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80 वर्षीय बैगा आदिवासी की पेंटिंग की दुनिया है दीवानी, इटली में लगी प्रदर्शनी

उमरिया जिले के लोढ़ा गांव निवासी राष्ट्रपति की दत्तक संतान 80 साल की जोधइया बाई की कलाकारी की दुनिया मुरीद है. उनकी बनाई कला की प्रदर्शनी इटली के मिलॉन शहर में लगी है. अब फ्रांस में भी उनकी चित्रकारी प्रदर्शित की जाएगी.

80 साल की जोधइया बाई बैगा स्टार पेंटर
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Published : Oct 5, 2019, 8:48 PM IST

Updated : Oct 5, 2019, 10:07 PM IST

शहडोल। जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिजूल है कद आसमान का. पर हौसला बनाने की कोई उम्र नहीं होती, तभी तो 80 साल की जोधइया बाई के हौसले के आगे युवा पानी भरते नजर आते हैं, 30 साल की उम्र में पति का साथ छूटने के बाद बच्चों की परवरिश का जिम्मा जोधइया बाई के कंधों पर आ गया और मजदूरी के सहारे बच्चों की भूख मिटाने लगीं, लेकिन कम आय के चलते बच्चों को कई बार फांका भी मारना पड़ जाता था, तभी 60 साल की उम्र में स्वामी आशीष ने जोधइया बाई को ब्रश पकड़ा दिया, फिर तो जोधइया बाई खुद ही अपने सपनों में रंग भरने लगीं और देखते ही देखते एक नामी कलाकार बन गईं.

80 साल की जोधइया बाई बैगा स्टार पेंटर

शहडोल संभाग के उमरिया जिले के लोढ़ा गांव की रहने वाली बैगा आदिसावासी जोधइया बाई इन दिनों चर्चा में हैं क्योंकि 80 साल की उम्र में भी उनकी कलाकारी की दुनिया मुरीद है. उनकी बनाई कला की प्रदर्शनी इटली के मिलॉन शहर में लगी है. जो 11 अक्टूबर तक चलेगी. उनके हुनर की धाक ऐसी है कि प्रदर्शनी के आमंत्रण पत्र का कवर पेज भी जोधइया बाई की पेंटिंग से रंग दिया गया है. कहने के लिए तो जोधइया बाई अनपढ़ हैं, वो इटली को सिर्फ सोनिया गांधी के घर के नाम से जानती हैं. पर उनकी कला अच्छे-खासे पढ़े-लिखों के पसीने छुड़ाने के लिए काफी है.

जोधइया बाई के गुरू जनगण तस्वीर खाना के संचालक आशीष स्वामी जोधइया बाई के कला से बहुत प्रभावित हैं, वे कहते हैं कि उनमें एक अलग ही टैलेंट है, तभी तो इतने कम समय में इतना कुछ सीख लिया, जोधइया ने बढ़ती उम्र को भी अपनी कामयाबी के आड़े नहीं आने दिया. उसी का नतीजा है कि इटली जैसे देश में उनकी कलाकारी का कद्र हो रहा है, अब फ्रांस में भी उनकी चित्रकारी प्रदर्शित की जाएगी.

जोधइया बाई बैगा की चित्रकारी मध्यप्रदेश के जनजाजीय संग्रहालय, शांति निकेतन, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा सहित कई अलग अलग जगहों पर प्रदर्शित की जा चुकी है, 80 साल की उम्र में भी जोधइया बाई बैगा का जोश 20 साल के युवा से कम नहीं है. जो अपने हुनर से बुजुर्गों के साथ-साथ युवाओं व समाज के लिए बड़ी नजीर पेश कर रही हैं.

शहडोल। जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिजूल है कद आसमान का. पर हौसला बनाने की कोई उम्र नहीं होती, तभी तो 80 साल की जोधइया बाई के हौसले के आगे युवा पानी भरते नजर आते हैं, 30 साल की उम्र में पति का साथ छूटने के बाद बच्चों की परवरिश का जिम्मा जोधइया बाई के कंधों पर आ गया और मजदूरी के सहारे बच्चों की भूख मिटाने लगीं, लेकिन कम आय के चलते बच्चों को कई बार फांका भी मारना पड़ जाता था, तभी 60 साल की उम्र में स्वामी आशीष ने जोधइया बाई को ब्रश पकड़ा दिया, फिर तो जोधइया बाई खुद ही अपने सपनों में रंग भरने लगीं और देखते ही देखते एक नामी कलाकार बन गईं.

80 साल की जोधइया बाई बैगा स्टार पेंटर

शहडोल संभाग के उमरिया जिले के लोढ़ा गांव की रहने वाली बैगा आदिसावासी जोधइया बाई इन दिनों चर्चा में हैं क्योंकि 80 साल की उम्र में भी उनकी कलाकारी की दुनिया मुरीद है. उनकी बनाई कला की प्रदर्शनी इटली के मिलॉन शहर में लगी है. जो 11 अक्टूबर तक चलेगी. उनके हुनर की धाक ऐसी है कि प्रदर्शनी के आमंत्रण पत्र का कवर पेज भी जोधइया बाई की पेंटिंग से रंग दिया गया है. कहने के लिए तो जोधइया बाई अनपढ़ हैं, वो इटली को सिर्फ सोनिया गांधी के घर के नाम से जानती हैं. पर उनकी कला अच्छे-खासे पढ़े-लिखों के पसीने छुड़ाने के लिए काफी है.

जोधइया बाई के गुरू जनगण तस्वीर खाना के संचालक आशीष स्वामी जोधइया बाई के कला से बहुत प्रभावित हैं, वे कहते हैं कि उनमें एक अलग ही टैलेंट है, तभी तो इतने कम समय में इतना कुछ सीख लिया, जोधइया ने बढ़ती उम्र को भी अपनी कामयाबी के आड़े नहीं आने दिया. उसी का नतीजा है कि इटली जैसे देश में उनकी कलाकारी का कद्र हो रहा है, अब फ्रांस में भी उनकी चित्रकारी प्रदर्शित की जाएगी.

जोधइया बाई बैगा की चित्रकारी मध्यप्रदेश के जनजाजीय संग्रहालय, शांति निकेतन, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा सहित कई अलग अलग जगहों पर प्रदर्शित की जा चुकी है, 80 साल की उम्र में भी जोधइया बाई बैगा का जोश 20 साल के युवा से कम नहीं है. जो अपने हुनर से बुजुर्गों के साथ-साथ युवाओं व समाज के लिए बड़ी नजीर पेश कर रही हैं.

Intro:बाइट-01 जोधइया बाई (बैगा चित्रकार)
बाइट-02 आशीष स्वामी (जोधइया बाई के गुरु)

80 साल की ये बैगा आदिवासी बनी इंटरनेशनल कलाकार, इनकी बनाई कलाकृतियां इटली में बिखेर रहे रंग

शहडोल- कहते हैं कामयाबी की कोई उम्र नहीं होती है, संघर्ष के आगे बस जीत ही होता है, जोधइया बाई बैगा जैसी उम्रदराज महिलाएं इसकी उदाहरण हैं, तभी तो उम्र 80 की हो चुकी है, लेकिन जोधइया बाई बैगा आज दुनियाभर में अपना नाम कमा रही हैं, कलाकारी ऐसी की इटली में उस कला को सम्मान मिल रहा। Body:शहडोल संभाग के उमरिया जिले के लोढ़ा की रहने वाली जोधईया बाई इन दिनों चर्चा में है, क्योंकि 80 साल की इस आदिवासी महिला के हस्त चित्रों की प्रदर्शनी इटली के मिलॉन शहर में लगी है। ये प्रदर्शनी 11 अक्टूबर तक चलेगी, और तब तक जोधइया के इस कला का प्रदर्शन होता रहेगा।

60 साल की उम्र से ब्रश पकड़ा, और 80 साल की उम्र में इस बुजुर्ग आदिवासी कलाकार को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिल गई, जोधईया बाई बैगा ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया, 30 साल की उम्र में पति गुजर गए, घर का गुजारा करने के लिए पहले इधर उधर से मजदूरी करती रहीं लेकिन जब गुजारा नहीं हो पाया तो फिर आशीष स्वामी के पास पहुंच गईं जहां उन्होंने ब्रश उठा लिया, और चित्रकारी की कला सीखने लगीं, और आज दुनियाभर में नाम कमा रही हैं, जोधईया बाई के गुरू जनगण तस्वीरखाना के संचालक आशीष स्वामी जोधइया बाई के कला से बहुत प्रभावित हैं, और वो कहते हैं कि उनमें एक अलग ही टैलेंट है, तभी तो इतने कम समय में इतना कुछ सीखा, बढ़ती उम्र को अपनी कामयाबी के आड़े नहीं आने दिया, और आज उसी का नतीजा है कि इटली जैसे देश में उनकी कलाकारी का कद्र हो रहा है, और हो सकता है कि अब फ्रांस जैसे देश में में भी उनके चित्रकारी का प्रदर्शन किया जाए।
Conclusion:इटली को ऐसे जानती हैं जोधइया बाई

जोधइया बाई बैगा पढ़ी लिखी नहीं हैं, लेकिन इटली जैसे देश का नाम बस इसलिए जानती हैं क्योंकि सोनिया गांधी वहां की हैं, और उन्हीं के नाम से उस देश को जानती हैं।

कई जगह प्रदर्शित हो चुकी हैं कलाकृतियां
जोधइया बाई की कलाकृतियां इटली के मिलॉन शहर में ही बस प्रदर्शित नहीं हो रही हैं बल्कि जोधइया बाई बैगा के चित्रों की धाक ऐसी है कि मिलॉन शहर में आयोजित की जा रही इस प्रदर्शनी के आमंत्रण का कवर पेज भी जोधईया बाई की पेंटिंग से ही रंगा हुआ है।

जोधईया बाई बैगा की चित्रकारी मध्यप्रदेश के जनजाजीय संग्रहालय, शांति निकेतन, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, जैसे कई अलग अलग जगहों पर प्रदर्शित की जा चुकी हैं। इसके अलावा इनकी कला के कई विदेशी कद्र दान भी हैं जो इनके बनाए हुए लोकचित्रों को ले जा चुके हैं।

Last Updated : Oct 5, 2019, 10:07 PM IST
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