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अगर फसलों में कीटों से हैं परेशान तो करें स्टिकी ट्रैप का इस्तेमाल, आइए जानते हैं- इसे कैसे बनाएं और कैसे इस्तेमाल करें - फसलों में कीट की समस्या

फसलों को कीटों से बचाने के लिए किसान स्टिकी ट्रैप का उपयोग करें. खासकर जैविक खेती करने वालों को यही तरीका अपनाना चाहिए. स्टिकी ट्रैप की मदद से कीटों पर आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है. इसकी लागत भी बहुत कम है. स्टिकी ट्रैप को घर पर भी बनाया जा सकता है. स्टिकी ट्रैप को कैसै बनाएं, कैसे इसका उपयोग करें, बता रहे हैं कृषि वैज्ञानिक डॉ. बृजकिशोर प्रजापति

Use sticky traps to control pests in crops
अगर फसलों में कीटों से हैं परेशान तो करें स्टिकी ट्रैप का इस्तेमाल
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 28, 2023, 3:17 PM IST

अगर फसलों में कीटों से हैं परेशान तो करें स्टिकी ट्रैप का इस्तेमाल

शहडोल। इस समय किसान जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे में किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या होती है कि अलग-अलग तरह की फसलों में लगने वाले कीटों पर नियंत्रण कैसे करें. अगर रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग नहीं करेंगे तो फिर वह कौन सी पद्धति है, जिससे आसानी से इन कीटों को नियंत्रित किया जा सके. क्योंकि समय पर अगर इन कीटों का नियंत्रण नहीं किया गया तो फिर फसलों को बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है. ऐसे में किसानों के लिए बहुत कम लागत में स्टिकी ट्रैप विभिन्न प्रकार के कीटों के नियंत्रण के लिए एक वरदान साबित हो सकता है.

आखिर ये स्टिकी ट्रैप है क्या : कृषि वैज्ञानिक डॉ. बृजकिशोर प्रजापति का कहना है कि स्टिकी ट्रैप गैर रासायनिक तरीका है कीटों के नियंत्रण के लिए. आजकल किसान रासायनिक दवाओं का उपयोग कर रहे हैं, जिसके कारण हमारी भूमि, पर्यावरण, जल प्रदूषित होता जा रहा है. जो किसान जैविक खेती करते हैं उनके लिए ये स्टिकी ट्रैप बहुत ही उपयोगी है. स्टिकी ट्रैप अलग-अलग रंग के होते हैं और फ़सलो में लगने वाले कीट अलग-अलग रंगों की ओर आकर्षित होते हैं. ये एक सीट होती है, जो अलग-अलग रंग की होती है. इस सीट में चिपचिपा पदार्थ लगा होता है, जिससे विभिन्न तरह के कीट विभिन्न रंगों की ओर आकर्षित होते हैं. जिससे हानिकारक कीट सीट पर आकर चिपक जाते हैं, जिससे फसल प्रभावित होने से बच जाती है.

घर में ऐसे आसानी से बनाएं स्टिकी ट्रैप : स्टिकी ट्रैक को घर में भी आसानी से बनाया जा सकता है. कृषि वैज्ञानिक डॉ. बृजकिशोर प्रजापति बताते हैं कि इसे बनाना बहुत ही आसान है. जैसे अगर आप येलो स्टिकी ट्रैप बनाना चाहते हैं तो जो एक्स-रे की सीट आती है, उसमें सबसे पहले, पीले कलर का पेंट पोत दीजिए. पेंट पुताई के बाद उसे सूखने दीजिए. सूखने के बाद अरंडी के तेल की ऊपर से पुताई कर दीजिए. अगर यह भी उपलब्ध नहीं है तो उसके ऊपर ग्रीस पुताई कर दीजिए. वैसलीन की पुताई कर दीजिए. स्टिकी ट्रैप को फसलों पर लगाते समय इस बात का ख्याल रखें कि ये थोड़ी ऊपर रहें. अलग-अलग रंग, अलग-अलग कीटों के लिये स्टिकी ट्रैप भी कई कलर के होते हैं.

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लागत भी कम, लगाना भी आसान : स्टिकी ट्रैप को फसलों पर लगाना भी बहुत आसान होता है. अलग-अलग रंग के स्टिकी ट्रैप फसलों पर लगा दिए जाते हैं. जिससे कीटों का नियंत्रण हो जाता है. सिर्फ इसे फसलों पर लगाने का ही काम होता है और कीट अपने आप इन स्टिकी ट्रैप पर आकर चिपकती हैं. हमारे यहां रासायनिक खाद का बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जाता है. अगर आप स्टिकी ट्रैप खरीदना चाहते हैं तो बाजार से ₹40 में एक सीट आपको बड़ी आसानी से मिल जाएगी. अगर घर में बनायेंगे तो तो बहुत ही सस्ते दरों में आप इसको 10 से 12 रुपए में बना कर तैयार कर सकते हैं.

अगर फसलों में कीटों से हैं परेशान तो करें स्टिकी ट्रैप का इस्तेमाल

शहडोल। इस समय किसान जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे में किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या होती है कि अलग-अलग तरह की फसलों में लगने वाले कीटों पर नियंत्रण कैसे करें. अगर रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग नहीं करेंगे तो फिर वह कौन सी पद्धति है, जिससे आसानी से इन कीटों को नियंत्रित किया जा सके. क्योंकि समय पर अगर इन कीटों का नियंत्रण नहीं किया गया तो फिर फसलों को बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है. ऐसे में किसानों के लिए बहुत कम लागत में स्टिकी ट्रैप विभिन्न प्रकार के कीटों के नियंत्रण के लिए एक वरदान साबित हो सकता है.

आखिर ये स्टिकी ट्रैप है क्या : कृषि वैज्ञानिक डॉ. बृजकिशोर प्रजापति का कहना है कि स्टिकी ट्रैप गैर रासायनिक तरीका है कीटों के नियंत्रण के लिए. आजकल किसान रासायनिक दवाओं का उपयोग कर रहे हैं, जिसके कारण हमारी भूमि, पर्यावरण, जल प्रदूषित होता जा रहा है. जो किसान जैविक खेती करते हैं उनके लिए ये स्टिकी ट्रैप बहुत ही उपयोगी है. स्टिकी ट्रैप अलग-अलग रंग के होते हैं और फ़सलो में लगने वाले कीट अलग-अलग रंगों की ओर आकर्षित होते हैं. ये एक सीट होती है, जो अलग-अलग रंग की होती है. इस सीट में चिपचिपा पदार्थ लगा होता है, जिससे विभिन्न तरह के कीट विभिन्न रंगों की ओर आकर्षित होते हैं. जिससे हानिकारक कीट सीट पर आकर चिपक जाते हैं, जिससे फसल प्रभावित होने से बच जाती है.

घर में ऐसे आसानी से बनाएं स्टिकी ट्रैप : स्टिकी ट्रैक को घर में भी आसानी से बनाया जा सकता है. कृषि वैज्ञानिक डॉ. बृजकिशोर प्रजापति बताते हैं कि इसे बनाना बहुत ही आसान है. जैसे अगर आप येलो स्टिकी ट्रैप बनाना चाहते हैं तो जो एक्स-रे की सीट आती है, उसमें सबसे पहले, पीले कलर का पेंट पोत दीजिए. पेंट पुताई के बाद उसे सूखने दीजिए. सूखने के बाद अरंडी के तेल की ऊपर से पुताई कर दीजिए. अगर यह भी उपलब्ध नहीं है तो उसके ऊपर ग्रीस पुताई कर दीजिए. वैसलीन की पुताई कर दीजिए. स्टिकी ट्रैप को फसलों पर लगाते समय इस बात का ख्याल रखें कि ये थोड़ी ऊपर रहें. अलग-अलग रंग, अलग-अलग कीटों के लिये स्टिकी ट्रैप भी कई कलर के होते हैं.

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लागत भी कम, लगाना भी आसान : स्टिकी ट्रैप को फसलों पर लगाना भी बहुत आसान होता है. अलग-अलग रंग के स्टिकी ट्रैप फसलों पर लगा दिए जाते हैं. जिससे कीटों का नियंत्रण हो जाता है. सिर्फ इसे फसलों पर लगाने का ही काम होता है और कीट अपने आप इन स्टिकी ट्रैप पर आकर चिपकती हैं. हमारे यहां रासायनिक खाद का बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जाता है. अगर आप स्टिकी ट्रैप खरीदना चाहते हैं तो बाजार से ₹40 में एक सीट आपको बड़ी आसानी से मिल जाएगी. अगर घर में बनायेंगे तो तो बहुत ही सस्ते दरों में आप इसको 10 से 12 रुपए में बना कर तैयार कर सकते हैं.

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