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12th Result: श्योपुर की बेटी ने हासिल किया तीसरा स्थान, डॉक्टर बनना चाहती हैं माधवी

श्योपुर जिले से माधवी आर्य ने बायोलॉजी से 500 में 485 अंक हासिल करके प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है. माधवी के रिजल्ट से परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं है.

Madhavi Arya
माधवी आर्य
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Published : Jul 27, 2020, 8:00 PM IST

श्योपुर। मध्य प्रदेश बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ने सोमवार को 12वीं का रिजल्ट घोषित कर दिया है, जिसमें 68.81 फीसदी छात्रों ने बाजी मारी है. श्योपुर जिले से माधवी आर्य ने बायोलॉजी से 500 में से 485 अंक हासिल करके प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है. माधवी के रिजल्ट से परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं है.

Madhavi
परिवार में खुशी की लहर

माधवी शहर की हरिजन बस्ती में दो कमरे के एक छोटे से मकान में अपने 5 भाई- बहन और माता- पिता के साथ रहती हैं, उनके पिता कन्हैयालाल आर्य बस स्टैंड के पास फुटपाथ पर जूते चप्पल की छोटी सी दुकान लगाकर अपने परिवार का गुजारा करते हैं. उनके कुल पांच बच्चे हैं, जिनकी पढ़ाई लिखाई का जिम्मा भी उन्हीं के ऊपर है. परिवार की माली हालत ठीक नहीं होने के बावजूद मधु के पिता अपनी बच्ची की पढ़ाई लिखाई के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं.

माधवी का एमपी में तीसरा स्थान

माधवी का सपना है कि, वो आगे पढ़कर-लिखकर डॉक्टर बने, लेकिन उसके परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने की वजह से उसे डर है कि, कहीं उन्हें पढ़ाई बीच में ही नहीं छोड़नी पड़े, इसलिए मधु और उसके परिजन मधु की पढ़ाई के लिए सरकार से मदद की मांग कर रहे हैं.

छात्रा माधवी आर्य के पिता का कहना है कि, वो अपनी बच्ची को पढ़ाकर उसका डॉक्टर बनने का सपना पूरा करना चाहते हैं, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, इस वजह से सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं, उनका कहना है कि, 12वीं तक तो उन्होंने जैसे-तैसे अपनी बिटिया को पढ़ा लिखा लिया, लेकिन आगे की पढ़ाई कराने में उन्हें बहुत दिक्कते आएंगी.

श्योपुर। मध्य प्रदेश बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ने सोमवार को 12वीं का रिजल्ट घोषित कर दिया है, जिसमें 68.81 फीसदी छात्रों ने बाजी मारी है. श्योपुर जिले से माधवी आर्य ने बायोलॉजी से 500 में से 485 अंक हासिल करके प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है. माधवी के रिजल्ट से परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं है.

Madhavi
परिवार में खुशी की लहर

माधवी शहर की हरिजन बस्ती में दो कमरे के एक छोटे से मकान में अपने 5 भाई- बहन और माता- पिता के साथ रहती हैं, उनके पिता कन्हैयालाल आर्य बस स्टैंड के पास फुटपाथ पर जूते चप्पल की छोटी सी दुकान लगाकर अपने परिवार का गुजारा करते हैं. उनके कुल पांच बच्चे हैं, जिनकी पढ़ाई लिखाई का जिम्मा भी उन्हीं के ऊपर है. परिवार की माली हालत ठीक नहीं होने के बावजूद मधु के पिता अपनी बच्ची की पढ़ाई लिखाई के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं.

माधवी का एमपी में तीसरा स्थान

माधवी का सपना है कि, वो आगे पढ़कर-लिखकर डॉक्टर बने, लेकिन उसके परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने की वजह से उसे डर है कि, कहीं उन्हें पढ़ाई बीच में ही नहीं छोड़नी पड़े, इसलिए मधु और उसके परिजन मधु की पढ़ाई के लिए सरकार से मदद की मांग कर रहे हैं.

छात्रा माधवी आर्य के पिता का कहना है कि, वो अपनी बच्ची को पढ़ाकर उसका डॉक्टर बनने का सपना पूरा करना चाहते हैं, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, इस वजह से सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं, उनका कहना है कि, 12वीं तक तो उन्होंने जैसे-तैसे अपनी बिटिया को पढ़ा लिखा लिया, लेकिन आगे की पढ़ाई कराने में उन्हें बहुत दिक्कते आएंगी.

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