शहडोल। 5 जून यानी आज विश्व पर्यावरण दिवस है, आजकल पर्यावरण को बचाने के लिए लगातार पहल की जा रही है. इसी कड़ी में आज हम आपसे एक ऐसे ही व्यक्ति की बात करने जा रहे हैं जिसने अपने पूरे जीवन काल में ना सेल्फी ली, ना ही इसे सोशल मीडिया पर वायरल किया, बल्कि सेवा भाव से अपने पूरे जीवन में सिर्फ वृक्ष लगाए. (World Environment Day 2022) भले ही आज वो इस दुनिया में नहीं हों, लेकिन इन पेड़ों ने उन्हें अमर कर दिया. हम बात कर रहे हैं जिले के जोधपुर गांव के जोहनलाल नामदेव की. जिन्होंने कई पौधे लगाए जो आज बड़े-बड़े फलदार वृक्ष बन चुके हैं, और यही वृक्ष आज उनकी पहचान हैं, उनके द्वारा लगाए हुए पेड़ों का वर्तमान में लोगों को फायदा मिल रहा है. जोहनलाल का यह कार्य पर्यावरण संरक्षण के प्रति हर किसी को जागरूक करता है.
पेड़ वाले बाबा के नाम से मशहूर हैं जोहनलाल: शहडोल जिला मुख्यालय से लगभग 15 से 20 किलोमीटर दूर है जोधपुर ग्राम पंचायत, इस गांव में एंट्री करने और बाहर आते के रास्ते के दोनों तरफ सड़कों के किनारे कई फलदार पेड़ लगे हुए हैं, जो आपको बहुत ही मनमोहक लगेंगे. इतना ही नहीं जिन अलग-अलग सीमाओं से जोधपुर गांव जुड़ा हुआ है, वहां सड़कों के किनारे आप बड़े-बड़े वृक्ष पाएंगे. इन सभी पेड़ों को लगाया है स्वर्गीय जोहन लाल नामदेव जी ने, जो अब इस दुनिया में तो नहीं रहे लेकिन इन पेड़ों को लगाकर अब वो अमर हो गए है. जब आज भी इन पेड़ों के पास से कोई गुजरता है इनकी छांव में बैठता है या इनके फलों को तोड़कर खाता है तो जोहन लाल नामदेव को याद जरूर करता है. इतना ही नहीं पूरे गांव में जोहन लाल नामदेव का नाम हर कोई जानता है, अगर गांव में जोहनलाल नामदेव का नाम ले लिया जाए तो बच्चा-बच्चा उन्हें 'पेड़ वाले बाबा' के नाम से जानता है.
पूरे जीवकाल में लगाए इतने पेड़: जोहन लाल नामदेव को लेकर गांव के ग्रामीण और उनके बड़े बेटे रमेश कुमार नामदेव बताते हैं कि "मेरे पिता पूरी उम्र छोटे-छोटे पौधे लगाते रहे, उन्होंने अपने पूरे जीनवनकाल में 1500 पौधें लगाए और उनकी वृक्ष बनते तक उनकी सेवा करते रहे, फिर सिंचाई करना हो या रुंधाई करना हो. वह हमेशा चाहते थे कि पेड़ सुरक्षित रहें, जानवर न खाएं, आज वही पेड़ बड़े-बड़े वृक्ष हो गए हैं तो हर कोई जोहनलाल नामदेव का नाम बड़े ही गर्व के साथ ले रहा है." उनके पुत्र ने बताया कि आज जब इन पेड़ों को देखकर के लोग उनके पिताजी के नाम को याद करते हैं तो उनके बच्चे बहुत गर्व महसूस करते हैं.
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नामदेव से प्रेरित हुए लोग, लगा रहे पेड़: रमेश कुमार नामदेव कहते हैं कि "इन पेड़ों के सहारे आज भी मेरे पिता जिंदा है और मेरे पास हैं. इन पेड़ों को देख कर मुझे अपने पिता की याद आ जाती है." ग्रामीण बताते हैं कि "जोहनलाल नामदेव ने अपने जीवन काल में इतने पेड़ लगाएं जिसकी कोई गिनती ही नहीं है." इतना ही नहीं जोहनलाल नामदेव के इस काम को देखने के बाद जिस तरह से आज भी उन्हें इस दुनिया में न रहने के बाद भी उन्हें लोग इन पेड़ों के माध्यम से याद करते हैं उसे देखने के बाद उनसे प्रेरणा लेकर गांव के ही एक बुजुर्ग गेगलाकोल भी कई पेड़ लगा चुके हैं.
इतना लगा चुके हैं पेड़-पौधे: गेगलाकोल के पुत्र नारायण कोल बताते हैं कि उनके पिता आज भी जहां भी जाते हैं, वहीं पेड़ लगाते हैं और सुबह से लेकर शाम तक उनकी सेवा करते रहते हैं. फिलहाल नारायण के अनुसार उनके पिता के पेड़ लगाने की संख्या अब हजार या उससे ऊपर ही हो गई होगी.