शाजापुर। देश और प्रदेश में भले ही कोरोना की तीसरी लहर दस्तक देने लगी हो, लेकिन शाजापुर के जिला अस्पताल में कोरोना नहीं आ सकता. यहां के जिला अस्पताल की हालत देखकर आप भी यही कहेंगे क्योंकि यहां जो हालात हैं उन्हें देखकर लगता ही नहीं है यहां किसी को कोरोना का संक्रमण होने का कोई डर है. महिलाएं, छोटे बच्चे सब पूरी तरह बेफिक्र दिखाई देते हैं. जिला अस्पताल के डॉक्टर भी जिन्हें एक ही पलंग पर दो-दो मरीजों को एडमिट करने में कोई शर्म भी नहीं आ रही है. वे अस्पताल में इंतजाम का रोना तो रोते हैं, लेकिन अपनी जिम्मेदारी पर चुप्पी साध जाते हैं. एक रिपोर्ट
मरीज ज्यादा, बेड कम
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच शाजापुर के जिला अस्पताल में भारी बदइंतजामी है. स्वास्थ्य सुविधाएं तो छोडि़ए, यहां आने वाले मरीजों को पलंग तक नसीब नहीं हो रहे हैं. अस्पताल के ज्यादातर वार्डों में यही स्थिति है. एक पलंग पर दो-दो मरीजों का इलाज हो रहा है. सोशल डिस्टेंसिंग तो भूल ही जाइए. महिला प्रसूती वार्ड की हालत तो और भी खराब है. यहां दो-दो मां अपने नवजात के साथ एक ही बेड पर एडमिट हैं और ये हालत तब हैं जब प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर आने का अंदेशा बना हुआ है. इन हालातों में यहां संक्रमण फैलने का खतरा सबसे ज्यादा है.
तीसरी लहर सिर पर, नहीं किए कोई इंतजाम
शाजापुर जिला अस्पताल की हालत देखकर लगता है कि यहां के डॉक्टर्स और लोगों ने भी इससे कोई सबक नहीं लिया है. कोरोना की दूसरी लहर में भी हॉस्पिटल में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते कई लोगों ने दम तोड़ा था. उस वक्त भी यहां के जिम्मेदार स्वास्थ्य सुविधाएं जुटाने की व्यवस्था करने की बात कह रहे थे और अब भी अस्पताल में बेड की कमी का रोना रो रहे हैं.
मजबूर हैं मरीज
जिला अस्पताल में इलाज कराने पहुंच रहे मरीज यहां मजबूर हैं. वे एक ही बेड पर दो-दो लोगों का इलाज करने पर आपत्ति तो जताते हैं, लेकिन बेड न होने के अभाव में इलाज कराना उनकी मजबूरी है. मरीजों ने ईटीवी भारत को बताया कि अस्पताल में बेड की कमी बनी हुई है. मरीजों का कहना है कि अस्पताल के डॉक्टरों से कई बार कहा, लेकिन वो बेड न होने की बात कहते हैं कि इसी व्यवस्था में इलाज करवाना है तो करवाओ, वरना अपने मरीज को कहीं और ले जाओ. खास बात यह है कि शाजापुर का जिला अस्पताल कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भी बेड्स की कमी से जूझ रहा था इसी वजह से यहां इलाज न मिलने के अभाव में कई लोगों की मौत भी हुई थी बावजूद इसके हालात बिल्कुल भी नहीं बदले हैं. ऐसे में शाजापुर अगर प्रदेश में कोरोना का नया एपीसेंटर बनकर उभरे तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी.