शहडोल। उत्तर प्रदेश के कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में दबिश देने गए डीएसपी सहित आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले मोस्ट वांटेड हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के तार शहडोल से जुड़ गए हैं, यूपी एसटीएफ की टीम ने शहडोल से ज्ञानेंद्र निगम उर्फ राजू और उसके बेटे को अपने साथ ले गई है. पांच लाख के इनामी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की तलाश में यूपी पुलिस और एसटीएफ की करीब 100 टीमें लगी हैं.
शहडोल पहुंची यूपी एसटीएफ
गैंगस्टर विकास दुबे की तलाश में यूपी एसटीएफ की टीम मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के बुढ़ार तक पहुंच गई है. शहडोल एसपी सत्येन्द्र कुमार शुक्ल के मुताबिक यूपी एसटीएफ ने बुढ़ार पुलिस से संपर्क किया था, शहडोल में ही विकास दुबे का साला ज्ञानेंद्र निगम रहता है, जिसके चलते पुलिस को ऐसी आशंका है कि हो सकता है कि विकास दुबे का कोई सुराग मिल जाए, फिलहाल ज्ञानेंद्र निगम उर्फ राजू के बेटे को यूपी एसटीएफ की टीम अपने साथ ले गई है.
15 साल से विकास से कोई संपर्क नहीं
ज्ञानेंद्र निगम ने एसपी ऑफिस पहुंचकर अपने बेटे को छुड़ाने की गुहार लगाई है, उन्होंने शहडोल एसपी से कहा कि वो हर तरीके से पुलिस की मदद करने को तैयार हैं, लेकिन विकास दुबे से उनका पिछले 15 सालों से किसी तरह का कोई संपर्क नहीं है. न ही कोई फोन किया है, उन्होंने अपना कॉल डिटेल भी चेक कराने की अपील की है. ज्ञानेंद्र निगम का कहना है कि वो कानपुर की जिंदगी को भुलाकर अब शहडोल में अपना व्यापार कर रहे हैं.
विकास का साला शहडोल में करता है व्यापार
ज्ञानेंद्र निगम शहडोल के बुढ़ार में पिछले कई साल से अपना व्यापर कर रहा है, मंगलवार को राजू ने इस बात को कहा भी था कि उसने 15 साल से विकास दुबे से कोई संपर्क नहीं रखा है और न ही कोई फोन किया है वो कानपुर की जिंदगी को भुलाकर अब शहडोल में अपना व्यापार कर रहा है, वो पिछले 15 साल से सबकुछ छोड़ चुका है, विकास दुबे से उसके कोई संपर्क नहीं है.
ज्ञानेंद्र निगम के बेटे को ले गई एसटीएफ
उधर बुधवार को यूपी एसटीएफ की टीम विकास दुबे के साले ज्ञानेंद्र निगम को भी लेकर यूपी चली गई है, जहां बाप-बेटे से पूछताछ की जा रही है. गौरतलब है कि कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसवालों की हत्या कर गैंगस्टर विकास दुबे फरार हो गया है. पुलिस उसकी तलाश में लगातार छापेमारी कर रही है और उस पर इनाम बढ़ाकर पचास हजार से पांच लाख रुपये भी कर दिया गया है. विकास दुबे का नाम पहली बार सुर्खियों में 2001 में तब आया था, जब वो शिवली थाना क्षेत्र में तत्कालीन दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला की बेरहमी से थाने के अंदर कत्ल कर दिया था. बताया जा रहा है कि विकास दुबे के खिलाफ करीब 60 मामले दर्ज हैं.