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महामारी में अपने हुए पराए ! वृद्ध मां की मौत पर बेटा बोला: आप कर दो अंतिम संस्कार

दूसरी लहर में कोरोना संक्रमित होने के बाद सैंकड़ों लोग जान गवां चुके हैं. कुछ ऐसे मामले भी आ रहे हैं, जो मन को झकझोर देगी. लोगों में संक्रमण का ऐसा डर है कि जिंदगी के आखिरी दौर में लोगों ने अपनों का ही साथ छोड़ दिया.

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Published : May 27, 2021, 10:08 AM IST

Second wave of corona epidemic
कोरोना महामारी की दूसरी लहर

शिवपुरी। दूसरी लहर में कोरोना संक्रमित होने के बाद सैंकड़ों लोग जान गवां चुके हैं. इस बीच कुछ मामले ऐसे भी हैं, जो मन को झकझोर देगी. कोरोना संक्रमित होने का ऐसा डर है कि जिंदगी के आखिरी दौर में लोगों ने अपनों का ही साथ छोड़ दिया. इतना ही नहीं कुछ लोग तो शव को लावारिस छोड़कर चले गए.

मां को छोड़कर भागा बेटा

गुना के देहरावदा निवासी गुड्‌डी पत्नी कल्याण चिड़ार को उसके बेटे ने इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया. 23 मई की देर शाम गुड्‌डी की मौत हो गई. बेटे को अस्पताल परिसर में ढूंढा गया, तो वह नहीं मिला. इसके बाद शव को फ्रिजर में रखवाना पड़ा. पुलिस 24 मई को गांव पहुंची और परिजन को मौत के बारे में बताया. फोन पर बात हुई, तो बेटे ने कहा- आप तो जला आओ, हम मृत्यु प्रमाण पत्र आकर ले जाएंगे. हालांकि, समझाने के बाद 25 मई को बेटा और दो अन्य रिश्तेदार शिवपुरी आए, तब मुक्तिधाम पर अंत्येष्टि कराई गई.

22 अप्रैल को पत्नी की मौत हुई

श्योपुर के कुम्हार मोहल्ला निवासी चंद्रकला की पत्नी सनमान मंगल को जिला अस्पताल शिवपुरी में इलाज के लिए भर्ती कराया. पत्नी को यहां छोड़कर पति घर चला गया. 22 अप्रैल को पत्नी की मौत हुई, तो परिजन काे खोजना शुरू किया. कोई नहीं मिला तो शव को पीएम हाउस के फ्रिजर में रखवाना पड़ा. पता ढूंढकर श्योपुर प्रशासन के माध्यम से पति सनमान मंगल से संपर्क किया गया. श्याेपुर प्रशासन से दो बार पत्राचार के बाद सनमान मंगल अंत्येष्टि कराने शिवपुरी आए. इस दौरान अंत्येष्टि के इंतजार में पत्नी का शव आठ दिन फ्रिजर में रखा रहा.

MP के 45 जिलों में कोरोना कर्फ्यू में ढील, लेकिन भोपाल-इंदौर समेत 7 जिलों में रहेगी पाबंदी

जिला अस्पताल और जीएमसी हॉस्पिटल में इलाज के दौरान 1 मई से 26 मई तक मरीजों की मौतें होने के बाद 148 अंत्येष्टि कोविड गाइडलाइन के तहत कराई गईं हैं, जबकि सामान्य 202 अंत्येष्टि हुई हैं. वहीं, अप्रैल में काेविड प्रोटोकॉल से 81 और सामान्य 209 अंत्येष्टियां हुईं थीं, यानी अप्रैल की तुलना में मई महीने में अधिक मौतें हुईं हैं

शिवपुरी। दूसरी लहर में कोरोना संक्रमित होने के बाद सैंकड़ों लोग जान गवां चुके हैं. इस बीच कुछ मामले ऐसे भी हैं, जो मन को झकझोर देगी. कोरोना संक्रमित होने का ऐसा डर है कि जिंदगी के आखिरी दौर में लोगों ने अपनों का ही साथ छोड़ दिया. इतना ही नहीं कुछ लोग तो शव को लावारिस छोड़कर चले गए.

मां को छोड़कर भागा बेटा

गुना के देहरावदा निवासी गुड्‌डी पत्नी कल्याण चिड़ार को उसके बेटे ने इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया. 23 मई की देर शाम गुड्‌डी की मौत हो गई. बेटे को अस्पताल परिसर में ढूंढा गया, तो वह नहीं मिला. इसके बाद शव को फ्रिजर में रखवाना पड़ा. पुलिस 24 मई को गांव पहुंची और परिजन को मौत के बारे में बताया. फोन पर बात हुई, तो बेटे ने कहा- आप तो जला आओ, हम मृत्यु प्रमाण पत्र आकर ले जाएंगे. हालांकि, समझाने के बाद 25 मई को बेटा और दो अन्य रिश्तेदार शिवपुरी आए, तब मुक्तिधाम पर अंत्येष्टि कराई गई.

22 अप्रैल को पत्नी की मौत हुई

श्योपुर के कुम्हार मोहल्ला निवासी चंद्रकला की पत्नी सनमान मंगल को जिला अस्पताल शिवपुरी में इलाज के लिए भर्ती कराया. पत्नी को यहां छोड़कर पति घर चला गया. 22 अप्रैल को पत्नी की मौत हुई, तो परिजन काे खोजना शुरू किया. कोई नहीं मिला तो शव को पीएम हाउस के फ्रिजर में रखवाना पड़ा. पता ढूंढकर श्योपुर प्रशासन के माध्यम से पति सनमान मंगल से संपर्क किया गया. श्याेपुर प्रशासन से दो बार पत्राचार के बाद सनमान मंगल अंत्येष्टि कराने शिवपुरी आए. इस दौरान अंत्येष्टि के इंतजार में पत्नी का शव आठ दिन फ्रिजर में रखा रहा.

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जिला अस्पताल और जीएमसी हॉस्पिटल में इलाज के दौरान 1 मई से 26 मई तक मरीजों की मौतें होने के बाद 148 अंत्येष्टि कोविड गाइडलाइन के तहत कराई गईं हैं, जबकि सामान्य 202 अंत्येष्टि हुई हैं. वहीं, अप्रैल में काेविड प्रोटोकॉल से 81 और सामान्य 209 अंत्येष्टियां हुईं थीं, यानी अप्रैल की तुलना में मई महीने में अधिक मौतें हुईं हैं

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