनी फरियाद लेकर पहुंचते जरूर हैं लेकिन निराकरण बहुत ही कम फरियादियों का हो पाता है.

सीधी में जन सुनवाई बनी मजाक

जनसुनवाई में सैकड़ों ग्रामीण दूर-दूर से आकर अपनी समस्याएं बताते हैं फिर भी ग्रामीणों का बार-बार आना और शिकायत करना यही दर्शाता है कि जनसुनवाई मात्र एक औपचारिकता रह गई है. हर मंगलवार को होने वाली कलेक्टर की इस सुनवाई में अधिकतर अधिकारियों के लिए मोबाइल टाइम पास का बढ़िया साधन बन गया है, जनता की समस्या कैसे सुलझेगी इस बात से इन्हें कोई लेना देना नहीं होता. इन्हें तो बैठकर मोबाइल में शोसल मीडिया चलाने से फुरसत नहीं है.

ग्रामीणो ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

ग्रामीणो ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
अधिकारियों के इस रवइये के कारण जिले की जनता परेशान है. मंगलवार को जन सम्मान पार्टी के बैनर तले ग्रामीणों ने पैदल मार्च निकाल कर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. ग्रामीणो का आरोप है कि सड़क पानी बिजली व शिक्षा के अधिकारों से उन्हें वंचित रखा गया है. जिससे गांव के लोग पलायन करने को मजबूर हैं.

सीधी। जिले में जहां एक ओर बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज ग्रामीण पैदल मार्च निकालकर कलेक्टर को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंप रहे हैं. दूसरी तरफ जनता के लिए चलाए जा रहे जनसुनवाई कार्यक्रम में अधिकारी मोबाइल में व्यस्त रहते हैं. ग्रामीण अपनी फरियाद लेकर पहुंचते जरूर हैं लेकिन निराकरण बहुत ही कम फरियादियों का हो पाता है.

सीधी में जन सुनवाई बनी मजाक

जनसुनवाई में सैकड़ों ग्रामीण दूर-दूर से आकर अपनी समस्याएं बताते हैं फिर भी ग्रामीणों का बार-बार आना और शिकायत करना यही दर्शाता है कि जनसुनवाई मात्र एक औपचारिकता रह गई है. हर मंगलवार को होने वाली कलेक्टर की इस सुनवाई में अधिकतर अधिकारियों के लिए मोबाइल टाइम पास का बढ़िया साधन बन गया है, जनता की समस्या कैसे सुलझेगी इस बात से इन्हें कोई लेना देना नहीं होता. इन्हें तो बैठकर मोबाइल में शोसल मीडिया चलाने से फुरसत नहीं है.

ग्रामीणो ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

ग्रामीणो ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
अधिकारियों के इस रवइये के कारण जिले की जनता परेशान है. मंगलवार को जन सम्मान पार्टी के बैनर तले ग्रामीणों ने पैदल मार्च निकाल कर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. ग्रामीणो का आरोप है कि सड़क पानी बिजली व शिक्षा के अधिकारों से उन्हें वंचित रखा गया है. जिससे गांव के लोग पलायन करने को मजबूर हैं.

Intro:एंकर-- सीधी में होने वाली हर मंगलवार को कलेक्टर की जनसुनवाई अब धीरे-धीरे मजाक बनती जा रही है यहां हर मंगलवार को दूर-दूर से ग्रामीण अपनी फरियाद लेकर पहुंचते जरूर है लेकिन निराकरण बहुत ही कम फरियादियों का हो पाता है अधिकतर अधिकारी है तो टाइम पास करते हुए मोबाइल में सोशल मीडिया में व्यस्त दिखाई देते हैं वही कलेक्टर का कहना है कि आज साढ़े तीन सौ आवेदन आए हैं जिनमें राजस्व के मामले अधिक है।


Body:वाइस ओवर(1)-- सीधी के जिला पंचायत कार्यालय में आज कलेक्टर की जनसुनवाई आयोजित की गई जिसमें कलेक्टर मौजूद नहीं थे अपर कलेक्टर ने जनसुनवाई की हर मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में सैकड़ों ग्रामीण दूर-दूर से आकर अपनी समस्याएं बताते हैं लेकिन ग्रामीणों का बार बार आना और बार-बार शिकायत करना यही दर्शाता है कि जरूर भाई मात्र एक औपचारिकता रह गई है आते हैं, जनसुनवाई में अधिकतर अधिकारी अपने मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं और टाइम पास कर चले जाते हैं आज की जनसुनवाई कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी नहीं पहुंची अपर कलेक्टर डीपी वर्मा ने जनसुनवाई ली और 350 आवेदन आए जिनकी निराकरण का भरोसा अपर कलेक्टर ने दिया कलेक्टर का कहना है कि अधिकतर मामले राजस्व और बीपीएल सूची में नाम दर्ज कराने के लिए आते हैं जिनकी निराकरण के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दे दिया गया है।
बाइट(1)ड़ी पी बर्मन(अपर कलेक्टर सीधी)


Conclusion:बहरहाल जिले में हर मंगलवार को होने वाली कलेक्टर की इस सुनवाई में अधिकतर अधिकारियों के लिए टाइम पास का बढ़िया साधन बन गया है,जनता की समस्या कैसे सुलझेगी,इस बात से इन्हें क्या लेना देना,इन्हें तो बैठकर मोबाइल में शोसल मीडिया देखने के अलावा जनता के सुख दुख से कोई सरोकार नही होता,ऐसे में कहा जाए कि जन सुनवाई एक औपचारिकता के अलावा कुछ नही।
पवन तिवारी etv भारत सीधी।।
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