श्योपुर। कहा जाता है कि एक गंदी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है. लेकिन आज इसका ठीक उलट एक ऐसी मछली के बारे में बता रहे हैं, जो डेंगू के डंक के कह से लोगों को बचा सकती है. इस मछली का नाम गम्बूजिया है और ये मछली सिर्फ डेंगू ही नहीं बल्कि आपको मलेरिया की चपेट में आने से भी बचा सकती है.
ये एक ऐसी मछली है जो डेंगू मलेरिया फैलाने वाले जानलेवा मच्छरों के लार्वा को खाकर मच्छरों के कहर से बचा सकती है. मलेरिया और डेंगू के प्रकोप से निपटने के लिए गम्बूजिया मछली को हथियार बनाने की तैयारी विजयपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शुरू हो चुका है. मछली पालन के लिए विभाग ने एक हैजरी का निर्माण कराया है. गर्मी का मौसम शुरू होने के साथ ही पनपने वाले मच्छरों को रोकने के लिए गम्बूजिया को मछली छोड़ने की योजना तैयार की है. डेंगू और मलेरिया के लार्वा मिलते ही ये मछलियां तेजी से उन्हें खाना शुरू कर देती हैं.
एक महीने में करीब 50 से 200 अंडे देती है गम्बूजिया मछली
मलेरिया सुपरवाइजर मोहम्मद साहब कुरैशी का कहना है कि डेंगू फैलाने वाली मादा 'ऐडीज मच्छर' और मलेरिया फैलाने वाली मादा 'एनाफलीज मच्छर' को फैलने से रोकने के लिए तालाबों के पानी में गम्बूजिया मछली छोड़ी जाएंगी. पानी पर अंडे देने वाले मच्छरों के लार्वा से मच्छर पैदा होने से पहले ही यह मछली चट कर जाएगी और मच्छरों की बढ़ती तादाद पर कुछ हद तक रोक लगेगी. गम्बूसिया मछली 24 घंटे में 100 से 300 लार्वा खा सकती है. गम्बूसिया मछली को ग्रो होने में 3 से 6 महीने का वक्त लगता है. एक मछली एक महीने में करीब 50 से 200 अंडे दे सकती है और यह करीब 4 से 5 साल तक जिंदा रह सकती है. विजयपुर और आस पास के गांव के कुछ तालाबों और पार्कों में वाटर बॉडीज बनाकर इन मछलियों को उनमें छोड़ा जाएगा. विजयपुर स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार विजयपुर के लगभग 82 ग्रामों में 200 से ज्यादा जगहों पर इन मछलियों को छोड़ा जाएगा.