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केश शिल्पियों के सामने रोजी रोटी का संकट, मुख्यमंत्री से की राहत पैकेज कि मांग - Unemployed hairdresser

कोरोना महामारी के कारण मध्यप्रदेश में लगाए गए कर्फ्यू के कारण कई व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गए हैं. रोज कमा कर खाने वाले लोगों को दो वक्त की रोटी की जुगाड़ करना मुश्किल हो गया है. वहीं प्रदेश सरकार द्वारा कई संगठनों को राहत पैकेज भी दिए जा रहे हैं, जिससे लोगों को जीवन यापन में परेशानियों का सामना ना करना पड़े. ऐसे ही केश शिल्पी संगठन ने भी सरकार से राहत पैकेज देने की मांग की है.

Hair craftsman's organization demands relief package from Shivraj government
केश शिल्पी संगठन की शिवराज सरकार से राहत पैकेज देने की मांग
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Published : Jun 1, 2021, 1:36 PM IST

शिवपुरी। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए छोटे व्यापारियों से बात की, एक हेयर कट सैलून व्यापारी ने कहा कि हम केश शिल्पी हैं. लोगों के बाल काट कर उनकी गंदगी दूर कर स्वच्छ बनाने का काम करते हैं. इसके एवज में जो भी हमें मजदूरी मिलती है, उससे अपना और परिवार का भरण पोषण करते हैं. लॉकडाउन लग जाने से ना तो दुकानें खुली और ना ही हम काम पर आ पाए. ऐसे में शिल्पियों के आर्थिक हालात बिगड़ गए हैं. और कोश शिल्पी संगठन (Hair Artist Organization) ने प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान (SHIVRAJ SINGH CHAUHAN) से राहत पैकेज की मांग की है. शिल्पियों का कहना है कि सरकार केश शिल्पी को 10 हजार रुपए प्रति महीने की आर्थिक सहायता का राहत पैकेज दे तो इससे हमारी स्थिति थोड़ी बहुत सुधर सकती है. सरकार से आग्रह है कि हमारी ओर भी ध्यान दें और सुनवाई करें.

दो जून की रोटी को मोहताज हुए शिल्पकार

केश शिल्पी संगठन के जिलाध्यक्ष ब्रहमानंद सेन ने संगठन की ओर से मांग रखते हुए कहा कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा कोरोना संक्रमण के चलते सैलून संचालकों को दुकान नहीं खोलने के निर्देश दिए गए. जिसके बाद केश शिल्पी के आर्थिक हालात बिगड़ गए है. स्थिति यह है कि उनके पास कोई पूंजी ना होने से वह दूसरा काम भी नहीं कर सकते और खाने-पीने के इंतजाम भी इनके पास नहीं बचे. ऐसे में सभी केश शिल्पियों को 10 हज़ार प्रतिमाह परिवार का आर्थिक पैकेज देकर सरकार चाहे तो इनकी मदद कर सकती है और उन्हें नया जीवन दान दे सकती है.

केश शिल्प व्यवसाय सबसे ज्यादा प्रभावित

इस कोरोना काल में सबसे ज्यादा आर्थिक रूप से केश शिल्प व्यवसाय टूटा है. जिससे पारिवारिक संकट बढ़ता जा रहा है. संकट की घड़ी में जहां प्रदेश सरकार सभी ओर अपने सहायता के हाथ बढ़ा रही है. लेकिन सैलून संचालकों को इससे दूर रखा गया है. जो न्याय संगत नहीं है. जिस पर सैलून संचालकों ने कहा कि हम मुख्यमंत्री जी से हम सब मांग करते हैं कि सैलून संचालकों के प्रति सहानुभूति रखते हुए, उन्हें प्रतिमाह आर्थिक सहायता देने की अनुशंसा की.

शिवपुरी। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए छोटे व्यापारियों से बात की, एक हेयर कट सैलून व्यापारी ने कहा कि हम केश शिल्पी हैं. लोगों के बाल काट कर उनकी गंदगी दूर कर स्वच्छ बनाने का काम करते हैं. इसके एवज में जो भी हमें मजदूरी मिलती है, उससे अपना और परिवार का भरण पोषण करते हैं. लॉकडाउन लग जाने से ना तो दुकानें खुली और ना ही हम काम पर आ पाए. ऐसे में शिल्पियों के आर्थिक हालात बिगड़ गए हैं. और कोश शिल्पी संगठन (Hair Artist Organization) ने प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान (SHIVRAJ SINGH CHAUHAN) से राहत पैकेज की मांग की है. शिल्पियों का कहना है कि सरकार केश शिल्पी को 10 हजार रुपए प्रति महीने की आर्थिक सहायता का राहत पैकेज दे तो इससे हमारी स्थिति थोड़ी बहुत सुधर सकती है. सरकार से आग्रह है कि हमारी ओर भी ध्यान दें और सुनवाई करें.

दो जून की रोटी को मोहताज हुए शिल्पकार

केश शिल्पी संगठन के जिलाध्यक्ष ब्रहमानंद सेन ने संगठन की ओर से मांग रखते हुए कहा कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा कोरोना संक्रमण के चलते सैलून संचालकों को दुकान नहीं खोलने के निर्देश दिए गए. जिसके बाद केश शिल्पी के आर्थिक हालात बिगड़ गए है. स्थिति यह है कि उनके पास कोई पूंजी ना होने से वह दूसरा काम भी नहीं कर सकते और खाने-पीने के इंतजाम भी इनके पास नहीं बचे. ऐसे में सभी केश शिल्पियों को 10 हज़ार प्रतिमाह परिवार का आर्थिक पैकेज देकर सरकार चाहे तो इनकी मदद कर सकती है और उन्हें नया जीवन दान दे सकती है.

केश शिल्प व्यवसाय सबसे ज्यादा प्रभावित

इस कोरोना काल में सबसे ज्यादा आर्थिक रूप से केश शिल्प व्यवसाय टूटा है. जिससे पारिवारिक संकट बढ़ता जा रहा है. संकट की घड़ी में जहां प्रदेश सरकार सभी ओर अपने सहायता के हाथ बढ़ा रही है. लेकिन सैलून संचालकों को इससे दूर रखा गया है. जो न्याय संगत नहीं है. जिस पर सैलून संचालकों ने कहा कि हम मुख्यमंत्री जी से हम सब मांग करते हैं कि सैलून संचालकों के प्रति सहानुभूति रखते हुए, उन्हें प्रतिमाह आर्थिक सहायता देने की अनुशंसा की.

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