शिवपुरी। मध्य प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के कई दावे करती है, लेकिन मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले की ये तस्वीरें कुछ और हकीकत बयान कर रही है. यहां प्राथमिक शाला के बच्चे स्कूल भवन के चबूतरे पर बैठकर पढ़ाई करने के लिए मजबूर हो रहे है. इस भवन की हालत काफी जर्जर है. ये कभी भी गिर सकता है, इसलिए शिक्षक बच्चों को मैदान में या स्कूल के चबूतरे पर बैठाकर पढ़ाना सही समझते हैं(Shivpuri school bad condition). ये हालात शिवपुरी जिले के भानगढ़ गांव के सरकारी स्कूल की है.
खुले आसमान के नीचे पाठशाला: शिवपुरी के भानगढ़ गांव में शासकीय स्कूल का भवन पिछले करीब 5 से 6 साल से जर्जर अवस्था में है. बिल्डिंग की दीवारों में जगह-जगह बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी है. वहीं कमरों की छत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. स्कूल के अंदर जान का खतरा होने की वजह से शिक्षकों ने स्कूल को खुले आसमान के नीचे संचालित करना शुरू कर दिया. बच्चों को क्लासरूम की जगह बाहर मैदान में पढ़ाया जा रहा है. हाल यह है कि सर्दी, गर्मी और बारिश के दिनों में भी छात्रों को बाहर बैठकर ही पढ़ाई करनी पड़ती है.
जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान: स्कूल की हालत देखकर बच्चों के अभिवावक भी अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराने लगे हैं. स्कूल में दर्ज कक्षा एक से पांचवीं तक के 78 बच्चों में से कुछ बच्चे ही अब स्कूल में आ रहे हैं. इन सबके बावजूद जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और शिक्षा विभाग इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझ रहे. ग्रामीणों ने बताया कि जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी सिर्फ आश्वासन देकर ही खानापूर्ति कर रहे हैं.
आसमान के नीचे लगती है बच्चों की पाठशाला, भवन जर्जर जिम्मेदार अनजान
आला अधिकारियों ने भी नहीं लिया कोई एक्शन: स्कूल के प्रधानाध्यापक यमुना प्रसाद शर्मा ने बताया कि, "स्कूल भवन की छत जर्जर हालत में है. कभी भी बड़ा हादसा होने का खतरा है. इसके लिए कई बार आला अधिकारियों को सूचना दी गई है, लेकिन अधिकारियों द्वारा फिर भी कोई पहल नहीं किया गया है." उन्होंने बताया कि 78 बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां 3 शिक्षक पदस्थ हैं. स्कूल भवन की हालत जर्जर होने की वजह से बच्चों को चबूतरे पर या खुले आसमान के नीचे बैठाकर पढ़ाना पड़ रहा है(Shivpuri government school shabby building). इस संबंध में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी मोतीलाल खंगार का कहना है कि, "जर्जर हुए शासकीय स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए बीआरसीसी के माध्यम से प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जा चुका है. जर्जर भवनों की मरम्मत के लिए अभी तक कोई राशि शासन से स्वीकृत नहीं हुई है. शासन से राशि स्वीकृत होते ही जर्जर भवनों की मरम्मत कराई जाएगी."