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दिवाली 2020: ब्रह्म मुहूर्त में मां गजलक्ष्मी का श्रृंगार, भक्तों के लिए खोले गए पट

शाजापुर के अतिप्राचीन प्रसिद्ध मां गजलक्ष्मी मंदिर में दिवाली के मौके पर शनिवार सुबह चार बजे माता का विशेष श्रृंगार किया गया. इसके बाद महाआरती कर मंदिर के पट भक्तों के लिए खोले गए.

maa gajalakshmi temple
मां गजलक्ष्मी
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Published : Nov 14, 2020, 6:58 AM IST

Updated : Nov 14, 2020, 7:57 AM IST

शाजापुर। जिले में तालाब की पाल नाथवाड़ा में अतिप्राचीन प्रसिद्ध मां गजलक्ष्मी मंदिर स्थित है, जो कि पूरे प्रदेश में और कही नहीं. शनिवार को शुभ दिवाली के अवसर पर सुबह 4 बजे ब्रह्म मूहुर्त में मंदिर में माता की प्रतिमा का दूध से अभिषेक किया गया. दुग्धाभिषेक के बाद माता कि प्रतिमाओं का विशेष श्रृंगार कर महाआरती की गई, जिसके बाद भक्तों के लिए पट खोले गए.

मां गजलक्ष्मी का श्रृंगार

मां गजलक्ष्मी के साथ विराजमान हैं महालक्ष्मी

तालाब की पाल नाथवाड़ा में स्थित माता महालक्ष्मी का मंदिर करीब 400 साल पुराना है. इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां माता महालक्ष्मी हाथी पर सवार माता गजलक्ष्मी के साथ विराजित हैं. पूरे प्रदेश में यही एक मात्र मंदिर है, जहां पर इस तरह से महालक्ष्मी और गजलक्ष्मी की प्रतिमा है.

चार प्रतिमाएं हैं विराजित

ये अति प्राचीन लक्ष्मी माता मंदिर अपने आप में विशेष मंदिर हैं. यहां एक साथ लक्ष्मी माता की चार प्रतिमाएं विराजित हैं. मंदिर में महालक्ष्मी, गजलक्ष्मी, वैभवलक्ष्मी और धनलक्ष्मी माता के दर्शन होते हैं. मान्यता है कि माता मंदिर में मांगी गई सभी मनोकामना पूर्ण होती है, इसलिए भक्तों का तांता अल सुबह 5 बजे से मंदिर में लग जाता है. दिवाली पर मंदिर में दर्शन करने के लिए भक्त जिले सहित अन्य राज्य से भी आते हैं.

औरंगजेब के शासनकाल में बना है मंदिर

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर पूर्व में ग्राम गिरवर में स्थित था. करीब 360 साल पहले औरंगजेब के शासनकाल में मंदिर का स्थान परिवर्तित कर हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र में स्थापित किया गया. मंदिर में विराजित महालक्ष्मी के दर्शन के लिए जिले सहित प्रदेश भर से लोग आते हैं. दीपावली के अवसर पर लोग यहां महालक्ष्मी की आराधना कर संपन्नता का वरदान मांगते हैं.

मंदिर के पुजारी संतोष गिरी बताते हैं कि पुराण में माता के इस रूप का विशेष वर्णन किया गया है, हर साल दिवाली पर माता का विशेष शृंगार कर पूजा-अर्चना की जाती है, मंदिर परिसर में एक कुआं है और भगवान श्रीगणेश, भगवान शंकर का भी प्राचीन मंदिर है.

हर शुक्रवार लगता है भक्तों का तांता

शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी का माना जाता है, इसलिए इस मंदिर में हर शुक्रवार को भक्तों की भीड़ रहती है. मान्यता है कि शुक्रवार को महालक्ष्मी से जो भी मांगा जाए प्राप्त होता है. साथ ही यहां पर नवरात्री में भी माता का विशेष शृंगार किया जाता है. नवरात्रि में भी माता के दर्शन के लिए कई जिलों से श्रद्धालु यहां आते हैं.

शाजापुर। जिले में तालाब की पाल नाथवाड़ा में अतिप्राचीन प्रसिद्ध मां गजलक्ष्मी मंदिर स्थित है, जो कि पूरे प्रदेश में और कही नहीं. शनिवार को शुभ दिवाली के अवसर पर सुबह 4 बजे ब्रह्म मूहुर्त में मंदिर में माता की प्रतिमा का दूध से अभिषेक किया गया. दुग्धाभिषेक के बाद माता कि प्रतिमाओं का विशेष श्रृंगार कर महाआरती की गई, जिसके बाद भक्तों के लिए पट खोले गए.

मां गजलक्ष्मी का श्रृंगार

मां गजलक्ष्मी के साथ विराजमान हैं महालक्ष्मी

तालाब की पाल नाथवाड़ा में स्थित माता महालक्ष्मी का मंदिर करीब 400 साल पुराना है. इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां माता महालक्ष्मी हाथी पर सवार माता गजलक्ष्मी के साथ विराजित हैं. पूरे प्रदेश में यही एक मात्र मंदिर है, जहां पर इस तरह से महालक्ष्मी और गजलक्ष्मी की प्रतिमा है.

चार प्रतिमाएं हैं विराजित

ये अति प्राचीन लक्ष्मी माता मंदिर अपने आप में विशेष मंदिर हैं. यहां एक साथ लक्ष्मी माता की चार प्रतिमाएं विराजित हैं. मंदिर में महालक्ष्मी, गजलक्ष्मी, वैभवलक्ष्मी और धनलक्ष्मी माता के दर्शन होते हैं. मान्यता है कि माता मंदिर में मांगी गई सभी मनोकामना पूर्ण होती है, इसलिए भक्तों का तांता अल सुबह 5 बजे से मंदिर में लग जाता है. दिवाली पर मंदिर में दर्शन करने के लिए भक्त जिले सहित अन्य राज्य से भी आते हैं.

औरंगजेब के शासनकाल में बना है मंदिर

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर पूर्व में ग्राम गिरवर में स्थित था. करीब 360 साल पहले औरंगजेब के शासनकाल में मंदिर का स्थान परिवर्तित कर हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र में स्थापित किया गया. मंदिर में विराजित महालक्ष्मी के दर्शन के लिए जिले सहित प्रदेश भर से लोग आते हैं. दीपावली के अवसर पर लोग यहां महालक्ष्मी की आराधना कर संपन्नता का वरदान मांगते हैं.

मंदिर के पुजारी संतोष गिरी बताते हैं कि पुराण में माता के इस रूप का विशेष वर्णन किया गया है, हर साल दिवाली पर माता का विशेष शृंगार कर पूजा-अर्चना की जाती है, मंदिर परिसर में एक कुआं है और भगवान श्रीगणेश, भगवान शंकर का भी प्राचीन मंदिर है.

हर शुक्रवार लगता है भक्तों का तांता

शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी का माना जाता है, इसलिए इस मंदिर में हर शुक्रवार को भक्तों की भीड़ रहती है. मान्यता है कि शुक्रवार को महालक्ष्मी से जो भी मांगा जाए प्राप्त होता है. साथ ही यहां पर नवरात्री में भी माता का विशेष शृंगार किया जाता है. नवरात्रि में भी माता के दर्शन के लिए कई जिलों से श्रद्धालु यहां आते हैं.

Last Updated : Nov 14, 2020, 7:57 AM IST
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