ETV Bharat / state

मेलों से विलुप्त हो रहा ये खास झूला, व्यापारी बोले- रहट झूला और गन्ना ही हैं मेले की पहचान - शहडोल न्यूज

शहडोल। जिले में सैकड़ों साल पुराने बाणगंगा मेले की शुरुआत हो रही है, हर साल 14 जनवरी से इस मेले की शुरुआत होती है. संभाग का सबसे बड़ा मेला माना जाता है.

This special swing is disappearing from the fairs
मेलों से विलुप्त हो रहा ये खास झूला
author img

By

Published : Jan 13, 2020, 11:25 PM IST

शहडोल। जिले में सैकड़ों साल पुराने बाणगंगा मेले की शुरुआत हो रही है, हर साल 14 जनवरी से इस मेले की शुरुआत होती है संभाग का सबसे बड़ा मेला माना जाता है और यहां के झूले भी आकर्षण के केंद्र होते हैं. एक ओर जहां आज के बदलते जमाने में बड़े-बड़े झूलों ने अपनी अलग पहचान बना ली है.

मेलों से विलुप्त हो रहा ये खास झूला

लकड़ी के ये छोटे-छोटे झूले अपनी आवाज के लिए विशेष महत्व रखते हैं, इन्हें रहट झूले के नाम से जाना जाता है, पहले जब किसी भी मेले में जाते थे तो ये रहट झूले पूरे मेले में आकर्षण के केंद्र रहा करते थे. मेला छोटा हो या बड़ा ये रहट झूला छाया रहता था, लेकिन अब कुछ मेलों को छोड़ दें तो ये रहट झूला मेलों से गायब हो रहे हैं.

बाणगंगा मेले में रहट झूला लगा रहे एक व्यापारी बताते हैं कि पहले लोग यहां लगे बड़े बड़े झूलों में जाते हैं और फिर जब वहां जगह नहीं मिलती तो यहां आते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी आते हैं जो बस इसी झूले में ही झूलना पसंद करते हैं और कहते हैं कि रहट नहीं झूले तो क्या मेला देखा.

शहडोल। जिले में सैकड़ों साल पुराने बाणगंगा मेले की शुरुआत हो रही है, हर साल 14 जनवरी से इस मेले की शुरुआत होती है संभाग का सबसे बड़ा मेला माना जाता है और यहां के झूले भी आकर्षण के केंद्र होते हैं. एक ओर जहां आज के बदलते जमाने में बड़े-बड़े झूलों ने अपनी अलग पहचान बना ली है.

मेलों से विलुप्त हो रहा ये खास झूला

लकड़ी के ये छोटे-छोटे झूले अपनी आवाज के लिए विशेष महत्व रखते हैं, इन्हें रहट झूले के नाम से जाना जाता है, पहले जब किसी भी मेले में जाते थे तो ये रहट झूले पूरे मेले में आकर्षण के केंद्र रहा करते थे. मेला छोटा हो या बड़ा ये रहट झूला छाया रहता था, लेकिन अब कुछ मेलों को छोड़ दें तो ये रहट झूला मेलों से गायब हो रहे हैं.

बाणगंगा मेले में रहट झूला लगा रहे एक व्यापारी बताते हैं कि पहले लोग यहां लगे बड़े बड़े झूलों में जाते हैं और फिर जब वहां जगह नहीं मिलती तो यहां आते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी आते हैं जो बस इसी झूले में ही झूलना पसंद करते हैं और कहते हैं कि रहट नहीं झूले तो क्या मेला देखा.

Intro:मेलों से विलुप्त हो रहा ये खास झूला, व्यापारी बोले रहट और गन्ना ही हैं मेले कि असल पहचान

शहडोल- शहडोल में सैकड़ों साल पुराने बाणगंगा मेले की शुरुआत हो रही है, हर साल 14 जनवरी से इस मेले की शुरुआत होती है संभाग का सबसे बड़ा मेला माना जाता है। और यहां के झूले भी आकर्षण के केंद्र होते हैं एक ओर जहां आज के बदलते जमाने में बड़े बड़े झूलों ने अपनी अलग पहचान बना ली है तो वहीं दूसरी ओर रहट झूला जो पुराना और अपनी खास आवाज के लिए खास पहचान रखता है अब विलुप्ति की कगार पर है पहले जहां रहट झूले पूरे मेले में छाए रहते थे, इन्हें ख़ास तरजीह मिलती थी लेकिन अब ये धीरे धीरे कम होता जा रहा है।


Body:रहट झूला है खास

लकड़ी के ये छोटे छोटे झूले अपनी आवाज के लिए विशेष महत्व रखते हैं इन्हें रहट झूला के नाम से जाना जाता है, पहले जब किसी भी मेले में जाते थे तो ये रहट झूले पूरे मेले में। आकर्षण के केंद्र रहा करते थे मेला छोटा हो या बड़ा ये रहट झूला छाया रहता था लेकिन अब कुछ मेलों को छोड़ दें तो ये रहट झूला मेलों से गायब हो रहे हैं।

और इसकी वजह है बदलते वक्त के साथ अब तरह तरह के बड़े बड़े आकर्षक झूले जो आ गए हैं।

जहां एक ओर रहट झूला अब अपने विलुप्ति की कगार पर है तो वहीं दूसरी ओर बाणगंगा मेले में एक कोने में ये नज़र आया हर साल ये झूले वाले सिर्फ इसी मेले में रहट झूला लगाते हैं वो बताते हैं कि पुस्तैनी काम है सालों से पूर्वज करते आ रहे हैं तो इसलिए कर रहे हैं रहट झूले के मालिक बताते हैं कि लेकिन अब क्षेत्र के हर मेले में नहीं जाते बस इसी मेले में लगाते हैं।

ग्राहक हुए कम, फिर भी इस झूले को पसंद करने वाले हैं

बाणगंगा मेले में रहट झूला लगा रहे एक व्यापारी बताते हैं कि पहले लोग यहां लगे बड़े बड़े झूलों में जाते हैं और फिर जब वहां जगह नहीं मिलती तो यहां आते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी आते हैं जो बस इसी झूले में ही झूलना पसंद करते हैं और कहते हैं कि रहट नहीं झूले तो क्या मेला।

10 रुपये में 10 मिनट

रहट झूला व्यापारी कहते हैं कि वो अपने इस पुराने झूले में 10 रुपये मात्र में 10 मिनट तक झूला झुलाते हैं।

रहट, और गन्ना है मेले कि शान

रहट झूला व्यापारी कहते हैं कि अगर रहट और गन्ना मेले में न रहे तो फिर वो मेला नही प्रदर्शनी हो जाएगा मेला मतलब गन्ना और रहट झूला जरूर होना चाहिए।


Conclusion:गौरलतब है की बदलते वक्त के साथ रहट झूला अब मेलों से गायब हो रहे हैं और उनकी जगह आज के जमाने के बड़े बड़े झूले ले रहे हैं ऐसे में बाणगंगा मेले में कुछ ही सही लेकिन आज भी रहट झूले लगे हुए हैं और ये भी अपने पुस्तैनी काम को बस ज़िंदा करके रखे हुए हैं, धीरे धीरे अब ये भी खत्म हो रहा है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.