श्योपुर। स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर राज्य सरकार जो दावे करती वो खोखले नजर आ रहे हैं. इसकी तस्दीक जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल कर रहा है. यहां डॉक्टरों की भारी कमी है, जिसका खामिया मरीजों को भुगतना पड़ता है. दूर-दराज से आने वाले मरीज घंटों इंतजार के बाद मजबूर होकर वापस घर लौट जाते हैं.
जिला अस्पताल में स्वाथ्य सुविधाओं की बदहाली की मार सबसे ज्यादा गरीब तबके पर पड़ रही है, क्योंकि वो इलाज के लिए सिर्फ सरकारी अस्पताल पर निर्भर रहते हैं. उनके पास इतने पैसे नहीं कि वे प्राइवेट हॉस्पिटल में जाकर इलाज करा सकें.
आंकड़ों के हिसाब से स्थिति बदहाल
जिला अस्पताल में 30 विशेषज्ञ डॉक्टर होना चाहिए, जिनमें से फिलहाल यहां एक भी मौजूद नहीं है. इसके अलावा इमरजेंसी ड्यूटी संभालने के लिए 49 डॉक्टरों की जरूरत हैं, जिमसें से महज 18 ही डॉक्टर पदस्थ्य हैं, जबकि ओपीडी के अलावा दूसरे वार्डों में भर्ती मरीजों को संभालने के लिए एक भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं है.
राजस्थान जाते हैं मरीज
मरीजों से बातचीत में यह जानकारी सामने आई है कि श्योपुर जिले के अधिकतर मरीज राजस्थान के कोटा, सवाईमाधौपुर और बारां में जाकर अपना इलाज करवाते हैं. क्योंकि जिला अस्पताल में वो स्वास्थ्य सुविधा नहीं है, जो राजस्थान के जिला अस्पताल में उपलब्ध हो जाती है.