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MP Seat Scan Shujalpur: सियासी जमीन पाने की तलाश में उतरेगी कांग्रेस, शुजालपुर सीट पर 20 सालों से जीत का इंतजार - शुजालपुर विधानसभा क्षेत्र

मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टियां पूरी तरह सक्रिय नजर आ रही है. इस चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्य प्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे शाजापुर जिले की शुजालपुर सीट विधानसभा सीट के बारे में. इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है, हर बार चुनाव में कांग्रेस जीत की पूरी कोशिश करती है, लेकिन आखिर में हार ही हाथ लगती है.

MP Seat Scan Shujalpur
एमपी सीट स्कैन शुजालपुर
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 27, 2023, 4:42 PM IST

शाजापुर। मध्यप्रदेश की शुजालपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस अपनी खोई सियासी जमीन पाने के लिए पिछले 20 सालों से संघर्ष कर रही है. इस सीट पर कांग्रेस लगातार चार विधानसभा चुनावों से हारती आ रही है. हालांकि सियासी नतीजे बदलने कांग्रेस ने कई चेहरे बदले, लेकिन सफलता हाथ न लगी. हालांकि 1998 तक यह सीट कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन 2003 से बीजेपी यहां की सियासी तस्वीर बदलने में कामयाब रही है. हालांकि लगातार बीजेपी के विधायक के बाद भी ग्रामीण इलाकों में सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे बुनियादी मुद्दे चुनाव में बीजेपी को परेशान कर सकते हैं.

पिछले 20 सालों से कांग्रेस को जीत का इंतजार: शुजालपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी का खास प्रभाव है. इस सीट से पिछला चुनाव बीजेपी के इंदरसिंह परमार जीते और बीजेपी की शिवराज सरकार में स्कूल शिक्षा विभाग संभाला. 2018 के विधानसभा चुनाव में संघ की पृष्ठभूमि वाले इंदरसिंह परमार ने कांग्रेस के रामवीर सिंह सिकरवार को 5 हजार 623 वोटों से हराया था. हालांकि कांग्रेस की हार का यह सिलसिला 2003 से लगातार चल रहा है. 1998 में कांग्रेस के केदार सिंह मंडलोई इस सीट पर आखिरी बार पार्टी को जीत दिला सके थे, हालांकि वे 2003 में भी मैदान में उतरे, लेकिन जीत का सिलसिला जारी नहीं रख सके.

MP Seat Scan Shujalpur
साल 2018 का रिजल्ट

कांग्रेस-बीजेपी से कई दावेदार: इस बार कांग्रेस की तरफ से कई नेता दावेदारी कर रहे हैं, इसमें महेन्द्र जोशी भी हैं. जो दो बार यहां से चुनाव हार चुके हैं. इनके अलावा दावेदारों में रामवीर सिकरवार, योगेन्द्र बंटी बना भी हैं. 2013 में योगेन्द्र बंटी टिकट न मिलने पर बगाबत कर चुके हैं. उनके निर्दलीय मैदान में उतरने से 2013 में कांग्रेस हार गई थी. 2013 में जीत-हार का अंतर 8656 वोटों का था, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार ने 32 हजार वोट काटे थे. हालांकि कांग्रेस इस बार टिकट के पहले ही सभी को मनाने में जुटी है. उधर बीजेपी की तरफ से इंदर सिंह परमार का मैदान में उतरना तय माना जा रहा है.

MP Seat Scan Shujalpur
शुजालपुर सीट का रिपोर्ट कार्ड

शुजालपुर सीट पर मतदाता: शुजालपुर विधानसभा सीट पर राजपूत और परमार वोटर्स को निर्णायक माना जाता है. यहां इनकी संख्या करीबन 50 हजार है. इसके अलावा मुस्लिम, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के वोटर्स की भी अच्छी संख्या है. इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 10 हजार 42 है. इसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 8 हजार 863, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 1 हजार 179 है.

MP Seat Scan Shujalpur
शुजालपुर सीट का रिपोर्ट कार्ड

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

इस सीट पर बीजेपी का दबदबा, फिर भी विकास अधूरा: शुजालपुर विधानसभा से चुने हुए विधायक को मंत्री पद भले ही कम मिले हों, लेकिन यहां से चुने जनप्रतिनिधियों को पद का सुख खूब मिला. दो बार विधायक रहे जसवंत सिंह हाड़ा भले ही मंत्री न बने हों, लेकिन निगम अध्यक्ष बने हैं. यहां से विधायक रहे बिजेन्द्र सिंह सिसौदिया कई निगमों में अध्यक्ष रहे हैं. वैसे देखा जाए तो इस सीट पर 15 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं, इसमें से बीजेपी 9 बार चुनाव में विजयी रही है. हालांकि इसके बाद भी यहां सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य सुविधाएं जैसे बुनियादी मुद्दे चुनाव को इस बार भी प्रभावित करेंगे.

शाजापुर। मध्यप्रदेश की शुजालपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस अपनी खोई सियासी जमीन पाने के लिए पिछले 20 सालों से संघर्ष कर रही है. इस सीट पर कांग्रेस लगातार चार विधानसभा चुनावों से हारती आ रही है. हालांकि सियासी नतीजे बदलने कांग्रेस ने कई चेहरे बदले, लेकिन सफलता हाथ न लगी. हालांकि 1998 तक यह सीट कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन 2003 से बीजेपी यहां की सियासी तस्वीर बदलने में कामयाब रही है. हालांकि लगातार बीजेपी के विधायक के बाद भी ग्रामीण इलाकों में सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे बुनियादी मुद्दे चुनाव में बीजेपी को परेशान कर सकते हैं.

पिछले 20 सालों से कांग्रेस को जीत का इंतजार: शुजालपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी का खास प्रभाव है. इस सीट से पिछला चुनाव बीजेपी के इंदरसिंह परमार जीते और बीजेपी की शिवराज सरकार में स्कूल शिक्षा विभाग संभाला. 2018 के विधानसभा चुनाव में संघ की पृष्ठभूमि वाले इंदरसिंह परमार ने कांग्रेस के रामवीर सिंह सिकरवार को 5 हजार 623 वोटों से हराया था. हालांकि कांग्रेस की हार का यह सिलसिला 2003 से लगातार चल रहा है. 1998 में कांग्रेस के केदार सिंह मंडलोई इस सीट पर आखिरी बार पार्टी को जीत दिला सके थे, हालांकि वे 2003 में भी मैदान में उतरे, लेकिन जीत का सिलसिला जारी नहीं रख सके.

MP Seat Scan Shujalpur
साल 2018 का रिजल्ट

कांग्रेस-बीजेपी से कई दावेदार: इस बार कांग्रेस की तरफ से कई नेता दावेदारी कर रहे हैं, इसमें महेन्द्र जोशी भी हैं. जो दो बार यहां से चुनाव हार चुके हैं. इनके अलावा दावेदारों में रामवीर सिकरवार, योगेन्द्र बंटी बना भी हैं. 2013 में योगेन्द्र बंटी टिकट न मिलने पर बगाबत कर चुके हैं. उनके निर्दलीय मैदान में उतरने से 2013 में कांग्रेस हार गई थी. 2013 में जीत-हार का अंतर 8656 वोटों का था, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार ने 32 हजार वोट काटे थे. हालांकि कांग्रेस इस बार टिकट के पहले ही सभी को मनाने में जुटी है. उधर बीजेपी की तरफ से इंदर सिंह परमार का मैदान में उतरना तय माना जा रहा है.

MP Seat Scan Shujalpur
शुजालपुर सीट का रिपोर्ट कार्ड

शुजालपुर सीट पर मतदाता: शुजालपुर विधानसभा सीट पर राजपूत और परमार वोटर्स को निर्णायक माना जाता है. यहां इनकी संख्या करीबन 50 हजार है. इसके अलावा मुस्लिम, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के वोटर्स की भी अच्छी संख्या है. इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 10 हजार 42 है. इसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 8 हजार 863, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 1 हजार 179 है.

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शुजालपुर सीट का रिपोर्ट कार्ड

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

इस सीट पर बीजेपी का दबदबा, फिर भी विकास अधूरा: शुजालपुर विधानसभा से चुने हुए विधायक को मंत्री पद भले ही कम मिले हों, लेकिन यहां से चुने जनप्रतिनिधियों को पद का सुख खूब मिला. दो बार विधायक रहे जसवंत सिंह हाड़ा भले ही मंत्री न बने हों, लेकिन निगम अध्यक्ष बने हैं. यहां से विधायक रहे बिजेन्द्र सिंह सिसौदिया कई निगमों में अध्यक्ष रहे हैं. वैसे देखा जाए तो इस सीट पर 15 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं, इसमें से बीजेपी 9 बार चुनाव में विजयी रही है. हालांकि इसके बाद भी यहां सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य सुविधाएं जैसे बुनियादी मुद्दे चुनाव को इस बार भी प्रभावित करेंगे.

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