सीधी। इन दो बेटियों का हौसला बेटों से कहीं ज्यादा है. मां के बीमार होने और पिता के गांव से बाहर फंसे होने के बाद दोनों ने परिवार का बोझ अपने कंधों पर उठाया और खेती करने में जुट गई हैं. इन बेटियों का जज्बा देख ईटीवी भारत अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए इनकी आवाज बना और इन बेटियों की तकलीफ जिला प्रशासन की दहलीज तक पहुंचाई, लिहाजा प्रशासनिक अधिकारी इनके घर पहुंचे और उन्हें हरसंभव मदद का भरोसा दिया.
जिला प्रशासन के अधिकारियों ने न सिर्फ इन बेटियों को मनोबल बढ़ाया बल्कि उनकी पढ़ाई लिखाई और किसानी में मदद का पूरा भरोसा भी दिया. सीधी जिले के चुरहट इलाके के नवगंवा पंचायत में रहने वाली इन बेटियों के जज्बे को देख, हरियाणा के अंबाला की एक समाजसेवी संस्था आगे आई और शालू और रीतू के खाते में 25 हजार रुपए भी डाले हैं.
खबर का असर होने के बाद एक फिर ईटीवी भारत शालू और रीतू के घर पहुंचा, जिसके बाद दोनों ने खुशी जाहिर की है. उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन के अधिकारियों ने उन्हें मदद का भरोसा दिया है.
इस आधुनिक युग में भी ये बेटियां हर वो काम कर सकती हैं, जो बेटे कर सकते हैं. पिता कोरोना संकट की वजह से बाहर फंसे हुए हैं. मां बीमार है दो भाई छोटे हैं. लिहाजा घर के काम के साथ किसानी का बोझ भी दोनों बहने अपने कंधे पर उठा रही हैं.
नवगंवा पंचायत में रहने वाली शालू और रीतू घर में बैल न होने की वजह से खुद बैल बनकर खेत की जुताई कर रही हैं. इसके साथ मे पढ़ाई करती हैं और अपने दो भाइयों को पढ़ाते हुए घर का बोझ अपने कंधों पर लिए हुए है. हालांकि ईटीवी भारत की खबर के बाद जिला प्रशासन जागा है पढ़ाई लिखाई समेत आवास उपलब्ध कराने का भरोसा दिया है.